सामान्य वर्ग आरक्षण : 124वें संविधान संशोधन बिल के खिलाफ SC में याचिका दाखिल

Petition in SC against 10% reservation to general categorys poor
सामान्य वर्ग आरक्षण : 124वें संविधान संशोधन बिल के खिलाफ SC में याचिका दाखिल
सामान्य वर्ग आरक्षण : 124वें संविधान संशोधन बिल के खिलाफ SC में याचिका दाखिल
हाईलाइट
  • 124वें संविधान संशोधन विधेयक को संसद से पास होते ही सुप्रीम कोर्ट में मिली चुनौती
  • आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों को 10 फीसदी आरक्षण देता है 124वां संविधान संशोधन विधेयक
  • यूथ फॉर इक्वलिटी नाम के एक NGO ने बिल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में लगाई है याचिका

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों को 10 फीसदी आरक्षण देने सम्बंधी 124वें संविधान संशोधन विधेयक के संसद से पास होने के एक दिन बाद ही सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी गई है। यूथ फॉर इक्वलिटी नाम के एक NGO ने इस बिल के खिलाफ यह याचिका दायर की है।

याचिका में कहा गया है, यह बिल संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरक्षण की सीमा 50 फीसदी तय की गई है, इससे ज्यादा आरक्षण असंवैधानिक है। याचिका में आर्थिक आधार पर महज सामान्य वर्ग के लोगों को आरक्षण देना भी अंसवैधानिक बताया है।

गौरतलब है कि आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग को सरकारी शिक्षा और नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था करने के लिए 124वां संविधान संशोधन विधेयक संसद से पास कर दिया गया है। बुधवार को राज्यसभा से इस बिल को पास किया गया। बिल के समर्थन में 165 वोट गिरे, जबकि विरोध में 7 सांसदों ने वोट किए। लोकसभा से यह बिल मंगलवार को ही पास किया जा चुका है। अब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर के बाद गरीब सवर्णों के लिए तुरंत आरक्षण की व्यवस्था लागू कर दी जाएगी।

बता दें कि पिछले दो दिनों में लोकसभा और राज्यसभा में बिल पर लम्बी चर्चा हुई। इस दौरान सत्तापक्ष के नेताओं ने जहां इस बिल पर मोदी सरकार की पीठ थपथपाई, वहीं विपक्षी पार्टियों ने बिल का समर्थन तो किया लेकिन साथ ही इसे मोदी सरकार का नया चुनावी जुमला भी करार दिया। विपक्षी दलों ने इस दौरान कहा कि सरकार ने लोकसभा चुनाव को देखते हुए सामान्य वर्ग को लुभाने के मकसद से बिल को जल्दबाजी में संसद में पेश किया। विपक्षी नेताओं का कहना था कि आने वाले समय में सुप्रीम कोर्ट इस संशोधन बिल को रद्द कर देगा, क्योंकि 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण संविधान की मूल भावना के खिलाफ है।

दोनों ही सदनों में विपक्षी के कई सांसदों ने इस विधेयक को सिलेक्ट कमिटी के पास भेजने की भी मांग की। लेकिन दोनों ही सदनों में ऐसे प्रस्तावों को वोटिंग के दौरान खारिज कर दिया गया। अन्य सांसदों के संशोधन प्रस्ताव को भी भारी मतों से खारिज कर दिया गया।
 

Created On :   10 Jan 2019 12:03 PM GMT

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