भूकंप निरोधक तकनीक का उपयोग, 131 साल पहले बना था 'बलदेव मंदिर'

Pannas Baldev Temple, which has its own identity in the country and the world.
भूकंप निरोधक तकनीक का उपयोग, 131 साल पहले बना था 'बलदेव मंदिर'
भूकंप निरोधक तकनीक का उपयोग, 131 साल पहले बना था 'बलदेव मंदिर'

डिजिटल डेस्क,पन्ना। मंदिरों की नगरी के रूप में प्रदेश एवं देश में प्रसिद्ध पन्ना में 131 साल पहले बनाया गया बलदेव मंदिर भी मौजूद है। मंदिर अपनी अनोखी स्थापत्य कला से देश एवं दुनिया के अनूठे मंदिरों में से एक प्रमुख मंदिर के रूप में पहचान बनाए हुए है। मंदिर का निर्माण महाराजा छत्रसाल की 10वीं पीढ़ी पन्ना नरेश महेंद्र महाराज रूद्रप्रताप सिंह जूदेव ने संवत 1933 में कराया था।

गौरतलब है कि 131 साल पुराने इस मंदिर का मानचित्र इटली के इंजीनियर मि.मैनले ने तैयार किया था, जो लंदन सेंट पॉल गिरजाघर के आकृति से मिलता-जुलता है। इस अनूठे मंदिर में यूरोपीय और भारतीय संस्कृति के दर्शन होते हैं। मंदिर का भव्य प्रवेश द्वार आर्कषक तथा पत्थरों से बनाया है। मंदिर के गर्भगृह के पहले विशाल महामंडप विशिष्ठ महरावों से सुसज्जित है। महामंडप 16 स्तभों पर खड़ा है। बाहर विशाल आयताकर चौगान है। मंदिर के निर्माण में भगवान श्रीकृष्ण की 16 कलाओं की याद ताजा करने के लिए यूरोपीय शैली के 16 दरवाजे, 16 खिड़की एक ही पत्थर से निर्मित हैं। 

आदम कद प्रतिमा

दरवाजे और खिड़कियों के ऊपर त्रिभुजाकार मेहराव कारीगरी का अलग की नजारा है। मंदिर का आधार विशेष ऊंचाई देकर बनाया गया है। गर्भगृह में भगवान बलदेव जी की आदम कद प्रतिमा स्थापित है। भगवान का आयुध हल तथा मुसल है जो किसानों का प्रतिनिधत्व करता है। गुंबदों का आकार महरावों पर नट मंडप तथा भोग मंडप युक्त है। मंदिर के ऊपरी भाग पर सोने से बनी गुंबद है जिसके चारों कोनों पर छोटे-छोटे आकार के गुंबद हैं। गुंबदों में नक्कासी युक्त जाली है। मंदिर के ऊपरी भाग के बाहर चारों स्तम्भों के ऊपर छोटी गुंबदों में से बड़े चार गुंबद डपरी भाग को कसे हुए प्रतीत होते हैं।

मंदिर का निर्माण वास्तुशास्त्र की परिधि में

मंदिर की यह भव्यता सेंटपाल केथेड्रल से भी भव्य लगती है। मंदिर का निर्माण वास्तुशास्त्र की परिधि में हुआ है। निर्माण में भूकंप निरोधक तकनीकी अपनाई गई है। बल्देव जी मंदिर का निर्माण और अजयगढ़ घाटी के निर्माण में खर्च हुई राशि में एक पाई का अंतर आया था। 

वृंदावन से लाई गई थी प्रतिमा
महाराज रूद्रप्रताप सिंह जूदेव भगवान श्रीकृष्ण तथा श्री बलराम जी के भक्त थे। महाराज शेषावतार ने बलराम की शालीगराम प्रतिमा को वृंद्रावन से लाकर मंदिर में भव्यता के साथ प्राण प्रतिष्ठा कराई थी। मंदिर में भगवान बलराम की जंयती हलधर षष्ठी का त्यौहार भव्य रूप में हर साल मनाया जाता है। पंडित रामकिशोर मिश्रा ने बताया कि ये मंदिर अनेकता में एकता के भावों को रेखांकित करता है। 

Created On :   13 Aug 2017 3:23 AM GMT

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