प्रदोष व्रत में करें भगवान शिव की पूजा, मिलेगी कर्ज से मुक्ति और नौकरी में तरक्की 

Pradosh Vrat 2018: Know Pradosh vrat importance, Vrat Katha and Puja Vidhi
प्रदोष व्रत में करें भगवान शिव की पूजा, मिलेगी कर्ज से मुक्ति और नौकरी में तरक्की 
प्रदोष व्रत में करें भगवान शिव की पूजा, मिलेगी कर्ज से मुक्ति और नौकरी में तरक्की 

डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार प्रदोष व्रत त्रयोदशी के दिन रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा की जाती है। इस बार यह तिथि 22 अक्टूबर को है। प्रत्येक महीने में दो प्रदोष व्रत होते हैं। सोमवार को आने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोषम या चन्द्र प्रदोषम भी कहा जाता है। इस दिन व्रत रखने से भक्तों के अन्दर सकारात्मक विचार आते हैं और वह अपने जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं।

प्रदोष व्रत का महत्व

शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत को रखने से दो गायों को दान देने के समान पुण्य फल प्राप्त होता है। प्रदोष व्रत को लेकर एक पौराणिक तथ्य सामने आता है कि "एक दिन जब चारों ओर अधर्म की स्थिति होगी, अन्याय और अनाचार का एकाधिकार होगा, मनुष्य में स्वार्थ भाव अधिक होगा। व्यक्ति सत्कर्म करने के स्थान पर नीच कार्यों को अधिक करेगा। उस समय में जो व्यक्ति त्रयोदशी का व्रत रखकर भगवान शिव की आराधना करेगा, उस पर शिव जी की कृपा होगी।  इस व्रत को रखने वाला व्यक्ति जन्म-जन्मान्तर के फेरों से निकल कर मोक्ष मार्ग पर आगे बढता है। उसे उत्तम लोक की प्राप्ति होती है।

प्रदोष व्रत की विधि

  • प्रदोष व्रत करने के लिए व्रती को त्रयोदशी के दिन सुबद सूर्योदय से पहले उठना चाहिए। 
  • नित्यकर्मों से निवृ्त होकर भोले नाथ का स्मरण करें। 
  • व्रत में आहार नहीं लिया जाता है। 
  • पूरे दिन उपावस रखने के बाद सूर्यास्त से पहले स्नानादि कर श्वेत वस्त्र धारण करें। 
  • पूजन स्थल को शुद्ध करने के बाद गाय के गोबर से लीपकर, मंडप तैयार करें। 
  • इस मंडप में पांच रंगों का उपयोग करते हुए रंगोली बनाएं। 
  • उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें और भगवान शिव का पूजन करें। 
  • पूजन में भगवान शिव के मंत्र "ऊँ नम: शिवाय" का जाप करते हुए जल चढ़ाएं।


सोम प्रदोष उद्यापन विधि

  • प्रदोष व्रत को ग्यारह या फिर 26 त्रयोदशियों तक रखने के बाद इसका उद्यापन करना चाहिए।
  • उद्यापन से एक दिन पहले भगवान गणेश का पूजन किया जाता है।
  • इससे पहली रात में कीर्तन करते हुए जागरण किया जाता है। 
  • सुबह जल्दी उठकर मंडप बनाकर, मंडप को वस्त्रों और रंगोली से सजाकर तैयार किया जाता है। 
  • "ऊँ उमा सहित शिवाय नम:" मंत्र का 108 बार जाप करते हुए हवन करें। 
  • हवन में खीर से आहूती दें, हवन समाप्त होने के बाद भगवान भोलेनाथ की आरती कर शान्ति पाठ करें। 
  • दो ब्रह्माणों को भोजन कराके, दान दक्षिणा दें। 

Created On :   21 Oct 2018 11:46 AM GMT

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