पितृमोक्ष अमावस्या: इस दिन करें सभी पितरों को विदा 

पितृमोक्ष अमावस्या: इस दिन करें सभी पितरों को विदा 

डिजिटल डेस्क, भोपाल। सर्वपितृ या पितृमोक्ष अमावस्या श्राद्धपक्ष का अंतिम दिन होता है। ये तिथि इस बार 8 और 9 अक्टूबर दोनों दिन आ रही है। इस दिन सभी पितरों को विदा किया जाता है। इसी दिन ज्ञात-अज्ञात सभी पितरों का श्राद्ध भी किया जाता है। अश्विन मास की अमावस्या को पितरों की शांति का सबसे अच्छा मुहूर्त माना जाता है। दशहरे के पहले जो अमावस्या की रात आती है उसे महालया अमावस्या नाम से जाना जाता है। इसी दिन से दशहरे की शुरुआत हो जाती है। महालया, नवरात्र के प्रारंभ और पितृपक्ष के अंत का प्रतीक है। इस दिन पितृ हमसे विदा लेते हैं। इसलिए इस दिन सभी पितरों का स्मरण करना चाहिए।

पितृमोक्ष अमावस्या तिथि व मुहूर्त

सर्वपितृ अमावस्या तिथि - 8 अक्टूबर 2018, सोमवार
कुतुप मुहूर्त - 11:45 से 12:31 बजे तक
रौहिण मुहूर्त - 12:31 से 01:17 बजे तक 
अपराह्न काल - 01:17 से 03:36 बजे तक 
अमावस्या तिथि आरंभ - 11:31 बजे (8 अक्टूबर 2018)
अमावस्या तिथि समाप्त - 09:16 बजे (9 अक्टूबर 2018)

पितृमोक्ष अमावस्या का महत्व 

इस तिथि का महत्व इसीलिये है क्योंकि इस दिन सभी पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है। इस अमावस्या को श्राद्ध करने के पीछे मान्यता है कि इस दिन पितरों के नाम की धूप देने से मानसिक व शारीरिक तौर पर तो संतुष्टि प्राप्त होती ही है लेकिन साथ ही घर में भी सुख-समृद्धि आती रहती है। सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं। हालांकि प्रत्येक मास की अमावस्या तिथि को पिंडदान किया जा सकता है लेकिन अश्विन मास की अमावस्या विशेष रूप से शुभ फलदायी मानी जाती है। मान्यता है कि इस दिन पितृ अपने प्रियजनों के द्वार पर श्राद्ध की इच्छा लेकर आते हैं। यदि उन्हें पिंडदान न मिले तो शाप देकर चले जाते हैं जिसके फलस्वरूप घरेलू कलह बढ़ जाती है व सुख-समृद्धि में कमी आने लगती है और कार्य भी बिगड़ने लगते हैं।

श्राद्ध करने की विधि 

पितृमोक्ष अमावस्या को प्रात: स्नानादि के पश्चात गायत्री मंत्र का जाप करते हुए सूर्यदेव को जल अर्पित करना चाहिए। इसके पश्चात घर में श्राद्ध के लिए बनाए गए भोजन में से गाय, कुत्ते, कौए, देव एवं चीटिंयों के लिए थोड़ा निकालकर उन्हें दे दें। इसके पश्चात श्रद्धापूर्वक पितरों से मंगल की कामना करें। ब्राह्मण या किसी गरीब जरूरतमंद को इस दिन भोजन करवाना चाहिए। सामर्थ्य के अनुसार दान दक्षिणा भी करना चाहिए।

Created On :   7 Oct 2018 11:59 AM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story