सार्वजनिक सड़क की जमीन निजी व्यक्तियों के नाम दर्ज करने की जांच के आदेश

Order to check the names of private persons in public land
सार्वजनिक सड़क की जमीन निजी व्यक्तियों के नाम दर्ज करने की जांच के आदेश
सार्वजनिक सड़क की जमीन निजी व्यक्तियों के नाम दर्ज करने की जांच के आदेश

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। हाईकोर्ट ने सागर के राजस्व अधिकारियों को निर्देशित किया है कि सार्वजनिक सड़क की जमीन निजी व्यक्तियों के नाम दर्ज करने की जांच कर विधि अनुसार कार्रवाई करें। एक्टिंग चीफ जस्टिस आरएस झा और जस्टिस विजय शुक्ला की युगल पीठ ने इस निर्देश के साथ जनहित याचिका का निराकरण कर दिया है। 

जमीन पर बिल्डरों ने कब्जा कर लिया 

सागर निवासी दामोदर कुमार की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि सागर की खसरा नंबर 82 की जमीन पर बिल्डरों ने कब्जा कर लिया है। सार्वजनिक सड़क के लिए सुरक्षित यह जमीन 1911 से 1954 तक सागर नगर निगम के नाम पर दर्ज थी। इसके बाद जमीन निजी व्यक्तियों के नाम पर दर्ज हो गई। अधिवक्ता अविनाश जरगर ने तर्क दिया कि सार्वजनिक सड़क की जमीन निजी व्यक्तियों के नाम पर दर्ज करने की जांच कराई जाए। प्रांरभिक सुनवाई के बाद युगल पीठ ने राजस्व अधिकारियों को सार्वजनिक सड़क की जमीन निजी व्यक्तियों के नाम पर दर्ज करने की जांच कर विधि अनुसार कार्रवाई करने के निर्देश दिए है।

धोखाधड़ी के आरोपियों की अग्रिम जमानत खारिज

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जीसी मिश्रा ने धोखाधड़ी के आरोपी बड़ा फुहारा निवासी राजेश समैया और राज समैया की अग्रिम जमानत खारिज कर दी है। न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि अपराध से संबंधित दस्तावेज जब्त किया जाना है, ऐसी स्स्थिति में अग्रिम जमानत का लाभ देना उचित नहीं है। अभियोजन के अनुसार बड़ा फुहारा निवासी जेके जैन और उनकी पत्नी से व्यापार के लिए राजेश समैया ने अलग-अलग समय पर 30 लाख रुपए लिए। दिसंबर 2018 को राजेश समैया की ओर से फरियादी को इलाहाबाद बैंक के 10-10 लाख रुपए के तीन चेक दिए गए। जब चेक को भुगतान के लिए लगाया गया तो दो चेको के हस्ताक्षर नहीं मिल पाए और तीसरा चेक खाते में रकम नहीं होने के कारण बाउंस हो गया। जांच में पाया गया कि पुत्र राज समैया के खाते के चेक में पिता राजेश समैया ने हस्ताक्षर कर फरियादी के साथ धोखाधड़ी की है। इस तरीके से चेक में कूटरचना की गई। कोतवाली पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ 420, 467, 468, 471 और 120 बी का प्रकरण दर्ज किया। इस मामले में अग्रिम जमानत पाने के लिए आवेदन दायर किया गया। फरियादी की ओर से अधिवक्ता जीपीएस ओबेराय ने जमानत का विरोध किया। सुनवाई के बाद न्यायालय ने दोनों आरोपियों की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी है।
 

Created On :   26 Jun 2019 8:21 AM GMT

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