अस्पताल में ओपीडी रूम का प्लास्टर गिरा,बाल बाल बचे डॉक्टर और मरीज

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अस्पताल में ओपीडी रूम का प्लास्टर गिरा,बाल बाल बचे डॉक्टर और मरीज

डिजिटल डेस्क, सतना। जिला अस्पताल की नई ओपीडी के कमरा नंबर 9 में दोपहर साढ़े 12 बजे डॉक्टर और मरीज उस वक्त चोटिल होने से बच गए जब छत का प्लास्टर गिर गया। जिस वक्त यह हादसा हुआ सर्जिकल विशेषज्ञ डॉ देवेन्द्र सिंह ओपीडी में मरीजों का इलाज कर रहे थे। गनीमत यह थी कि जहां डॉक्टर और मरीज बैठे थे मलवा उनके बगल में गिरा। डा. देवेन्द्र सिंह ने बताया कि मलवे का कुछ हिस्सा मरीज के ऊपर भी गिरा, अच्छी बात यह थी कि उसे चोट नहीं आई। उन्होंने बताया कि मलवा गिरने के बाद बाहर खड़े होकर मरीजों का इलाज करना पड़ा। ज्ञात हो कि इससे पहले भी नई ओपीडी के कमरा नंबर 8, 10 और 11 में छतों का मलवा गिर चुका है। जिनकी आज तक रिपेयरिंग नहीं कराई गई। अब तो डॉक्टर चेंबरों में बैठने से डरने लगे हैं। 

बीआरजीएफ फंड से हुआ था निर्माण
जिला अस्पताल में डायलिसिस यूनिट के सामने तकरीबन 6 साल पहले नई ओपीडी का निमार्ण कार्य चालू हुआ था। उक्त निर्माण कार्य बैकवर्ड रीजन्स ग्रांट (बीआरजीएफ) फंड से तकरीबन 90 लाख रुपए की लागत से निर्माण एजेंसी नगर निगम ने कराया था। वर्ष 2014 में ओपीडी तैयार होकर स्वास्थ्य विभाग को मिली थी। अब डॉक्टरों के चेंबरों के छत से लगातार गिर रहे प्लास्टर ने इस बात की पोल खोलकर रख दी है कि निमार्ण कार्य कितनी गुणवत्तापूर्ण तरीके से कराया गया था। अनुबंध के तहत निर्माण कार्य पूरा होने के अगले 2 सालों तक आने वाली गड़बड़ियों में रिपेयरिंग की जिम्मेदारी नगर निगम की थी, लेकिन कार्य हुए 4 साल से अधिक समय बीत चुका है।   

नए सिरे से होगी रिपेयरिंग
अब ओपीडी हाल की नए सिरे से रिपेयरिंग कराई जाएगी। अस्पताल प्रबंधन के मुताबिक कार्य के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी हो गई है। जल्द ही रिपेयरिंग कार्य प्रारंभ कराया जाएगा। सूत्र बताते हैं कि सभी दीवालों का प्लास्टर निकालकर दोबारा  कराया जाएगा साथ ही छत की भी मरम्मत कराई जाएगी।     

मरीजों की वजाए छत पर ध्यान
नई ओपीडी में सर्जिकल स्पेशलिस्ट, मेडिकल स्पेशलिस्ट, आर्थोपेडिक्स, शिशुरोग विशेषज्ञ, ईएनटी स्पेशलिस्ट, स्त्रीरोग विशेषज्ञ, एनसीडी स्पेशलिस्ट समेत कई मेडिकल ऑफीसर नई ओपीडी में ही मरीजों का स्वास्थ्य परीक्षण करते हैं। जिला अस्पताल के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो यहां रोज लगभग 1 हजार रोगी इलाज कराने आते हैं। दोपहर 1 बजे तक भीड़ रहती है। ऐसे में मरीजों को देखते वक्त डॉक्टरों का ध्यान छत पर होता है। क्योंकि कहां का प्लास्टर कब गिर जाए कुछ कहा नहीं जा सकता।
 

Created On :   4 Jun 2019 8:28 AM GMT

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