मालदीव के लिए रवाना पीएम मोदी, नए राष्ट्रपति सोलिह के शपथ समारोह में होंगे शामिल
- पीएम मोदी मालदीव के लिए रवाना
- प्रधानमंत्री के रूप में उनकी यह पहली मालदीव यात्रा होगी।
- मालदीव के नए राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह के शपथ समारोह में शामिल होने के लिए होंगे।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज (शनिवार) को मालदीव के नए राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह के शपथ समारोह में शामिल में होंगे। प्रधानमंत्री के रूप में उनकी यह पहली मालदीव यात्रा होगी। पीएम मोदी ने शुक्रवार को ट्वीट कर कहा, "मैं सोलिह की नई मालदीव सरकार को उनकी विकास की प्राथमिकताओं विशेषकर बुनियादी क्षेत्र, स्वास्थ्य देखभाल, संपर्क एवं मानव संसाधन को साकार करने के लिए मिलकर काम करने की भारत सरकार की इच्छा से अवगत कराऊंगा।
Recent elections in The Maldives represent the collective aspirations of the people for democracy, rule of law and a prosperous future. We in India strongly desire to see a stable, democratic, prosperous and peaceful Republic of Maldives.
— Narendra Modi (@narendramodi) November 16, 2018
पीएम मोदी ने सोलिह के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद उन्हें फोन पर बधाई भी दी थी। मोदी ने ट्वीट में लिखा, "मालदीव में हाल ही में हुआ चुनाव लोकतंत्र, कानून का शासन एवं समृद्ध भविष्य के लिए लोगों की सामूहिक आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है। पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के चीन की ओर झुकाव से भारत की चिंता बढ़ी हुई थी। अब प्रधानमंत्री मोदी का मालदीव दौरा पड़ोसी देश के साथ भारत के संबंधों में सुधार का संकेत है। नए राष्ट्रपति सोलिह को चीन के कर्ज से उबरने के लिए भारत और अमेरिका से मदद मिलने की उम्मीद है।""
Prime Minister Narendra Modi leaves for Maldives to attend the inauguration ceremony of the President-elect Ibrahim Mohamed Solih in Malé pic.twitter.com/N9z7TbIl9q
— ANI (@ANI) November 17, 2018
सूत्रों की मानें तो मालदीव में नई सरकार के गठन के बाद भारत-मालदीव रिश्तों को फिर से पटरी पर लाने की कोशिश भी तेज हो जाएगी। वहीं इस मामले में विदेश मंत्रालय ने कहा कि प्रधानमंत्री ने मालदीव के नए राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने का न्यौता नेबरहुड फर्स्ट नीति को ध्यान में रखते हुए स्वीकार किया है।
गौरतलब है कि मालदीव से पिछले कुछ सालों में रिश्तों में काफी खटास आ गई थी।चीन का दखल बढ़ने के साथ ही भारत की भूमिका पर सवाल खड़े किए जा रहे थे। भारतीयों से भेदभाव, उन्हें वीजा और रोजगार न देने के मामलों ने दोनों देशों के रिश्ते में दरार पैदा कर दी थी। पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन को चीन का समर्थक माना जा रहा था।
Created On :   17 Nov 2018 7:19 AM GMT