पार्षदों के लिए भी तय हो चुनाव खर्च की सीमा, हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर

Petition filed in high court regarding the election expenses of Councillors
पार्षदों के लिए भी तय हो चुनाव खर्च की सीमा, हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर
पार्षदों के लिए भी तय हो चुनाव खर्च की सीमा, हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। हाईकोर्ट में महापौर और नगर पालिका अध्यक्ष की तरह पार्षदों के लिए भी चुनाव खर्च की सीमा तय करने जनहित याचिका दायर की गई है। जस्टिस आरएस झा और जस्टिस संजय द्विवेदी की युगल पीठ ने प्रांरभिक सुनवाई के बाद याचिका की सुनवाई 25 मार्च को नियत की है। याचिका में राज्य सरकार, राज्य निर्वाचन आयोग और विधि विभाग के प्रमुख सचिव को पक्षकार बनाया गया है।

नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ. पीजी नाजपांडे और रजत भार्गव की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि राज्य निर्वाचन आयोग और राज्य सरकार ने स्स्थानीय निकाय के चुनाव में महापौर और नगर पालिका अध्यक्ष के लिए चुनाव खर्च की सीमा तय की है। महापौर और नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव लड़ने वालों को रोजाना चुनाव खर्च का ब्यौरा देना अनिवार्य किया गया है, लेकिन पार्षदों के लिए चुनाव खर्च की सीमा तय नहीं की गई है। चुनाव खर्च की सीमा तय नहीं होने से पार्षदों के चुनाव में अनाप-शनाप खर्च किया जा रहा है। इसकी वजह से साधारण व्यक्ति का पार्षद का चुनाव लड़ना मुश्किल हो गया है। इससे चुनाव की निष्पक्षता और पारदर्शिता समाप्त हो रही है।

याचिकाकर्ताओं ने केन्द्रीय चुनाव आयोग, राज्य निर्वाचन आयोग और राज्य सरकार को पत्र लिखकर पार्षदों के लिए चुनाव खर्च की सीमा तय करने का अनुरोध किया था, लेकिन चुनाव खर्च की सीमा तय करने पर कोई निर्णय नहीं लिया। प्रांरभिक सुनवाई के बाद याचिका की अगली सुनवाई 25 मार्च को नियत की है। याचिका में अधिवक्ता पराग चतुर्वेदी पैरवी कर रहे हैं।

ये है खर्च की सीमा
राज्य निर्वाचन आयोग ने महापौर के लिए 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहर में 35 लाख और 10 लाख से कम आबादी वाले शहर में चुनाव खर्च की सीमा 15 लाख रुपए तय की है। नगर पालिका अध्यक्ष के लिए चुनाव खर्च की सीमा एक लाख से अधिक आबादी वाले क्षेत्र में 15 लाख, एक लाख से 50 हजार तक आबादी वाले क्षेत्र में 6 लाख और 50 हजार से कम आबादी वाले क्षेत्र में 4 लाख रुपए तय की गई है।

अधिवक्ताओं को मिलेगी पांच हजार रुपए पेंशन
सरकारी कर्मचारियों की तरह अब अधिवक्ताओं को भी पेंशन मिल सकेगी। स्टेट बार काउंसिल द्वारा जल्द ही अधिवक्ताओं के लिए पांच हजार रुपए प्रतिमाह सेवा पेंशन देने का प्रस्ताव लाया जा रहा है। प्रस्ताव पारित होने के बाद सेवा पेंशन योजना को लागू कर दिया जाएगा। स्टेट बार काउंसिल के प्रवक्ता राधेलाल गुप्ता और सदस्य आरके सिंह सैनी ने बताया कि सेवा पेंशन योजना में उन अधिवक्ताओं को शामिल किया जाएगा, जिनकी आयु 65 वर्ष हो चुकी है, या फिर ऐसे अधिवक्ता जिनकी वकालत 40 वर्ष की हो चुकी है। इस योजना के तहत अधिवक्ताओं को पांच हजार रुपए प्रतिमाह की पेंशन प्रस्तावित की गई है। पेंशन के लिए संबंधित अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष और सचिव यह प्रमाणित करेंगे कि संबंधित अधिवक्ता नियमित वकालत से जुड़ा हुआ है। इसके साथ ही संघ का नियमिति सदस्य है।

प्रदेश में एक लाख अधिवक्ता
मध्यप्रदेश में अधिवक्ताओं की संख्या एक लाख से अधिक है, जिसमें लगभग 80 हजार अधिवक्ता नियमित वकालत कर रहे हैं। जब तक अधिवक्ता वकालत करते रहते हैं, तब तक तो उनके पास नियमित आय का जरिया होता है। वृद्ध होने के बाद उनकी आर्थिक हालत खराब हो जाती है। इसको देखते हुए स्टेट बार काउंसिल ने अधिवक्ताओं के लिए पेंशन योजना शुरू करने का प्रस्ताव तैयार किया है।

Created On :   17 March 2019 12:02 PM GMT

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