जबलपुर की राशि ने किया तारों की दुनिया पर फोकस, बनी रिसर्च टीम का हिस्सा

Rashi Jain found the new ultraviolet rays series in a research
जबलपुर की राशि ने किया तारों की दुनिया पर फोकस, बनी रिसर्च टीम का हिस्सा
जबलपुर की राशि ने किया तारों की दुनिया पर फोकस, बनी रिसर्च टीम का हिस्सा

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। आसमां से उस पर सूरज, चाँद, तारों की एक दुनिया है, यह बात हम सभी जानते हैं। जो लोग एस्ट्रोनॉमी में इन्ट्रेस्ट रखते हैं, उनके लिए यह दुनिया अनगिनत जिज्ञासाओं से भरी है। शहर की बेटी राशि जैन ने अपने इसी इन्ट्रेस्ट के चलते एस्ट्रोफिजिक्स के क्षेत्र में बड़ी सफलता हासिल की है। भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईएसटी), तिरुवनंतपुरम में एमएस की स्टूडेंट रहते हुए राशि ने अपनी टीम के साथ रिसर्च की और पराबैंगनी तारों की एक नई श्रेणी खोज निकाली। इस रिसर्च में उन्होंने टीम के साथ भारतीय मल्टी-वेवलेंथ अंतरिक्ष वेधशाला (एस्ट्रोसैट) का उपयोग करते हुए, तारों के गोलाकार गुच्छे (ग्लोब्यूलर क्लस्टर) "एनजीसी-2808" में तारों की विभिन्न रासायनिक संरचना की श्रेणियों को खोजा है। यह खोज तारों के विकास के सिद्धांतों का परीक्षण करने में मदद करेगी। राशि फ्रांस में रहकर एस्ट्रोफिजिक्स की फील्ड में ही पीएचडी कर रहीं हैं। हमसे खास बातचीत में उन्होंने अपनी रिसर्च और इस जर्नी से जुड़ीं बातें साझा कीं। राशि ने बताया कि उनकी रुचि बचपन से ही अंतरिक्ष में थी, इसलिए उन्होंने जॉब छोड़कर आगे की पढ़ाई कन्टीन्यू की।

क्या है ग्लोब्यूलर क्लस्टर
तारों के गोलाकार गुच्छों (ग्लोब्यूलर क्लस्टर) में हजारों से लाखों तारे होते हैं, जो एक इकाई के रूप में गतिमान रहते हैं। इन तारों के गुरुत्वाकर्षण के फलस्वरूप वह गुच्छा अपनी आकृति बनाये रखता है और यह माना जाता है कि इन सब तारों का जन्म लगभग एक ही समय में एक साथ हुआ होगा। हमारी आकाशगंगा मंदाकिनी या मिल्की-वे में लगभग 150 गोलाकार गुच्छे हैं।

गोलाकार गुच्छे अच्छी प्रयोग शाला
राशि कहती हैं कि तारे जन्म लेते हैं, युवावस्था में पहुँचते हैं और फिर उनकी मृत्यु हो जाती है। बड़े द्रव्यमान वाले तारे तेजी से विकास करते हैं, फिर कुछ लाख वर्षों तक प्रकाशित रहकर एक अत्यंत दर्शनीय मृत्यु को प्राप्त होते हैं। जो तारे सूर्य से अधिक बड़े होते हैं उनका विकास क्रम बहुत भिन्न होता है और वे अंतत: पराबैंगनी प्रकाश में बहुत उज्ज्वल बनते हैं क्योंकि वे स्वाभाविक रूप से अधिक गर्म होते हैं, इसलिए तारों के गोलाकार गुच्छे, तारों के विकास के सिद्धांतों का परीक्षण करने के लिए अच्छी प्रयोगशाला साबित होते हैं।

अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलिस्कोप का यूज
राशि ने बताया कि हमारी जानकारी में "एनजीसी-2808" सबसे विशाल गोलाकार समूहों में से एक है और हमसे 47,000 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। इस समूह का अध्ययन करने के लिए रिसर्च टीम ने एस्ट्रोसैट में लगी अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलिस्कोप (यूवीआईटी) का उपयोग किया। रिसर्चर्स को विभिन्न पराबैंगनी फिल्टरों के माध्यम से ली गई तस्वीरों में 12,000 से अधिक तारों की अलग-अलग पहचान करने में सफलता मिली है। इस शोध कार्य का नेतृत्व आईआईएसटी की प्रो. सरिता विग ने किया, जिसमें टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, मुंबई के प्रोफेसर स्वर्ण घोष का सहयोग रहा।

एस्ट्रोफिजिक्स के लिए जॉब छोड़ी
राशि की स्कूलिंग गुरु गोबिंद सिंह खालसा स्कूल, मढ़ाताल से हुई है। 12वीं के बाद उन्होंने जेईसी से इलेक्ट्रिकल ब्रांच से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कीऔर एक मल्टिनेशनल कंपनी में कैंपस सिलेक्शन भी हासिल किया। जॉब के साथ उन्होंने गेट की तैयारी जारी रखी और गेट क्वालिफाई कर के आईआईएसटी तिरुवनंतपुरम में एस्ट्रोफिजिक्स में दाखिला लिया। देशभर में इसके लिए सिर्फ 6 सीटें हैं। उन्होंने इसके लिए जॉब भी छोड़ दी। राशि कहती हैं कि आज भी गल्र्स को लेकर समाज में कई टैबू हैं, लड़कियों को बाहर जाने से रोका जाता है। लोग बोलते हैं कि शादी कर दो। मेरे लिए जॉब छोडऩा आसान नहीं था, पर मैं अपने सपने को पूरा करना चाहती थी। मुझे पैरेंट्स का सपोर्ट हमेशा मिला। मेरी इस रिसर्च के चलते मुझे यूनिवर्सिटी ऑफ स्टार्सबॉर्ग, फ्रांस से पीएचडी करने का मौका मिला। राशि, गढ़ा फाटक निवासी राजेश-नलिनी जैन की सुपुत्री हैं।
 

Created On :   20 April 2019 8:27 AM GMT

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