नागपुर सेंट्रल जेल में सुरक्षा व्यवस्था की पोल खुली, जानिए कैसे हुआ कातिल का कत्ल ?

Prisoner murder case of Nagpur central jail
नागपुर सेंट्रल जेल में सुरक्षा व्यवस्था की पोल खुली, जानिए कैसे हुआ कातिल का कत्ल ?
नागपुर सेंट्रल जेल में सुरक्षा व्यवस्था की पोल खुली, जानिए कैसे हुआ कातिल का कत्ल ?

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कुछ साल पहले व्यापारी प्रशांत कटारिया के आठ वर्षीय बेटे कुश कटारिया की दो करोड़ रुपए की फिरौती के लिए हत्या कर दी गई। जिसके हत्यारे आयुष पुगलिया को सोमवार को कैदी सूरज कोटनाके ने मौत के घाट उतार दिया। इस घटना ने नागपुर सेंट्रल जेल में सुरक्षा व्यवस्था की खामियों को जगजाहिर कर दिया है। सूत्रों के अनुसार, बैरक नंबर 5 में कैद आयुष पुगलिया की हत्या करने के लिए आरोपी सूरज ने जग (बर्तन) के हैंडल को हथियार बनाया। जिसका उपयोग आयुष का गला रेतने के लिए किया गया। हालांकि उस पट्टी को जेल प्रशासन ने जब्त कर लिया है। हत्या के लिए जिस जग का इस्तेमाल किया गया, वो कैदियों को नहाने के लिए दिया गया था।  

दो दिन पहले हुआ था विवाद

बैरक में सूरज के साथ दो दिन पहले आयुष का विवाद हुआ था। आयुष और सूरज जिस बैरक में थे, वहां 80 से अधिक कैदी मौजूद थे। बैरक को छोटी गोल के नाम से जाना जाता है। जेल में हत्या होने की सूचना धंतोली पुलिस को वायरलेस पर मिली थी। इसके बाद पुलिस ने जेल रक्षक अशोक घुले की शिकायत पर आरोपी सूरज कोटनाके के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया।
 
बढ़ सकता है जांच का दायरा

घटना के समय बैरक में कौन पुलिसकर्मी किस अधिकारी के आदेश पर तैनात था, इस बारे में जेल डीआईजी कार्यालय को सोमवार देर शाम तक कोई सूचना नहीं दी गई थी। यह बात वहां तैनात कर्मचारियों ने कही। जेल डीआईजी योगेश देसाई और जेल की महिला अधीक्षक रानी भोसले से घटना के बारे में प्रतिक्रिया जानने की कई बार कोशिश की गई, लेकिन दोनों ही अधिकारियों ने फोन नहीं उठाया। 

आयुष के भाई के सवाल

आयुष के भाई नवीन पुगलिया ने कई सवाल उठाएं हैं। जिस जेल में इजराइल की तर्ज पर सुरक्षा व्यवस्था का दावा किया जा रहा हो, वहां उसके भाई की हत्या कैसे कर दी गई। मीडिया से बातचीत के दौरान उसने कहा कि सुबह उसके भाई की एक कैदी ने हत्या कर दी और चीख किसी को सुनाई तक नहीं दी, यह भला कैसे हो सकता है। 

कुश कटारिया हत्याकांड : क्या था पूरा मामला ?

कुश कटारिया हत्याकांड में मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने दोषी आयुष पुगलिया को तिहरी उम्रकैद की सजा सुनाई थी। 4 अप्रैल 2013 को नागपुर के जिला और सत्र न्यायालय ने आरोपी आयुष को दोषी मानते हुए दोहरी उम्रकैद की सजा सुनाई। इसपर कटारिया परिवार ने उच्च न्यायालय में अपील कर फांसी की मांग की थी। उसके बाद 22 जून 2015 को मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने आयुष को पहले मिली दोहरी उम्रकैद की सजा को बरकरार रखते हुए उसे तीसरी उम्रकैद की सजा सुनाई थी। साल 2011 से आयुष पुगलिया नागपुर के जेल में सजा भुगत रहा था।

पुलिस को कर रहा था गुमराह

घटना के पूर्व कुश अपने दोस्त रिदम और शुभम के साथ घर के बाहर गली में ही खेल रहा था। तभी आयुष पुगलिया आया और चॉकलेट दिलाने का झांसा देकर कुश को अपने दोपहिया वाहन पर बिठाकर ले गया। जिसे जाते हुए रिदम, शुभम और वहां के चौकीदार ने देखा था। संदेह के तौर पर पुलिस ने आयुष ने पूछताछ की। पहले आयुष खुद पर लगे आरोपों को सिरे से खारिज करता रहा, लेकिन सच्चाई जल्द ही पुलिस के सामने आ गई। आयुष ने कुश के सिर पर ईंट्ट से हमला किया था। कुश की हत्या करने के बाद आयुष ने 2 करोड़ रुपए की फिरौती के लिए उसी दिन कटारिया के घर में फोन था।

जांच के दायरे में जेल प्रशासन!

सूत्रों के मुताबिक आयुष पुगलिया की हत्या में जेल प्रशासन के कुछ अधिकारी- कर्मचारी जांच के दायरे में आ सकते हैं।

Created On :   12 Sep 2017 2:21 AM GMT

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