27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं में संशोधन की अनुमति

Permission to amend petitions challenging obc reservation
27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं में संशोधन की अनुमति
27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं में संशोधन की अनुमति

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। हाईकोर्ट ने 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं में संशोधन की अनुमति प्रदान कर दी है। जस्टिस सुजय पॉल और जस्टिस बीके श्रीवास्तव की युगल पीठ ने ओबीसी आरक्षण से संबंधित सभी याचिकाओं की एक साथ सुनवाई करने का निर्देश दिया है। याचिका की अगली सुनवाई 21 अगस्त को नियत की गई है।

आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती

असिता दुबे, यूथ फॉर इक्वॉलिटी, नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच और प्रत्युश द्विवेदी की ओर से अलग-अलग याचिकाएं दायर कर मध्यप्रदेश में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण लागू किए जाने को चुनौती दी गई है। सभी याचिकाओं में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा इंदिरा साहनी मामले में पारित निर्णय के अनुसार आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती है। 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण लागू होने से आरक्षण की सीमा बढ़कर 63 प्रतिशत हो गई है। यदि इसमें 10 प्रतिशत सवर्ण आरक्षण को जोड़ दिया जाए तो वर्तमान में मध्यप्रदेश में आरक्षण 73 प्रतिशत हो गया है। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच और यूथ फॉर इक्वॉलिटी की ओर से कहा गया कि राज्य सरकार द्वारा ओबीसी आरक्षण पर जारी अध्यादेश के खिलाफ याचिका दायर की गई थी। सरकार ने 8 जुलाई को 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण का कानून विधानसभा से पारित करा लिया है। इसलिए उन्हें याचिका में संशोधन की अनुमति दी जाए। युगल पीठ ने याचिका में संशोधन की अनुमति देते हुए ओबीसी आरक्षण से संबंधित सभी याचिकाओं की एक साथ सुनवाई करने का निर्देश दिया है।

प्रदेश में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण उचित 

ओबीसी छात्रों और ओबीसी संगठनों की ओर से 27 प्रतिशत आरक्षण के पक्ष में इंटरवीनर आवेदन और केविएट भी दायर की गई है। अधिवक्ता रामेश्वर सिंह का कहना है कि महाजन कमीशन की रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश में ओबीसी की आबादी 54.8 प्रतिशत है। इसलिए 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण उचित और न्यायसंगत है।
 

Created On :   17 Aug 2019 8:32 AM GMT

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