वन से खदेड़े गए बाहरी श्रमिक, अनाधिकृत रूप से तोड़ रहे थे तेंदुपत्ता

Outsider labors are thrown out after illegal leaves collection
वन से खदेड़े गए बाहरी श्रमिक, अनाधिकृत रूप से तोड़ रहे थे तेंदुपत्ता
वन से खदेड़े गए बाहरी श्रमिक, अनाधिकृत रूप से तोड़ रहे थे तेंदुपत्ता

डिजिटल डेस्क, उमरिया । उमरिया मण्डल के वनों में अनाधिकृत रूप से सैकड़ों की संख्या में घुसपैठ कर रहे बाहरी श्रमिकों को सोमवार की शाम वनों से खदेड़ा गया और कई श्रमिकों के पत्ते जब्त कर लिए गए। यह श्रमिक कुछ दिनों से वनों में तेंदू पत्ता तोड़ कर स्टेशनों में रख रहे थे और उसे बोरों में भरकर ट्रेनों से ले जा रहे थे। कल भी यही प्रक्रिया चल रही थी। इस बात की भनक वन विभाग को लगने पर उसने वन सुरक्षा समिति के सदस्यों और विभागीय अमले की टीम बनाकर वनों की सर्चिंग कराई। जिसके दौरान उमरिया के आसपास, घुनघुटी, नौरोजाबाद आदि वनों में कई स्थानों पर सागर, दमोह के श्रमिक पाए गए थे

ज्ञातव्य है कि इन श्रमिकों द्वारा जिले के संस्थागत तेंदूपत्ता कारोबार में सेंध लगाई जा रही है। यह सभी श्रमिक बीड़ी व्यवसाय के लिए निजी रूप से पत्तों से लाभ कमाते हैं। जबकि जिले का तेंदूपत्ता संग्रहण कार्य अधिकांश वन कर्मियों की हड़ताल से प्रभावित है। न तो मोनिटरिंग हो रही है और न कार्य में गति आ रही है। तेंदूपत्ता संग्रहण की अंतिम तिथि 30 मई  रखी गई है। लेकिन अंतिम दिन तक मात्र 80 प्रतिशत ही संग्रहण हो पाया है। इसलिए भी विभाग चिंतित है और उसने कार्रवाई में तत्परता बरती।

स्टेशनों में लगा पत्तों का अंबार
जिले के उमरिया, घुनघुटी, बंधवा आदि स्टेशनों में इन श्रमिकों का समूह बैठा नजर आता है। जिनमे पुरुष व महिलाएं दोनो शामिल हैं। सुबह 6 बजे से यह लोग जंगलों में घुस कर पत्ता तुड़ाई कर उसकी झाल बनाकर स्टेशनों में लौट आते हैं। इसी तरह शाम को भी यही क्रम चलता रहता है। चिरमिरी दमोह शटल तथा भोपाल बिलासपुर पैसेंजर ट्रेनों में इन दिनों गणेश गंज, धबोली, मझगवां, बोतराई, उमरा आदि दर्जनों गावों के  श्रमिकों की भारी भीड़ उमरिया जिले में उतर रही है। यही नहीं बोरों में भरकर जिले का पत्ता ले जाया जा रहा है। लेकिन कोई ठोस प्रतिबंध नही लगाया जा रहा है।

वर्षों से आ रहे हैं और वन क्षेत्र से परिचित हैं
यह श्रमिक यहां कोई पहली बार नहीं आ रहे हैं बल्कि वर्षों से आ रहे हैं और वनों के चप्पे-चप्पे से वाकिफ हैं। उन्हे मालूम है कि पत्ता कहां से तोड़ा जाना चाहिए। बताया गया कि पहले इन्हे बीड़ी ठेकेदारों के आदमी एक दो बार लेकर आए थे। लेकिन उसके बाद यह स्वयं अभ्यस्त हो गए। खेती बाड़ी से निपटते ही वे यहां का रुख कर लेते हैं। यह वन विभाग की उदासीनता ही कही जाएगी कि अभी तक इन श्रमिकों की घुसपैठ पर अंकुश नहीं लगाया जा सका। यही कारण है कि हर साल हजारों बोरा पत्ता यहां से ले जाया जाता है। कुछ श्रमिकों ने बताया कि जब वे यहां से पत्ता लेकर अपने घर पहुंचते हैं तो वहां बीड़ी ठेकेदार इन्हे धागा और तंबाकू उपलब्ध करा देते हैं। जिससे यह बीड़ी बनाकर उन्हे देते हैं और वे निर्धारित राशि इन्हे प्रदान कर देते हैं। विभाग की ढिलाई से तेंदू पत्ता जैसे उपयोगी वनोपज का इस तरह भी दोहन किया जा रहा है। बाहर से आए इन श्रमिकों ने बताया कि वे पत्तों को सुखाने और उपयोग के लायक स्वयं बना लेते हैं।

इनका कहना है
वनों के अंदर अनाधिकृत रूप से किसी को न तो प्रवेश करने दिया जाएगा और न ही वन संपदा को क्षति पहुंचाने की अनुमति दी जा सकती है। तेंदूपत्ते के संबंध में सर्चिंग कराई जा रही है और जो श्रमिक मिले हैं उन्हे वनों से बाहर निकाला गया है।
एसएस भगदिया, DFO, उमरिया वनमण्डल 
 

Created On :   30 May 2018 8:10 AM GMT

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