दूषित सैनिटरी नैपकिन को लेकर NGT में याचिका

Petition in NGT against contaminated sanitary napkins in nagpur
दूषित सैनिटरी नैपकिन को लेकर NGT में याचिका
दूषित सैनिटरी नैपकिन को लेकर NGT में याचिका

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कचरे के बेहतर व्यवस्थापन को लेकर दो साल पहले घनकचरा व्यवस्थापन नियमावली बनाई गई लेकिन इस नियमावली का खुलेआम उल्लंघन देखा जा रहा है। नियमावली के तहत पर्यावरण संतुलन बनाने के लिए सभी प्रकार के कचरों का वैज्ञानिक प्रक्रिया से व्यवस्थापन करना अनिवार्य किया गया है। गंदे सैनिटरी नैपकिन से स्वास्थ्य और पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। इस लिहाज से नियमावली में सैनिटरी नैपकिन निर्माता कंपनी को खराब नैपकिन के व्यवस्थापन का भी जिम्मा दिया गया है, लेकिन निर्माता कंपनियों द्वारा जिम्मेदारी नहीं उठायी जा रही है। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) की पुणे बेंच में याचिका दायर की गई है। याचिका में सैनिटरी नैपकिन के व्यवस्थापन में लापरवाही को लेकर नागपुर मनपा को भी कटघरे में खड़ा किया गया है।

ऐसी होनी चाहिए व्यवस्था
सालिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स 2016 के तहत निर्माता कंपनियों को सैनिटरी नैपकिन के साथ पाऊच भी उपलब्ध कराना होता है। इस पाऊच की सहायता से खराब नैपकिन को बंद कर सुरक्षित रूप से निस्सारण (व्यवस्थापन) के लिए भेजना होता है। इतना ही नहीं खराब नैपकिन के सुरक्षित रूप से व्यवस्थापन और संकलन के लिए स्थानीय प्रशासन को निधि भी सैनिटरी निर्माता कंपनियों मुहैया करानी है। बावजूद इसके इन कंपनियों द्वारा कभी भी सैनिटरी नैपकिन के साथ पाऊच नहीं दिया जाता है। इतना ही नहीं खराब नैपकिन के संकलन और व्यवस्थापन के लिए भी सहायता नहीं दी गई।

वहीं दूसरी ओर पुणे, मुंबई और नागपुर मनपा ने भी खराब नैपकिन के संकलन और व्यवस्थापन के लिए अलग से व्यवस्था नहीं की है। यही वजह है कि खराब नैपकिन को सामान्य कचरे के साथ ही संकलित किया जा रहा है। सामान्य कचरे के साथ खराब नैपकिन के होने से पर्यावरण के साथ ही संकलन करने वालों को भी बीमारियों का सामना करना पड़ता है। हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने खराब नैपकिन के व्यवस्थापन के लिए इन्सीनेटर को बेहतर उपाय बताया है। कचरा संकलन एजेंसी को खराब नैपकिन को इन्सीनेटर में 800 डिग्री सेल्सियस तापमान पर नष्ट करने का जिम्मा होता है, लेकिन उपराजधानी में मेडिकल बायोवेस्ट संकलन करने वाली सुपर हाइजिन संस्था को सैनिटरी नैपकिन संकलन का निर्देश नहीं दिया गया है।

शहर में मौजूद नहीं है व्यवस्था
शहर में सैनिटरी नैपकिन, डाइपर्स व अन्य दूषित कचरे के व्यवस्थापन को लेकर कोई व्यवस्था मौजूद नहीं है। इन दूषित डाइपर्स को भी अन्य कचरे के साथ संकलित कर डंपिग यार्ड में भेजा जाता है। इतना ही नहीं अधिकांश घरों के शौचालय में अथवा परिसर में फेंक दिया जाता है, जिससे संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा रहता है, लेकिन मनपा के स्वास्थ्य विभाग द्वारा सैनिटरी नैपकिन समेत अन्य दूषित कचरे के संकलन और व्यवस्थापन की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। NGT में याचिका दायर होने के बाद मनपा ने शहर में 4 गर्ल्स होस्टेल और 1 अपार्टमेंट में प्रायोगिक तौर पर व्यवस्था की है।

इन स्थानों पर डिब्बे लगाकर सैनिटरी नैपकिन एवं अन्य दूषित साम्रगी को संकलित किया जाएगा। इस डिब्बे से संकलन कर इन्सिनेटर में नष्ट करने का जिम्मा सुपरहाइजिन संस्था को दिया गया है। हालांकि शहर की आबादी को देखते हुए इस प्रयास को ऊंट के मुंह में जीरा ही माना जा सकता है। शहर के अन्य इलाकों के खराब सैनिटरी नैपकिन एवं दूषित सामग्री अब भी सामान्य कचरे के साथ भांडेवाड़ी में पहुंच रहा है। जिसके चलते गंभीर खतरे निर्माण होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।

पीछे हटी NGO
पिछले साल गैर सरकारी संस्था स्वच्छ एसोसिएशन द्वारा शहर मेंे खराब सैनिटरी नैपकिन संकलित करने की अभियान का प्रस्ताव रखा गया था। इसके तहत अपार्टमेंट एवं गर्ल्स होस्टेल से खराब पैड को मनपा स्वास्थ्य विभाग के विशेष डिब्बे की सहायता से संकलित कर सुपरहाइजिन संस्था को देना था। सुुपरहाइजिन के वाहन में संकलित वेस्ट को भांडेवाड़ी के डंपिग यार्ड के इन्सिनेटर में नष्ट किया जाना था। इस व्यवस्थापन के बदले में सुपरहाइजिन संस्था को अपार्टमेंट एवं गर्ल्स होस्टेल वालों को निर्धारित शुल्क देने का भी प्रस्ताव बनाया गया था। स्वच्छ एसोसिएशन संस्था ने अपार्टमेंट को प्रतिमाह 30 रुपए प्रति फ्लैट एवं गर्ल्स होस्टेल में प्रति युवती 10 रुपए शुल्क वसूली का प्रस्ताव बनाया था। हालांकि मनपा के स्वास्थ्य विभाग ने स्वच्छ संस्था के प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया।

मनपा स्वास्थ्य विभाग का तर्क था कि शहर में सैनिटरी पैड के संकलन और व्यवस्थापन के लिए उपाययोजना तैयार की जा रही है। इतना ही नहीं सैनिटरी नैपकिन संकलन और व्यवस्थापन की जिम्मेदारी सैनिटरी नैपकिन निर्माता कंपनियों का दायित्व है। इसके काम के लिए मनपा और यूजर महिलाओं पर आर्थिक बोझ नहीं डाला जा सकता है। कुछ माह पहले मनपा ने गैर सरकारी संस्थाओं से शहर में संकलन और व्यवस्थापन की जगहों को निर्धारित करने में सहयोग मांगा था, लेकिन किसी भी गैर सरकारी संस्था ने दिलचस्पी नहीं दिखाई।
 

Created On :   30 May 2018 10:27 AM GMT

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