हाईलाइट
  • 22 साल बाद जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगाया गया है।
  • इससे पहले साल 1990 से अक्टूबर 1996 तक जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन रहा था।
  • जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शाषण लागू हो गया है।

डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया है। 22 साल बाद जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगाया गया है। इससे पहले साल 1990 से अक्टूबर 1996 तक जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन रहा था। राज्यपाल की रिपोर्ट पर केंद्र सरकार ने सोमवार को ही राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर दी थी। जिसके बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बुधवार को इस पर मुहर लगा दी।

जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू होने के साथ ही अब सभी विधायी और वित्तीय अधिकार संसद के पास चले गए हैं। हालांकि केंद्र के प्रतिनिधि के तौर पर राज्य के प्रशासनिक मुखिया अभी भी राज्यपाल ही रहेंगे। राज्य में किसी भी बड़े नीतिगत फैसले के लिए अब राज्यपाल को पहले केंद्र से अनुमति लेनी होगी। वह अपनी मर्जी से किसी भी तरह का कोई बड़ा फैसला नहीं ले सकेंगे।

राष्ट्रपति शासन लगाए जाने पर पूर्व मुख्यमंत्री व नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि "मुझे लगता है कि गवर्नर और राष्ट्रपति का शासन खत्म होना चाहिए। चुनाव होना चाहिए। लोगों को अपने प्रतिनिधियों को चुनना चाहिए जो काम कर सकते हैं।"

गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर में पीडीपी और भाजपा की सरकार 19 जनवरी 2015 में बनी थी लेकिन दोनों पार्टियों का यह गठबंधन अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया था। बीजेपी ने सबको चौंकाते हुए महबूबा मुफ्ती के साथ तीन साल पुरानी दोस्ती तोड़ते हुए समर्थन वापस ले लिया था। समर्थन वापसी के फैसले का ठीकरा बीजेपी ने महबूबा मुफ्ती पर फोड़ा था। बीजेपी नेताओं ने महबूबा पर आतंकवाद रोक पाने में असफल होने का आरोप लगाया था। 

18 जून को बीजेपी के पीडीपी से अलग हो जाने के बाद राज्य में राज्यपाल शासन लागू कर दिया गया था। जिसके बाद नवंबर में बीजेपी के खिलाफ तीन बड़ी पार्टी - पीडीपी, एनसी और कांग्रेस ने एकजुट होकर सरकार बनाने का दावा पेश किया, लेकिन राज्यपाल ने 21 नवंबर को विधानसभा को भंग कर चुनाव का ऐलान कर दिया था। राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने धारा 53 के तहत विधानसभा भंग करने का आदेश दिया था।

 

Created On :   19 Dec 2018 1:28 PM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story