ऊर्जा वन तैयार करने रोपे 30 हजार पौधे, 1 करोड़ खर्च, जंगलों में घुसपैठ रोकने कर रहे उपाय

Planted 30 thousand saplings to prevent the infiltration of forest
ऊर्जा वन तैयार करने रोपे 30 हजार पौधे, 1 करोड़ खर्च, जंगलों में घुसपैठ रोकने कर रहे उपाय
ऊर्जा वन तैयार करने रोपे 30 हजार पौधे, 1 करोड़ खर्च, जंगलों में घुसपैठ रोकने कर रहे उपाय

डिजिटल डेस्क, उमरिया। वनों की सुरक्षा करने तथा वनों के अंदर ग्रामीणों की घुसपैठ रोकने के लिए गत वर्ष से वनमण्डल अंतर्गत ऊर्जा वन विकसित किए जा रहे हैं। दो वर्षो में अब तक कुल 130 हेक्टयर भूमि में 30 हजार पौधे रोपे गए हैं। इन पौधों में वे पौधे रोपे गए हैं, जिनसे केवल जलाऊ लकड़ी निकलती है। शासन का मानना है कि ग्रामीण अधिकांशत: जलाऊ लकड़ी के लिए वनों में घुसते हैं और पेड़ों की कटाई करते हैं। इससे वनों को नुकसान पहुंचता है, इसके अलावा वन्यजीवों के हमले में उन्हे भी नुकसान पहुंचता है। वनसीमाओं में गांवो के समीप खाली पड़ी पड़त भूमि में यदि पौधे लगा दिए जाएं तो आगामी कुछ वर्षों में जलाऊ लकड़ी का वन तैयार हो जाएगा और लोगों को वनो के अंदर जाने की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी।

अब तक इस कार्य में विभाग द्वारा 1 करोड़ रुपए व्यय किए गए हैं। वनों के पौधों की देखरेख ग्राम वन समितियों द्वारा की जा रही है। वृक्ष तैयार होने के बाद लकड़ी का वितरण ग्रामीणों को कब और किस तरह किया जाना है इसका निर्धारण समिति द्वारा ही तय किया जाएगा।

पहली बार 96 लाख, दूसरी बार 4 लाख मिला
गत वर्ष ऊर्जा वन का काफी कार्य किया गया था और शासन ने इसके लिए 96 लाख रुपए का बजट आवंटित किया था। उमरिया, पाली, नौरोजाबाद, चंदिया, घुनघुटी सभी पांच रेंजों में कुल 25 स्थलों में 5-5 हेक्टयर पर वन रोपे गए थे। उस वर्ष कुल 125 हेक्टयर पर पौधे लगाए गए थे। इस प्रक्रिया में कुल 25 हजार पौधे रोपे गए थे। इस वर्ष केवल नौरोजाबाद के बड़ा गांव जंगल में 5 हेक्टयर भूमि पर पौधे लगाए गए हैं। बताया गया कि यहां 5 हजार पौधे रोपे गए हैं और इसके लिए 4 लाख का बजट मिला है। बजट की कमी के कारण अन्य स्थलों में पौधे नहीं रोपे जा सके।

इन पौधों का हुआ उपयोग
उर्जा वन के लिए जलाऊ लकड़ी देने वाले पौधे चिरौल, टिशू, आंवला, करंज आदि के अधिकांश पौधे रोपे गए हैं। इन पौधों से इमारती लकड़ी नहीं मिलती है और इनकी लकड़ी भी अपेक्षाकृत बाजार मूल्य के हिसाब से सस्ती रहती है। वनों में घेरा बंदी करा दी गई है।

गत वर्ष प्रति स्थल एक हजार पौधों के मान से रोपणी कराई गई थी। इस वर्ष नौरोजाबाद में 5 हजार पौधे रोपे गए हैं। बताया गया कि घेरे बंदी करने के बाद वनों के अंदर मवेशियों का प्रवेश नहीं हो पाता है। इससे एक तो रोपे गए पौधे सुरक्षित रहते हैं और दूसरी ओर वे पौधे भी तैयार हो जाते हैं, जो जंगलों में बरसात में स्वयं उग जाते हैं। ऐसे पेड़ भी जलाऊ के काम आ जाते हैं।

लकड़ी का होगा बटवारा
वनों के तैयार हो जाने के बाद ग्राम वन समितियां उनकी कटाई के संबंध में निर्णय करेगी और वन विभाग को सूचना देते हुए पेड़ों की कटाई कराएंगी। इसके बाद वे निर्णय करेगी कि ग्रामीणों को लकड़ी किस तरह उपलब्ध कराई जाए। वे ग्रामीणों को लकड़ी का वितरण नि:शुल्क भी कर सकतीं हैं और परिस्थिति के अनुसार उनसे आंशिक शुल्क भी ले सकतीं हैं। इस तरह ग्रामीणों को सरलता से लकड़ी उपलब्ध हो सकेगी। इसके अलावा ग्रामीणों को खेतों की मेढ़ों में भी जलाऊ लकड़ी के पौधे लगाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है और उन्हे पौधे भी उपलब्ध कराए गए हैं।

इनका कहना है
ग्रामीणों की आवश्यकता पूर्ति तथा वनों की सुरक्षा के लिए शासन द्वारा ऊर्जा वन विकसित किए जा रहे हैं। अब तक वन मण्डल अंतर्गत इस पर करीब 1 करोड़ रुपए व्यय किए गए हैं।
एमएस भगदिया, डीएफओ, वनमण्डल उमरिया

Created On :   26 July 2018 9:22 AM GMT

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