पद्मभूषण मौलाना अब्दुल करीम पारेख स्मृति व्याख्यानमाला में सीपी डॉ. उपाध्याय बोले- विद्या हमें चरित्रवान बनाती है

Padmabhushan Maulana Abdul Karim Parekh Memorial Lecture in nagpur
 पद्मभूषण मौलाना अब्दुल करीम पारेख स्मृति व्याख्यानमाला में सीपी डॉ. उपाध्याय बोले- विद्या हमें चरित्रवान बनाती है
 पद्मभूषण मौलाना अब्दुल करीम पारेख स्मृति व्याख्यानमाला में सीपी डॉ. उपाध्याय बोले- विद्या हमें चरित्रवान बनाती है

डिजिटल डेस्क, नागपुर। पुलिस उपायुक्त डॉ. भूषण कुमार उपाध्याय ने कहा कि विद्या हमें चरित्रवान बनाती है। शिक्षा से व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्माण होता है। वे  पद्मभूषण मौलाना अब्दुल करीम पारेख स्मृति पर "बढ़ती अमानवीयता : राष्ट्रीय प्रगति में बाधा" व्याख्यान माला के अवसर पर बोल रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज विश्वविद्यालय में किया गया। बतौर प्रमुख वक्ता शहर पुलिस आयुक्त डॉ. भूषणकुमार उपाध्याय थे। अध्यक्षता कुलगुरु डॉ. सिद्धार्थविणायक काणे ने की, प्रभारी कुलसचिव डॉ. नीरज खटी तथा पद्मभूषण मौलाना अब्दुल करीम पारेख के छोटे बेटे अब्दुल मजीद पारेख भी मंच पर आसीन थे।  कार्यक्रम की शुरुआत यूनिवर्सिटी के गीत तथा दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई। पश्चात मुख्य अतिथि व मुख्य वक्ता पुलिस आयुक्त डॉ. भूषणकुमार उपाध्याय काे सम्मान चिह्न व ग्राम गीता देकर सम्मानित किया गया।

शिक्षा से व्यक्तित्व का निर्माण

मौलाना अब्दुल पारेख से हजरत मोहम्मद साहब पर लिखे एक आर्टिकल में बहुत सहकार्य किया, उनके विचार मजहब से हटकर इंसानियत को प्रेरणा देते थे। यह विचार डॉ. उपाध्याय ने रखे। आगे कहा कि, मनुष्य  व पशु में कई समानताएं हैं, लेकिन हमारी तर्कशक्ति ही हमे पशु से अलग बनाती है। विद्या चरित्रवान बनाती है तो  धर्म हमें स्वतंत्रता देता है और ईश्वर के नजदीक ले जाता है। सभी धर्म आध्यात्मिकता और सभी का सम्मान करने की सीख देते है। लेकिन शिक्षा से हमारा व्यक्तित्व निर्माण होता है और हमारी व्यवहार क्षमता भी निखरती है।

युवावर्ग द्वारा यातायात नियमों की  अनदेखी पर उन्होंने खेद भी व्यक्त किया। अब्दुल मजीद पारेख ने कहा कि इंसानियत ही धर्म है, जिन देशों ने भी मजहब को ज्यादा महत्व दिया,  वहां अमन और शांति ही नहीं रही है। मौलानाजी की विचारधारा सभी धर्म के लोगों को साथ जोड़े रखने की थी। मौजूदा समय में राष्ट्रीय चरित्र गायब हो रहा है, आज हम व्यक्तित्व विकास पर जोर दे रहे है, लेकिन चरित्र पर नहीं। इसके बाद कुलगुरु डॉ. काणे ने भी अपने विचार रखे।  संचालन डॉ. वीणा दाढ़े ने एवं आभार डॉ. नीरज खटी ने माना।

Created On :   22 Sep 2018 8:50 AM GMT

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