निजी बिजली कंपनियों को RTI के दायरे में लाने की मांग 

Power companies should be brought under the purview of RTI act
निजी बिजली कंपनियों को RTI के दायरे में लाने की मांग 
निजी बिजली कंपनियों को RTI के दायरे में लाने की मांग 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बिजली कंपनियां मुंबई समेत राज्यभर में बिजली उपभोक्ताओं से मनमाने दाम वसूल रहीं हैं। इस पर लगाम लागाने के लिए बिजली कंपनियों को RTI के दायरे में लाया जाना चाहिए। यह मांग की है RTI कार्यकर्ता अनिल गलगली ने। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के अंधेरी स्थित आयटेक कार्यालय में इस मुद्दे पर आयोजित एक बैठक में गलगली ने कहा कि बिजली कंपनियां मनमाने तरीके के बिजली के दाम बढ़ातीं हैं। इस पर लगाम लगाने की जरूरत है और कंपनियों को सूचना देने के लिए बाध्य कर ऐसा किया जा सकता है।

गलगली ने कहा कि बिजली कंपनियों के मनमाने बिल के खिलाफ उपभोक्ताओं को तुरंत लिखित शिकायत करनी चाहिए। इसके अलावा भारतीय बिजली कानून 2003 के तहत अदालत का भी दरवाजा खटखटाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि अगर बिल उपभोग से ज्यादा आया है तो ऊर्जा और सार्वजनिक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता से शिकायत की जानी चाहिए क्योंकि वही लवादीय अधिकारी होते हैं और उनके पास कार्रवाई का अधिकार होता है। गलगली ने बताया कि बेस्ट और महावितरण कंपनियां RTI कानून के दायरे में आतीं हैं।

इसी तरह अगर सरकार अदानी, टाटा, टोरंटो और दूसरी बिजली कंपनियों को भी RTI के दायर में लाए तो बिजली उपभोक्ताओं को बेहिसाब बिजली बिलों से राहत मिल सकती है। बिजली क्षेत्र के जानकार अनिल गचके के मुताबिक फिलहाल बिजली नियामक आयोग में विशेषज्ञों की कमी है लेकिन सरकार इसे नजरअंदाज कर रही है। बिजली के दाम राज्य सरकार की मर्जी पर निर्भर है लेकिन सरकार उपभोक्ताओं के हित में निर्णय नहीं लेती। इसलिए जरूरी है कि आम लोग भी इसके खिलाफ उतरकर लड़ाई लड़ें। भाकपा के मुंबई सचिव प्रकाश रेड्डी ने निजी बिजली कंपनियों की मनमानी पर नियंत्रण रखने के लिए सरकार पर दबाव बनाना जरूरी है और इसके लिए जनआंदोलन खड़ा किया जाना चाहिए।

Created On :   25 Nov 2018 2:51 PM GMT

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