7th Pay : अब केवल ‘गुड’ से नहीं चलेगा काम, हवलदारों को अधिकारियों की दया पर रहना होगा निर्भर

7th Pay : अब केवल ‘गुड’ से नहीं चलेगा काम, हवलदारों को अधिकारियों की दया पर रहना होगा निर्भर
7th Pay : अब केवल ‘गुड’ से नहीं चलेगा काम, हवलदारों को अधिकारियों की दया पर रहना होगा निर्भर
7th Pay : अब केवल ‘गुड’ से नहीं चलेगा काम, हवलदारों को अधिकारियों की दया पर रहना होगा निर्भर

डिजिटल डेस्क, नागपुर। केंद्र सरकार ने सीजीएसटी व सेंट्रल एक्साइज में पदस्थ हवलदारों को सातवें वेतन आयोग का लाभ देते हुए आर्थिक लाभ प्राप्त करने के लिए जो शर्त जोड़ी है, उससे हवलदारों के लिए मुसिबत खड़ी हो गई है। एसीआर में केवल गुड लिखने से हवलदारों को आर्थिक लाभ नहीं मिल सकेंगे। हवलदारों को आर्थिक लाभ प्राप्त करने के लिए अधिकारियों की दया पर निर्भर रहना पड़ सकता है। 


सेंट्रल जीएसटी व सेंट्रल एक्साइज में पदस्थ हवलदारों को पदोन्नति के अवसर बहुत कम है। हवलदार के बाद केवल हेड हवलदार का पद है और इसके बाद पदोन्नति का रास्ता बंद हो जाता है। जबकि केंद्र सरकार का नियम है कि 10-10 साल बाद कर्मचारी को पदोन्नति मिलनी चाहिए। अगर पदोन्नति नहीं दी जा सकी, तो मॉडीफाइड एश्योर्ड कैरियर प्रोग्रेसन (एमएसीपी) देना चाहिए। इसका सीधा अर्थ यह है कि पदोन्नति के बदले में कर्मचारी को आर्थिक लाभ देना चाहिए। हवलदार के एनुअल कांफिडेंशल रिपोर्ट (एसीआर) में पुअर, गुड, वेरी गुड व एक्सिलेंट लिखा जाता है। एसीआर अधिकारी लिखते है।

 

पहले गुड होने पर भी आर्थिक लाभ मिलता था, जबकि अब इसमें थोड़ा परिवर्तन हुआ है, जिसकी मार हवलदारों पर गिर सकती है। एसीआर में गुड होने के बावजूद हवलदार को आर्थिक लाभ (एमएसीपी) नहीं मिलेगा। इससे हवलदारों में गुस्सा व नाराजी है। अनुशासन के कारण हलवदार खुलकर इसका विरोध नहीं कर रहे, लेकिन उनका गुस्सा कभी भी बाहर आ सकता है।

Created On :   16 Jan 2019 6:12 PM GMT

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