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पुनर्मूल्यांकन में पास हुए पर नहीं मिला एडमिशन, सीनेट की बैठक में सामने आई यूनिवर्सिटी की खामियां
डिजिटल डेस्क, नागपुर। यूनिवर्सिटी द्वारा मौजूदा शैक्षणिक सत्र 2018-19 के पोस्ट ग्रेजुएट एडमिशन के लिए अपनाई कई केंद्रीय प्रवेश प्रक्रिया (कैप) पर हुई सीनेट की बैठक में सदस्यों ने आपत्ति जताई। सदस्यों का आरोप है कि इस प्रक्रिया के कारण अनेक विद्यार्थियों को प्रवेश से वंचित रहना पड़ा। बता दें कि पोस्ट ग्रेजुएट एडमिशन के दौरान शहर के कई महाविद्यालयों में बड़े पैमाने पर अनियमितता बरती जाती है। ऐसे कई मामले सामने आने के बाद नागपुर यूनिवर्सिटी ने कैप के जरिए इस बार प्रवेश पूर्ण किए। लेकिन सीनेट में इसका विरोध हुआ।
सदस्य प्रवीण उदापुरे ने मुद्दा उपस्थित किया कि कैप के टाइट टाइमटेबल के कारण पुनर्मूल्यांकन में पास हुए विद्यार्थियों को एडमिशन नहीं मिल सके, यहां तक कि प्रवेश की अवधि बढ़ाने के बाद भी कइयों को एडमिशन नहीं मिले। वहीं एड. मनमोहन वाजपेयी ने आरोप लगाए कि इस प्रक्रिया में विद्यार्थियों की पात्रता जांचने की कोई यंत्रणा नहीं थी, यहां तक कि विद्यार्थियों को आक्षेप दर्ज कराने के लिए भी समय नहीं मिल सका। वहीं सफाई में प्र-कुलगुरु डॉ. प्रमोद येवले ने विविध अध्यादेश, शासन निर्णय का हवाला देते हुए भविष्य मंे इसे और अधिक पारदशी बनाने का आश्वासन दिया।
लाइब्रेरी की हालत खराब
सीनेट में नागपुर यूनिवर्सिटी की मुख्य लाइब्रेरी "भाऊसाहेब कोलते लाइब्ररी" की बदहाली का मुद्दा भी खूब गूंजा। यहां शुद्ध पेय जल नहीं है और टायलेट भी गंदे हैं। सीनेट सदस्य प्रशांत टेकाटे और शिलवंत मेश्राम ने यह समस्या सीनेट के सामने रखी। उन्होंने बताया कि उनके दो महीने लाइब्रेरी का निरीक्षण करने पर उन्होंने देखा कि लाइब्रेरी में अव्यवस्था व्याप्त है। नियमित सफाई नहीं होती। न तो उद्यान, न ही वाहन स्टैंड के लिए जगह निश्चित की गई है। लाइब्रेरी की कुर्सियां टूटी हुई हैं। पाइपलाइन से पानी बहता रहता है। ऐसी स्थिति में स्टूडेंट्स को यहां पढ़ाई करनी पड़ती है। मामले से यूनिवर्सिटी के आला अधिकारियों को अवगत कराए दो माह से अधिक का वक्त हो गया, किंतु हल नहीं निकला। इस पर विवि कुलगुरु डॉ. सिद्धार्थविनायक काणे ने ग्रंथपाल काले को संपूर्ण व्यवस्था के बारे में रिपोर्ट तैयार कर प्रस्तुत करने के आदेश दिए।
बिना अनुदानित कालेजों पर संकट और गहराया
सरकार द्वारा नियुक्तियों पर प्रतिबंध लगाने से यूनिवर्सिटी द्वारा कांट्रैक्ट बेसिस पर नियुक्तियां की जा रही हैं। इधर कालेजों में भी नहीं होने से दिक्कतें बढ़ रही हैं। बिना अनुदानित कालेजों में तो संकट और भी गहरा गया है। ऐसे में डॉ. बबनराव तायवाडे ने इस हालत में यूनिवर्सिटी से सेवानिवृत प्राध्यापकों को पुनर्नियुक्ति करने की अनुमति मांगी। जिसे यूनिवर्सिटी प्रशासन ने स्वीकृति दे दी। ऐसे में अब शिक्षक 65 वर्ष की उम्र तक अपनी सेवाएं दे सकेंगे। वहीं उधर नागपुर यूनिवर्सिटी में 92 शिक्षक कांट्रैक्ट बेसिस पर नियुक्त किए जा रहे हैं।सीनेट में जब इससे जुड़े प्रश्न उपस्थित करने की कोशिश की गई, तो कुलगुरु ने यह कह कर चर्चा टाल दी कि यह मैनेजमेंट काउंसिल में चर्चा का मुद्दा है। दरअसल कांट्रैक्ट बेसिस पर नियुक्तियों का यूनिवर्सिटी में सक्रिय शिक्षक संगठनों द्वारा शुरुआत से ही विरोध किया जा रहा है। नुटा सदस्य अजीत जाचक ने सीनेट में इन नियुक्तियों के प्रकार पूछे? उन्होंने तर्क दिया कि यूजीसी के डायरेक्शन में स्पष्ट किया गया है कि विवि प्रशासन केवल 10 फीसदी पदों पर ही कांट्रैक्ट शिक्षकों की नियुक्ति कर सकता है। ऐसे में इन नियुक्तियों से यूजीसी के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन हो रहा है। कुलगुरु ने सीनेट में इस पर चर्चा टाल दी।
Created On :   25 Oct 2018 10:26 AM GMT