राम मंदिर के पक्षकार महंत भास्कर दास का निधन, अयोध्या में अंतिम संस्कार

Ram temple fighter Mahant Bhaskar Das dies, cremated in Ayodhya
राम मंदिर के पक्षकार महंत भास्कर दास का निधन, अयोध्या में अंतिम संस्कार
राम मंदिर के पक्षकार महंत भास्कर दास का निधन, अयोध्या में अंतिम संस्कार

डिजिटल डेस्क,अयोध्या/फैजाबाद। राम जन्म भूमि के प्रमुख हिंदू पक्षकार और निर्मोही अखाड़ा के सरपंच महंत भास्कर दास का शनिवार सुबह निधन हो गया। 88 साल के महंत लंबे वक्त से बीमार चल रहे थे। उन्हें हालत बिगड़ने पर 4 दिन पहले अस्पताल में भर्ती कराया गया था। महंत का अंतिम संस्कार अयोध्या में तुलसी घाट पर किया जाएगा। वहीं महंत के निधन की सूचना के बाद उनके शिष्यों का जमावड़ा अयोध्या स्थ‍ित मंदिर में लगने लगा है।

ये भी पढ़े-भोपाल में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक, तीन तलाक और राम मंदिर मुद्दों पर चर्चा

महंत के उत्तराधिकारी पुजारी राम दास के बताया कि मंगलवार को सांस लेने में तकलीफ और ब्रेन स्ट्रोक होने के बाद उन्हें देवकाली स्थित निजी चिकित्सालय में भर्ती कराया गया था। तभी से उनकी हालत नाजुक और खराब होती चली गई। जिसके बाद शनिवार सुबह उन्होंने आखरी सांस ली है। राम दास ने बताया कि महंत को ये तीसरा अटैक आया था। इससे पहले उन्हें साल 2003 और 2007 में भी अटैक आ चुका था। 

कौन थे महंत भास्कर दास?

भास्कर दास का जन्म साल 1929 में गोरखपुर के रानीडीह में हुआ था। इसके बाद साल 1946 में वो अयोध्या आए और साल 1949 में वो राम जन्मभूमि बनाम बाबरी मस्जिद केस से जुड़े। राम जन्मभूमि में हाईकोर्ट ने तिहाई हिस्सा निर्मोही अखाड़े को दिया है। उन्होंने 1959 में अयोध्या राम जन्म भूमि के स्वामित्व का दावा दायर किया था। साल 1966 तक राम चबूतरे के पुजारी रहे। जिसके बाद साल 1986 में फैजाबाद नाका में हनुमान गढ़ी मंदिर के महंत बने।

पिछले साल हुई थी मुस्लिम पक्षकार हाशिम अंसारी की मौत

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद से जुड़े मुस्लिम पक्षकार मोहम्मद हाशिम अंसारी से भी संबंध काफी मधुर थे। महंत भास्कर दास ने आपसी भाई चारे का हमेशा ख्याल रखा। अंसारी का हृदय संबंधी बीमारियों के चलते 2016 में जुलाई में निधन हो गया था। अंसारी दिसंबर 1949 से बाबरी मस्जिद विवाद से जुड़े थे। वो सुन्नी केंद्रीय वक्फ बोर्ड द्वारा फैजाबाद दीवानी अदालत में दायर "अयोध्या मामले के मुकदमे" में 1961 में कुछ अन्य लोगों के साथ प्रमुख वादी बने थे। हाशिम अंसारी के अलावा मोहम्मद फारूक, शहाबुद्दीन, मौलाना निसार और महमूद साहब इस मामले में वादी हैं। अंसारी फैजाबाद दीवानी अदालत में ये मामला दायर कराने वाले पहले व्यक्ति थे।

 

Created On :   16 Sep 2017 5:38 AM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story