देश के विकास के लिए युवाओं को मिले जिम्मेदारी : पीएम मोदी

PM Narendra Modi speech on National Legislators Conference at central hall parliament
देश के विकास के लिए युवाओं को मिले जिम्मेदारी : पीएम मोदी
देश के विकास के लिए युवाओं को मिले जिम्मेदारी : पीएम मोदी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को "नेशनल लेजिस्लेटर कॉन्फ्रेंस" का उद्घाटन किया। इस मौके पर पीएम मोदी ने सांसदों-विधायकों को भी संबोधित किया। पीएम मोदी ने कहा कि "हम सोशल जस्टिस पर बात करते हैं, तो ज्यादातर सोशल सिस्टम (सामाजिक व्यवस्था) की चर्चा करते हैं। अगर एक घर में बिजली है और बगल वाले घर में बिजली नहीं है, तो क्या सामाजिक न्याय की बात करने में ये जरूरी नहीं है कि हम सब बराबरी में आए।" इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि हमारे संविधान में भी सोशल जस्टिस की बात कही गई है। बता दें कि नेशनल लेजिस्लेटर कॉन्फ्रेंस 2 दिनों तक संसद के सेंट्रल हॉल में होगी। 
 

 

प्रधानमंत्री मोदी के भाषण की बड़ी बातें : 

 

- प्रधानमंत्री ने कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन करते हुए कहा कि "हमारे संविधान की विशेषता अधिकारों और कार्यों के बंटवारे के कारण नहीं है। देश में सदियों से बुराइयां घर कर गई थीं। मंथन से जो अमृत निकला उसे हमारे संविधान के अंदर जगह मिली, वो बात थी सामाजिक न्याय की। कभी-कभी ऐसा भी लगता है कि सामाजिक न्याय का एक और भी दायरा है। कोई मुझे बताए, एक घर में बिजली है, बगल के घर में बिजली नहीं है, क्या सामाजिक न्याय की ये जिम्मेदारी नहीं बनती है कि दूसरे घर में भी बिजली होनी चाहिए।"

- उन्होंने कहा कि "एक जिला आगे है, दूसरा पीछे है, क्या सामाजिक न्याय की बात करने में ये बाध्यता नहीं है कि वो जिला भी बराबरी में आए। इसलिए सामाजिक न्याय का सिद्धांत हम सबको दायित्व के लिए प्रेरित करता है। हो सकता है देश जहां सबकी अपेक्षा होगी वहां, नहीं पहुंचा होगा। पर राज्य में 5 जिले आगे पहुंचे हैं, तीन पीछे रह गए हैं। उन तीन को भी बराबरी पर लाया जा सकता है।"

- पीएम ने कहा "जो अच्छा करते हैं वो लगातार अच्छा करते चले जाते हैं, लेकिन जो पिछड़ गए हैं वो और पिछड़ने की दशा में आ जाते हैं। हमें और बारीकी में जाने की कोशिश करना चाहिए। राज्यों में फेडरलिज्म का माहौल बना है। राज्य और संसद के प्रतिनिधि बैठकर साथ चर्चा करते हैं। प्रतिस्पर्धा का माहौल बना है। पर देश जो अपेक्षा करता है, उसे पूरा करना है तो पुराने पैरामीटर से चलने पर परिणाम नहीं मिलेगा।"

- उन्होंने कहा कि ""स्वच्छता की जब रैंकिंग शुरू हुई तो एक कॉम्पिटीशन पैदा हुआ। एक नगर पीछे रह गया तो गांव के लोग ही आवाज उठाने लगे। आंदोलन खड़ा हुआ, देश क्यों आगे नहीं बढ़ रहा है? तो क्यों न हम देश में उन जिलों के लिए कुछ मापदंड तय करें? जिसका पब्लिकेशन हो चुका है उसे ही मानें और 48 पैरामीटर बनाएं। इसमें पीछे के जिले हैं, अनुभव ये आया कि जो 10 पैरामीटर में पीछे हैं तो वो सब में पीछे हैं।"

- उन्होंने कहा "उपलब्ध संसाधन से एक जिला आगे गया है तो दूसरा क्यों नहीं? इसमें लीडरशिप और गवर्नेंस का मसला है। इस मामले में सांसद और विधायक सभी कलेक्टर और अधिकारियों के साथ बैठें और चर्चा करें।"

- पीएम मोदी ने आगे कहा "मैं किसी की आलोचना करने के लिए नहीं कह रहा हूं। आम तौर पर जिले के कलेक्टर जो होते हैं उनकी उम्र 30 साल होती है। इन 115 जिलों में 80% से ज्यादा जो डीएम थे वो 40 की उम्र से ज्यादा थे, कोई 45 के भी थे। अब बताइए जो 45 का है उसके पास कई सारे निजी काम हैं। ज्यादातर स्टेट प्रमोटिव ऑफिसर हैं, उन्हें ही भेजा गया। वहीं से सोच बैठ गई है कि बैकवर्ड जिला है, इसे ही भेज दो।"

- पीएम ने कहा "हमें सोचना चाहिए कि अगले 5 साल में सिर्फ नए तेज डीएम को लगाइए, देखिए क्या अंतर आता है। मैं खुद इस बारे में कई राज्यों के सीएम से बात कर रहा हूं।"

- पीएम ने आखिरी में कहा कि "बराबरी के लिए सभी जिलों का विकास जरूरी है। पिछड़े जिलों का विकास हम सबका दायित्व है। जहां अफसरों और स्थानीय लीडरशिप ने मिशन मोड पर काम किया है और लोगों को जोड़ा है, वहां बेहतर काम हुआ है।"

Created On :   10 March 2018 5:55 AM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story