मुंबई अस्पताल आग की जांच के आदेश, मृतकों के परिजन को 10-10 लाख का मुआवजा

Order of investigation - compensation of 10-10 lakh to relatives of dead persons
मुंबई अस्पताल आग की जांच के आदेश, मृतकों के परिजन को 10-10 लाख का मुआवजा
मुंबई अस्पताल आग की जांच के आदेश, मृतकों के परिजन को 10-10 लाख का मुआवजा

डिजिटल डेस्क, मुंबई। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ईएसआईसी कामगार अस्पताल में आग लगने की घटना के जांच के आदेश दे दिए गए हैं। मृतकों के परिजनों को 10 लाख रुपए की आर्थिक मदद और घायलों को मुफ्त इलाज का भी ऐलान किया गया है। हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़कर आठ हो गई है जबकि 140 घायल हैं। घायलों में 28 की हालत अब भी गंभीर बताई जा रही है। मुंबई दौरे पर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी फडणवीस ने आग लगने की जानकारी दी।

इस मौके पर मौजूद केंद्रीय राज्य मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने हादसे में जान गंवाने वालों के परिजनों को 10 लाख रुपए, गंभीर रूप से घायलों को 2 लाख रुपए और घायलों को 1 लाख रुपए की आर्थिक मदद का ऐलान किया। वहीं राज्य के स्वास्थ्य मंत्री दीपक सावंत ने कहा है कि सभी घायलों को मुफ्त इलाज की सुविधा दी जाएगी। बता दें कि अंधेरी इलाके में स्थित कर्मचारी राज्य बीमा निगम के इस अस्पताल में आग लगने की घटना सोमवार शाम चार बजे के करीब हुई थी। दमकल विभाग को आग पर काबू पाने में चार घंटे का समय लगा। आग चौथी मंजिल से शुरू हुई थी। आशंका जताई जा रही है कि आग शॉर्टसर्किट के चलते लगी। वहीं मुंबई के महापौर विश्वनाथ महाडेश्वर ने कहा कि अस्पताल में फायर ऑडिट की जिम्मेदारी महाराष्ट्र इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कार्पोरेशन (एमआईडीसी) के जिम्मे था। हम इस बात की जांच करेंगे कि ऑडिट किया गया था या नहीं। वहीं एमआईडीसी अधिकारियों का दावा है कि 15 दिन पहले ही किए गए ऑडिट में कई गड़बड़ियां पाई गईं थीं। 

डीजी पर दर्ज हो गैरइरादतन हत्या का मामला-मलिक
राकांपा प्रवक्ता नवाब मलिक ने ईएसआयसी के प्रबंध निदेशक (डीजी) के खिलाफ गैरइरादन हत्या के आरोप में आईपीसी की धारा 304 के तहत एफआईआर दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार करने की मांग की है। मलिक ने कहा कि किसी भी प्रतिष्ठान में इस तरह आग लगने की घटना सामने आती है तो उसकी जिम्मेदारी उसके मुखिया पर होती है। इसलिए इस हादसे के लिए भी डीजी को ही जिम्मेदार माना जाना चाहिए।

पत्रकारों से बातचीत के दौरान मलिक ने कहा कि भोपाल गैसकांड के बाद देश में 1984 में कानून में बदलाव किया गया। जिसके तहत प्रतिष्ठान में हुई ऐसी घटनाओं को लिए संबंधित विभाग के प्रमुख को जिम्मेदार ठहराया जाएगा। मुख्यमंत्री जांच की बात कह रहे हैं लेकिन इसकी जरूरत ही नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार जांच के बहाने संबंधित लोगों को बचाने की कोशिश कर रही है। 

Created On :   18 Dec 2018 2:46 PM GMT

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