रांची के इस नामी अस्पताल में मरीज को बनाया गया बंधक, सीएम की पहल से मिली आजादी

Ranchi Medanta Hospital hostage a BPL patient due to non payment
रांची के इस नामी अस्पताल में मरीज को बनाया गया बंधक, सीएम की पहल से मिली आजादी
रांची के इस नामी अस्पताल में मरीज को बनाया गया बंधक, सीएम की पहल से मिली आजादी

डिजिटल डेस्क, रांची। सूबे के नामी अस्पताल में एक ऐसा मामला प्रकाश में आया है, जिसके बाद शायद ही कोई गरीब इंसान अपना इलाज करवाने के लिए ऐसे अस्पताल में जाए। मेदांता अस्पताल द्वारा एक बीपीएल मरीज को बिल का भुगतान न करने के कारण बंधक बना लिया गया था। इस मामले के सीएम रघुवर दास के संज्ञान में आने के बाद तत्काल कार्रवाई हुई। सीएम रघुवर दास ने मेदांता अस्पताल द्वारा एक बीपीएल परिवार को 9.85 लाख रुपए का बिल दिए जाने और भुगतान न करने पर संज्ञान में आते ही कार्रवाई की और बंधक मरीज को मुक्त कराकर घर भिजवाया।

 

सीएम ने किया ट्वीट

 
मरीज मोहम्मद अयूब अली को अस्पताल से मुक्त कराने के बाद सीएम ने कहा कि मेदांता अस्पताल को एक भी पैसा अतिरिक्त नहीं देना है।  इसके साथ ही यह भी कहा कि दोबारा किसी भी अस्पताल से ऐसी सूचना मिलने पर दोषी अस्पतालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी। मरीज मोहम्मद अयूब अली लातेहार के रहने वाले हैं। इस संबंध में सीएम ने  एक रिपोर्ट को री-ट्वीट करते हुए लिखा कि कोई भी अस्पताल यदि मरीज से बिना वजह अधिक पैसा मांगे, तो हमें अवश्य सूचित करें।

 


 

हालांकि सीएम द्वारा अस्पताल से मुक्त कराए जाने के बाद मरीज मोहम्मद अयूब अली की फिर से तबियत बिगड़ गई। जिसकी वजह से उन्हें ऑक्सीजन पर रखा गया है। परिजनों ने अस्पताल से आग्रह किया कि रात में उन्हें कहीं शिफ्ट नहीं कर पाएंगे, तो उनके आग्रह को स्वीकार कर लिया गया। अयूब के बेटे मोहम्मद इमदाद ने बताया कि ओरमांझी थाना से उन्हें बताया गया कि अस्पताल को एक भी पैसा नहीं देना है। उनके पिता को रिलीज कर दिया गया है। अब वह अपने पिता को ताकि बाकी का इलाज कराने के लिए रिम्स में शिफ्ट कर रहे हैं।

 

 

 

 

डॉक्टरों ने दिया लंबा-चौड़ा बिल 

बता दें कि करीब दो महीने पहले रांची के इरबा स्थित मेदांता अस्पताल में अयूब को भर्ती कराया गया था। उस समय डॉक्टरों ने कुल 1.25 लाख रुपए का खर्च बताया था। परिजनों ने किस्तों में डेढ़ लाख रुपए जमा करवाए। इसके बाद अयूब के सिर में पानी पाया गया, तो डॉक्टरों ने ऑपरेशन की सलाह दी और 2,29,525 रुपए का इस्टीमेट थमा दिया। मुख्यमंत्री असाध्य रोग योजना के तहत लातेहार के सिविल सर्जन के पत्रांक संख्या 1909, दिनांक 15 दिसम्बर 2017 के माध्यम से मेदांता अस्पताल को पूरी राशि मिल गयी।

 

केस में फंसाने की धमकी

इस दौरान एक बार फिर अयूब की तबीयत बिगड़ी और उन्हें MICU एवं NICU में रखना पड़ा, जब मरीज को रिलीज किया गया, तो यह जानते हुए कि वह बीपीएल है, 9.85 लाख रुपए का बिल थमा दिया गया। भुगतान करने में असमर्थता जताने पर मरीज के परिजनों को केस में फंसाने की धमकी दी गई।  यह मामला झारखंड में सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल हो रहा है।

Created On :   9 Feb 2018 3:43 AM GMT

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