#TeachersDay: डॉ. राधाकृष्णन की इन बातों को मानकर आप भी हो सकते हैं सफल

#TeachersDay: डॉ. राधाकृष्णन की इन बातों को मानकर आप भी हो सकते हैं सफल
#TeachersDay: डॉ. राधाकृष्णन की इन बातों को मानकर आप भी हो सकते हैं सफल

डिजिटल डेस्क, भोपाल। कहते हैं कि इस दुनिया में एक टीचर ही होता है जो आपको जीना सिखाता है, आपको रहना सिखाता है। अगर किसी की लाइफ में अच्छा टीचर नहीं है, तो फिर वो अपनी लाइफ में कुछ भी नहीं कर सकता है। अगर कहा जाए तो टीचर के बिना हम इस दुनिया में आ तो सकते हैं, लेकिन जी नहीं सकते। तभी तो एक टीचर को भगवान से भी ऊपर माना गया है। ऐसे ही एक टीचर थे, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन। डॉ. राधाकृष्णन आजाद भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति भी थे। इसी के साथ वो एक ऐसे टीचर भी थे, जो हमेशा मानते थे कि एक टीचर कभी रिटायर नहीं होता। उनकी इस बात में काफी सच्चाई है, क्योंकि एक पुलिस अधिकारी रिटायर हो जाए तो चलेगा, एक नेता राजनीति छोड़ दे तो चलेगा, एक डॉक्टर रिटायर हो जाए तो भी चलेगा लेकिन अगर एक टीचर रिटायर हो जाए तो कई बच्चों के भविष्य पर उसका असर पड़ेगा। 

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरूमनि गांव में हुआ था। उन्हें बचपन से ही पढ़ने का शौक था और उनके इसी शौक ने उन्हें एक टीचर बना दिया। उनका मानना था कि इस दुनिया में किसी को भी कभी सीखना नहीं छोड़ना चाहिए। करीब 40 सालों तक एक टीचर के रुप में कार्य करने वाले डॉ. राधाकृष्णन को 1954 में देश के सबसे बड़े नागरिक सम्मान "भारत रत्न" से सम्मानित किया गया था। 1952 से 1962 तक डॉ. राधाकृष्णन देश के उपराष्ट्रपति रहे। इसके बाद 1962 से 1967 तक वो देश के दूसरे राष्ट्रपति भी रहे। कहा जाता है कि एक बार उनके कुछ स्टूडेंट ने उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रुप में मनाने की बात कही। जिसपर वो काफी खुश हुए। 17 अप्रैल 1975 को डॉ. राधाकृष्णन का चैन्नई में निधन हो गया। आज राधाकृष्णन के जन्मदिन पर पूरे देश में टीचर्स डे मनाया जा रहा है और इसी खास मौके पर हम आपको उनकी कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे हैं, जिनको अपनाकर आप अपने जीवन में सफल हो सकते हैं। 

1. डॉ. सर्वपल्ली का कहना था कि अच्छा टीचर वही है जो ताउम्र सीखता रहे और उसके अंदर सीखने की ऐसी ललक हो कि वो अपने स्टूडेंट से भी सीखने में कोई परहेज न करें। डॉ. राधाकृष्णन खुद इस बात को बहुत मानते थे और उन्हें जहां कुछ सीखने को मिलता था, वो तुरंत उधर बैठ जाते थे। उनका मानना था कि जीवन में सीखने के लिए इतना कुछ है कि सारी उम्र भी कम पड़ जाए।

2. डॉ. राधाकृष्णन कहते थे कि शिक्षक वो नहीं है जो छात्रों के दिमाग में जानकारियों को जबरन ठूंसे, बल्कि शिक्षक तो वो है जो छात्रों को आने वाली चुनौतियों के लिए तैयार करे। डॉ. राधाकृष्णन हमेशा मानते थे कि टीचर का लक्ष्य केवल ज्ञान देना ही नहीं है। 

3. डॉ. राधाकृष्णन हमेशा इस बात को मानते भी थे और अपने स्टूडेंट से भी कहते थे कि इस दुनिया में "सत्य" से बड़ी कोई चीज नहीं है। वो कहा करते थे कि अगर आपके टीचर आपको नहीं बताते कि सत्य की राह पर चलकर ही मुकाम को हासिल किया जा सकता है, तो सोचिए कि आप कहां होते। 

4. वो हमेशा कहते थे कि किताबें पढ़ने से हमें विचार करने की आदत और सच्ची खुशी मिलती है। डॉ. राधाकृष्णन का कहना था कि किताबों से अच्छा कोई दोस्त नहीं होता। इसलिए स्टूडेंट को ज्यादा से ज्यादा किताबें पढ़नी चाहिए, क्योंकि किताबें पढ़ने से स्टूडेंट का अपना नजरिया विकसित होता है। 

 

Created On :   5 Sep 2017 3:14 AM GMT

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