मोदी सरकार के MSP के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका, कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब

Petition filed in High Court against Modi Government for MSP
मोदी सरकार के MSP के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका, कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब
मोदी सरकार के MSP के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका, कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर केंद्र सरकार की ओर से खरीफ की फसलों पर डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) देने के निर्णय को आंखो में धूल झोंकने वाला व नियमों के विपरीत बताया गया है। यह याचिका सतारा के किसान राजेश शिंदे ने दायर की है।

जस्टिस नरेश पाटील व जस्टिस गिरीष कुलकर्णी की बेंच ने याचिका पर गौर करने के बाद केंद्र सरकार को याचिका में उठाए गए मुद्दे को लेकर अपनी भूमिका स्पष्ट करने का निर्देश दिया है। याचिका के अनुसार कृषि उत्पादों को उचित मूल्य न मिलने के चलते कई किसानों को आत्महत्या जैसा आत्मघाती कदम उठाना पड़ता है। अस्थिर कृषि नीति के चलते छोटे भूखंड वाले किसान मजदूर बन गए हैं। याचिका के मुताबिक केंद्र सरकार ने खरीफ की फसलों के लिए लागत से डेढ़ गुना अधिक मूल्य देने की घोषणा की है। याचिका में दावा किया गया है कि सरकरा ने यह निर्णय नियमों के विपरीत जाकर लिया है। 

याचिका के अनुसार सरकार ने इस संबंध में कृषि आयोग की ओर से दिए गए निर्देशों का पालन नहीं किया है। इसके अलावा आयोग में किसानों के प्रतिनिधि को स्थान नहीं दिया गया है। याचिका में दावा किया गया है कि गलत आकड़ों के आधार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य के संबंध में निर्णय लिया गया है। कृषि उत्पादों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करते समय बीज की कीमत, खाद व औजारों की खरीद पर खर्च हुई राशि, पारिवारिक खर्च के अलावा जमीन कर, कृषि उत्पादों की ढुलाई व मार्केटिंग के खर्च के पहलू पर विचार होना चाहिए।

इस बार न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करते समय जमीन के कर, कृषि उत्पाद की ढुलाई व मार्केटिंग खर्च पर गौर नहीं किया गया है। याचिका में मांग की गई है कि सरकार को नए सिरे से न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने का निर्देश दिया जाए और कृषि आयोग में किसानों के प्रतिनिधियों को भी स्थान दिया जाए।

Created On :   11 Aug 2018 2:35 PM GMT

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