धान की फसल हुई बर्बाद, दोबारा बुआई का संकट

Paddy crop wasted farmer waiting for sowing again
धान की फसल हुई बर्बाद, दोबारा बुआई का संकट
धान की फसल हुई बर्बाद, दोबारा बुआई का संकट

डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली। समूचे विदर्भ में धान उत्पादक जिले के रूप में परिचित गड़चिरोली के किसान इन दिनों बारिश की बेरुखी से परेशान हैं। क्षेत्र में बुआई कार्य के उपरांत रोपाई के लिए पूरी तरह तैयार धान के पौधे पानी के अभाव में सूखने लगे हैं। ऐसी स्थिति में इस वर्ष भी किसानों पर दोबारा बुआई का संकट गहराने लगा है। मात्र इस गंभीर समस्या की ओर जिला प्रशासन ने अब तक किसी प्रकार का ध्यान नहीं दिया है, जिससे किसान चिंतित है। ऊपर से जिले में सूरज आग उगल रहा है, जिससे खेत में खड़ी धान फसलें प्रभावित हुई है। यदि गड़चिरोली जिले में सिंचाई की सुविधा होती तो किसानों को हर वर्ष फसलों के बर्बादी का मंजर देखना नहीं पड़ता, लेकिन सिंचाई परियोजनाओं का कार्य आरंभ करने के प्रति जिले के जनप्रतिनिधियों की उदासीनता दिखायी दे रही है। गड़चिरोली जिले में वर्ष 1980  के वन कानून की जटिल शर्तों के कारण प्रमुख 7 सिंचाई परियोजनाओं का कार्य अधर में पड़ा है।

समस्या का विकल्प खोजने के लिए राज्य सरकार ने जिला प्रशासन के माध्यम से साढ़े तीन वर्षों की कालावधि में करोड़ों रुपए खर्च कर जलयुक्त शिवार अभियान के कार्य किए। जिला प्रशासन ने भी कमर कसते हुए किसानों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने का प्रयास किया। इसमें किसानों के लिए सामूहिक खेत बाड़ियों समेत सार्वजनिक तालाबों का गहराईकरण और नदी एवं नालों पर बांध का निर्माणकार्य किया गया। मात्र इस वर्ष भी बारिश की बेरुखी ने किसानों को फिर एक बार संकट में डाल दिया है। नवतपा के बाद मृग और आद्रा नक्षत्र में हुई रिमझिम बारिश के भरोसे जिले के अनेक किसानों ने अपने खेतों में धान की बुआई की। धान के पौधे अब पूरी तरह रोपाई के लिए उपयुक्त हो गए तो, रोपाई कार्य के लिए अब पर्याप्त पानी की आवश्यकता है। लगातार दस दिनों से बारिश पूरी तरह थम जाने के कारण न तो जलयुक्त शिवार के तालाब और बाड़ियों में पानी का संचयन हो पाया हैं और न ही किसान रोपाई का कार्य आरंभ कर पा रहे हें। वित्तीय संकटों में फंसे किसानों ने इस वर्ष विभिन्न बैंकों से कर्जा उठाकर खेती करने की हिम्मत जुटाई, लेकिन खरीफ सत्र के शुरुआती दिनों से ही किसानों को अपनी फसलों को बचाने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है। 

ग्रीष्मकाल की तरह तपन  

पूर्वी विदर्भ के आदिवासी बहुल गड़चिरोली जिले में इस वर्ष ग्रीष्मकाल के दौरान सूरज ने अपने तेवर दिखाये।  ग्रीष्म में सर्वाधिक तापमान 46  डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया थ । मृग नक्षत्र आरंभ होने के बाद जिलावासियों ने थोड़ी ठंडक महसूस की, परंतु पिछले दस दिनों से एक बार फिर सूरज आग उगलने लगा है।  गड़चिरोली जिले का तापमान औसतन 33 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया था। जिसके चलते लोगों को भीषण गर्मी व उमस से परेशान होना पड़ रहा है। वहीं किसान बारिश की आस लगाए बैठे हैं। 

Created On :   24 July 2019 8:13 AM GMT

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