रांची: मदर टेरेसा की संस्था में हो रहा था नवजात तस्करी का खेल, 1.20 लाख में होता था सौदा

Ranchi newborn trafficking discloser in Mother Teresa institution
रांची: मदर टेरेसा की संस्था में हो रहा था नवजात तस्करी का खेल, 1.20 लाख में होता था सौदा
रांची: मदर टेरेसा की संस्था में हो रहा था नवजात तस्करी का खेल, 1.20 लाख में होता था सौदा

डिजिटल डेस्क, रांची। झारखंड की राजधानी रांची में मदर टेरेसा की संस्था मिशनरीज ऑफ चैरिटी पर नवजात की बिक्री का आरोप लगा है। पुलिस ने इस मामले में मिशनरीज ऑफ चैरिटी होम की एक कर्मचारी को गिरफ्तार किया है। इसके साथ ही दो और सिस्टर्स को हिरासत में लिया गया है। जिनसे पूछताछ की जा रही है। बताया जा रहा है कि अब तक आधा दर्जन नवजातों को बेचा जा चुका है। चाइल्ड वेलफेयर कमेटी की जांच में इस तथ्य का खुलासा हुआ है कि एक बच्चे के एवज में करीब 1.20 लाख रुपए लिए गए थे।

 

चाइल्ड वेलफेयर कमेटी की सदस्य सीमा देवी ने बताया कि चैरिटी होम की कर्मचारी अनिमा इंदवार शक के घेरे में है। पुलिस का भी कहना है कि खुद अनिमा ने स्वीकार किया है कि अब तक आधा दर्जन नवजातों को संचालिका सिस्टर कोनसीलिया के साथ मिलकर बेच चुकी है। मानव तस्करी और अवैध रूप से बच्चा बेचने का सनसनीखेज मामला सामने आने के बाद पुलिस ने जांच तेज कर दी है।

 

 

इन जगहों पर बेचे गए बच्चे

पुलिस ने बताया कि अब तक संस्था की ओर से रांची के कांटाटोली, मोरहाबादी, सिमडेगा और यूपी में बच्चे को बेचा जा चुका है। इस एवज में खरीदारों से अच्छी रकम भी ली गई है। पुलिस जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि एक अविवाहित मां मिशनरी ऑफ चैरिटी संस्था के संरक्षण में रहती थी। उसके डेढ़ माह के बच्चे को संस्था द्वारा यूपी के निवासी सौरभ कुमार अग्रवाल और उसकी पत्नी प्रीति को दे दिया गया। इसके बदले दोनों से अस्पताल खर्च के नाम पर एक लाख 20 हजार रुपए भी लिए गए।

 

 

हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में होगी जांच

यह राशि संस्था की अनिमा इंदवार, सिस्टर कनसिलिया और गार्ड के बीच बांटी गई थी। दंपती को पैसा लेने के बाद भी उन्हें बच्चा नहीं मिला जिसकी शिकायत उन्होंने CWC से की। पुलिस का कहना है कि इस मामले में कुछ और लोगों की गिरफ्तारी हो सकती है। चैरिटी संस्था में बच्चों के सौदे का मामला उजागर होने के बाद पूरे प्रदेश में हड़कंप मच गया। अब इस मामले की उच्च न्यायालय के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में जांच करायी जाएगी। राज्य पुलिस मुख्यालय ने गुरुवार को इस संबंध में प्रस्ताव तैयार किया है।

 

जांच टीम में होंगे ये सदस्य

उच्चस्तरीय जांच टीम में हर जिले के सीडब्लूसी सदस्य, जिले के डिस्ट्रिक्ट चाइल्ड प्रोटेक्शन अफसर, सोशल वेलफेयर एक्टिविस्ट, एसपी सीआईडी, एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट प्रभारी और जिले की महिला थानेदार को शामिल करने की सिफारिश की गई है। पुलिस मुख्यालय ने प्रस्ताव दिया है कि ये टीम मिशनरीज ऑफ चैरिटी के निर्मल ह्रदय में बच्चों को बेचने की जांच के बाद सभी शेल्टर होम और एडोप्शन सेंटर में जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2000 के प्रावधानों के उल्लंघन की जांच करें।

 

 

एडोप्शन के लिए आए 10 बच्चे

विशेष शाखा ने मिशनरीज ऑफ चैरिटी की संदिग्ध गतिविधि को लेकर एक रिपोर्ट सरकार को दी है। इस रिपोर्ट में जिक्र किया गया है कि जनवरी 2016 में संस्था में 108 गर्भवती महिलाएं थीं, लेकिन संस्था ने महज 10 बच्चों को ही एडोप्शन के लिए पेश किया। रिपोर्ट के मुताबिक, मिशनरीज ऑफ चैरिटी की एक्टिविटिज सभी जिलों में संदिग्ध हैं। विशेष शाखा ने एडोप्शन की जांच और बच्चों के भौतिक सत्यापन की सिफारिश की है।

 
कैसी होगी सत्यापन की सिफारिश
 
समाज कल्याण निदेशक और सभी जिलों के डिस्ट्रिक्ट चाइल्ड प्रोटेक्शन अफसर से सभी संस्थाओं की सूची ली जाएगी जो बच्चों का शेल्टर होम और एडोप्शन सेंटर संचालित कर रहे हैं। सूची मिलने के बाद रिकार्ड की गहनता से जांच की जाएगी। रिकॉर्ड में यह देखा जाएगा कि संस्था ने गर्भवती महिलाओं को सीडब्लूसी के समक्ष पेश किया या नहीं। 

  • गर्भवती महिला की डिलिवरी कहां हुई। 
  • बच्चों के रिकार्ड लिए जाएंगे, उसे संस्था के रिकॉर्ड से मिलाया जाएगा। 
  • संस्था में अगर बच्चों का रिकॉर्ड नहीं है तो इसकी जानकारी जुटाई जाएगी। 
  • सभी एनजीओ और शेल्टर होम्स के आर्थिक स्रोतों की जांच की जाएगी।
  • शेल्टर होम जेजे एक्ट समेत अन्य कानून का पालन कर रहे हैं या नहीं, इसकी भी जांच होगी।  


 

Created On :   6 July 2018 5:20 PM GMT

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