दाभोलकर हत्याकांड में पुणे सेशन कोर्ट से तीन आरोपियों को जमानत, HC ने पूछा - जांच क्यों हुई धीमी

Pune sessions court granted bail to 3 accused of dabholker murder case
दाभोलकर हत्याकांड में पुणे सेशन कोर्ट से तीन आरोपियों को जमानत, HC ने पूछा - जांच क्यों हुई धीमी
दाभोलकर हत्याकांड में पुणे सेशन कोर्ट से तीन आरोपियों को जमानत, HC ने पूछा - जांच क्यों हुई धीमी

डिजिटल डेस्क, पुणे। महाराष्ट्र अंधश्रध्दा निर्मूलन समिति के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड के तीन आरोपियों के खिलाफ CBI 90 दिन में आरोपपत्र दाखिल नहीं कर सकी। इस कारण पुणे सत्र न्यायालय ने गुरूवार को तीनों की जमानत मंजूर कर ली। जज एस. एम. ए. सय्यद ने आरोपी अमोल, राजेश बंगेरा और अमित दिगवेकर को एक साथ जमानत दी। CBI अधिकारी दिल्ली में व्यस्त होने के कारण आरोपियों के विरोध में आरोप पत्र दाखिल करने के लिए 20 दिसंबर तक अवधि बढ़ाने की मांग CBI के वकील ने न्यायालय में की थी। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद CBI की मांग खारिज कर तीनों की जमानत मंजूर की गई। 

उधर मुंबई में बांबे हाईकोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर मामले की जांच कर रही CBI से पूछा है कि क्या CBI ने कुछ समाय बाद अपनी जांच की रफ्तार धीमा कर दी है? जस्टिस एससी धर्माधिकारी व जस्टिस भारती डागरे की बेंच ने मामले को लेकर CBI की ओर से पेश की गई प्रगति रिपोर्ट को देखने के बाद उपरोक्त सवाल किया। 

बेंच ने पिछली सुनवाई के दौरान अपनी रिपोर्ट में दक्षिणपंथी संगठन से जुड़े लोगों के नाम का जिक्र किया था और उनके खिलाफ कार्रवाई की बात कही थी। शुक्रवार को सौपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि उसे इस प्रकरण में आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए और सबूत जुटाने हैं। पिछली रिपोर्ट में जिन नामों का जिक्र किया गया था वह आरोपियों के बयान पर आधारित था। इस पर बेंच ने कहा कि CBI की ओर से कही इस मामले की जांच को धीमा करने व उसकी दिशा मोडने के प्रयास तो नहीं हो रहे हैं?

बेंच ने कहा कि CBI अपनी जांच के प्रभाव को किसी भी स्थित में कम न होने दे भले ही उसके सामने कोई भी क्यों न हो। कोई भी कानून से बड़ा नहीं है। इस दौरान CBI की ओर से पैरवी कर रहे एडीशनल सालिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि CBI किसी भी रुप में मामले की जांच को धीमी नहीं कर रही है। सभी आरोपियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल CBI पर्याप्त सबूत जुटाने में लगी है ताकि वह कोर्ट में अपना पक्ष प्रभावी ढंग से रख सके। 

इन दलीलों को सुनने के बाद बेंच ने कहा कि CBI व पानसरे मामले की जांच कर रही एसआईटी कानूनी रुप से निर्धारित समय के भीतर कोर्ट में आरोपपत्र दायर करे ताकि आरोपी इस आधार पर अदालत से कोई लाभ न ले सके। इससे पहले दाभोलकर व पानसरे के परिजनों की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता अभय नेवगी ने कहा कि पुणे कोर्ट ने शुक्रवार को दाभोलकर मामले के तीन आरोपियों को इसलिए जमानत प्रदान कर दी है, क्योंकि CBI ने समय पर आरोपपत्र नहीं दायर किया है। इस दलील पर बेंच ने कहा कि CBI इस मामले की पैरवी के लिए विशेष सरकारी वकील की नियुक्ति व कोर्ट में सुनवाई के दौरान CBI अधिकारी की उपस्थित को सुनिश्चित करें। 

बेंच ने फिलहाल मामले की सुनवाई 17 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी है और CBI व एसआईटी को प्रगति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। गौरतलब है कि 20 अगस्त 2013 को पुणे में दाभोलकर की हत्या कर दी गई थी। जबकि 16 फरवरी 2015 को पानसरे की कोल्हापुर में गोली मारकर हत्या की गई थी। पानसारे व दाभोलकर परिवार के लोगों ने मामले की जांच हाईकोर्ट की निगरानी में कराए जाने की मांग को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की है। 

Created On :   14 Dec 2018 3:58 PM GMT

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