मेयो में मेडिकल फिटनेस के लिए आते हैं 6 जिले के कर्मचारी, सुविधाओं के अभाव में लगाने पड़ते हैं चक्कर

Patients facing problems due to irregularities in Mayo hospital
मेयो में मेडिकल फिटनेस के लिए आते हैं 6 जिले के कर्मचारी, सुविधाओं के अभाव में लगाने पड़ते हैं चक्कर
मेयो में मेडिकल फिटनेस के लिए आते हैं 6 जिले के कर्मचारी, सुविधाओं के अभाव में लगाने पड़ते हैं चक्कर

डिजिटल डेस्क, नागपुर। ड्यूटी पर गैरहाजिर शासकीय कर्मचारियों की विभाग प्रमुख के आदेश पर मेडिकल बोर्ड से जांच कराई जाती है। इसके लिए इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज (मेयो अस्पताल) को अधिकृत किया गया है। नागपुर विभाग के छह जिलों के शासकीय कर्मचारियों को यहां बोर्ड के सामने आना पड़ता है। एक समय में करीब 50 कर्मचारी आते हैं और मेयो अस्पताल प्रशासन ने छह जिलों के लिए महीने में केवल दो दिन ही मेडिकल बोर्ड रखा है। दो दिन नाकाफी होने से कई बार कर्मचारियों को वापस लौटना पड़ता है और एकदम से वर्क लोड बढ़ने से डाक्टरों का काम भी सफर होता है। 

गड़चिरोली से आते हैं सबसे अधिक कर्मचारी
नागपुर विभाग के तहत नागपुर, वर्धा, चंद्रपुर, भंडारा, गोंदिया व गड़चिरोली जिला आता है। लंबे समय तक ड्यूटी पर गैरहाजिर रहने पर विभाग प्रमुख संबंधित कर्मचारी की मेडिकल बोर्ड से जांच करने के निर्देश देता है। इस संंबंध में एक पत्र कर्मचारी व एक पत्र डाक से मेयो अस्पताल भेजा जाता है। देखने में यह आया है कि कई बार कर्मचारी अस्पताल पहुंचता है, लेकिन डाक से आने वाला पत्र समय पर नहीं पहुंच पाता। कर्मचारी को बैरंग लौटना पड़ता है। इसी तरह एक दिन में 50 या उससे ज्यादा कर्मचारियों की मेडिकल जांच करना मुश्किल हो जाता है। इसका सीधा असर डाक्टरों के कामकाज पर पड़ता है। कर्मचारियों को भी जांच के लिए घंटों खड़े रहना पड़ता है।

कर्मचारी जांच के लिए करीब 300 किमी दूर से आते हैं। सबसे ज्यादा कर्मचारी नक्सल प्रभावित गडचिरोली जिले से आते हैं। गडचिरोली के लिए नागपुर से ट्रेन नहीं है। जांच का एक मौका मिस हुआ तो सीधे 15 दिन इंतजार करना पड़ता है। अगर मेडिकल बोर्ड महीने में चार बार बैठे तो कर्मचारियों को राहत मिलने के अलावा डाक्टरों का वर्क लोड भी कम हो सकेगा। 

चंद्रपुर में मेडिकल कालेज पर जांच की व्यवस्था नहीं 
नागपुर के अलावा चंद्रपुर में मेडिकल कालेज है, लेकिन शासकीय कर्मचारियों के मेडिकल बोर्ड की व्यवस्था अब तक चंद्रपुर में नहीं हो सकी है। राज्य के वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार चंद्रपुर के हैं। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री हंसराज अहिर भी चंद्रपुर के हैं। इसके बावजूद चंद्रपुर व गडचिरोली के कर्मचारियों को ढाई सौ-तीन सौ किमी का सफर तय करके नागपुर आना पड़ता है। यह नीतिगत मामला होने से इसका निर्णय सरकार ही ले सकती है। चंद्रपुर में यह व्यवस्था शुरू हुई तो नागपुर में इलाज के लिए आनेवाले कर्मचारियों की संख्या आधी हो सकती है। 

डाक्टरों से चर्चा कर रास्ता निकालने की कोशिश होगी 
नागपुर विभाग के छह जिलों के शासकीय कर्मचारी व अधिकारियों के लिए मेडिकल बोर्ड की व्यवस्था मेयो अस्पताल में है। सबसे ज्यादा कर्मचारी गडचिरोली के रह सकते हैं। महीने में दो दिन मेडिकल बोर्ड बैठता है। तीन डाक्टरों का बोर्ड होता है, इसके अलावा संबंधित बीमारी के विशेषज्ञ डाक्टरों से भी संबंधित कर्मचारी की जांच पड़ताल की जाती है। डाक्टरों के दैनिक कार्य प्रभावित न हो इसका भी ख्याल रखना है। कर्मचारियों की सुविधा व डाक्टरों पर वर्क लोड न बढ़े यह उद्देश्य सामने रखकर डाक्टरों से चर्चा कर रास्ता निकालने की कोशिश करुंगा। डाक्टरों ने हामी भरी तो महीने में तीन-चार बार भी मेडिकल बोर्ड रखा जा सकता है। चंद्रपुर में मेडिकल बोर्ड शुरू हुआ तो निश्चितही कर्मचारियों की संख्या कम होगी। 
 - डा. अजय केवलिया, अधिष्ठाता मेयो अस्पताल नागपुर


 

Created On :   22 Feb 2019 9:48 AM GMT

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