संपर्क क्रांति में पावर कार के इलेक्ट्रिक सर्किट में चूहा चिपका, लाइट-पंखे बंद

Rat affixed to power car electric circuit in sampark kranti express train, light fan closed
संपर्क क्रांति में पावर कार के इलेक्ट्रिक सर्किट में चूहा चिपका, लाइट-पंखे बंद
संपर्क क्रांति में पावर कार के इलेक्ट्रिक सर्किट में चूहा चिपका, लाइट-पंखे बंद

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। जबलपुर से नई दिल्ली तक चलने वाली गाड़ी संख्या 12121 मप्र संपर्क क्रांति एक्सप्रेस के यात्री उस समय गर्मी में पसीने-पसीने हो गए जब ट्रेन के एसी और पंखे बंद हो गए, लाइट भी गुल हो गई। यात्रियों की सांसें घुटने लगी और वो ट्रेन से बाहर निकलकर हंगामा करने लगे। ट्रेन के यात्री प्रदीप खरे और सुषमा खरे ने बताया कि बाद में उन्हें पता चला कि ट्रेन की पावर कार के इलेक्ट्रिक सर्किट में चूहा  चिपक गया और शॉर्ट सर्किट होने से ट्रेन के एचए-1 19026, ए-1 192000, ए-2 193803, बी-1 18114, बी-2 17104, बी-3 18111 और बी-4 18126 का एसी, पंखे और लाइट बंद हो गई हैं। परेशान यात्रियों ने आरोप लगाया कि पेस्ट कंट्रोल के नाम पर जबलपुर रेलवे स्टेशन के कोचिंग यार्ड में खाईबाजी हो रही है,  मेन्टेंनेंस के नाम पर यार्ड में ट्रेनों को खड़ा रखने के बाद पेस्ट कंट्रोल नहीं किया जाता, जिसकी वजह से जबलपुर से चलने वाली ट्रेनों में चूहों और कीड़ों का आतंक मचा हुआ है और यात्री रेल अधिकारियों और कर्मचारियों की मनमानी का शिकार हो रहे हैं। गौरतलब है कि इससे पहले गोंडवाना एक्सप्रेस में बेडरोल में जहरीला सांप और संपर्क क्रांति में जहरीले कीड़ों की फौज निकल चुकी है। गत दिवस ओवरनाइट एक्सप्रेस के यात्री शिव चौबे ने रेलमंत्री को ट्वीट कर शिकायत की थी कि ट्रेन में उनके साथी अविराज चौहान का बैग चूहे कुतर गए हैं।

पावर कार में लाखों के उपकरण खराब कर रहे चूहे

रेलवे के तकनीकी विभाग के सूत्रों का कहना है कि ट्रेनों में पावर सप्लाई के लिए पावर कार का उपयोग किया जा रहा है, जो एसी लाइन से चलती है और कार में लाखों रुपए के महंगे उपकरण लगे होते हैं, जिनमें एसी बैटरी यूवीसी-आरवीसी, माइक्रो प्रोसेसर की कीमती लाखों में होती है लेकिन पेस्ट कंट्रोल न होने के कारण चूहों की फौज पावर कार में घर बनाए हुए है, जो मौका पाते ही सर्किट में झूूल जाते हैं और मोटर वायर को कुतर देते हैं, जिससे ट्रेन के एसी कोच के एसी, पंखे और लाइटें बंद हो जाती हैं।

पेस्ट कंट्रोल होता नहीं तो माल जाता कहां है

यात्रियों द्वारा पेस्ट कंट्रोल में बरती जा रही लापरवाही को लेकर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं, जिसके बाद रेलवे में इस बात को लेकर चर्चा जोरों पर है कि जब यार्ड में पेस्ट कंट्रोल होता नहीं है तो इस मद में आने वाला माल जाता कहा है। सूत्रों का कहना है कि मैकेनिकल विभाग के अंतर्गत कोचिंग डिपो में सुपरवाइजर्स के कारनामो की शिकायतें लगातार आती रहती हैं लेकिन सीडीएमई मणिभूषण सिंह की दखल की वजह से इन लोगों पर कोई नियम कायदे प्रभाव नहीं डाल रहे हैं। बताया जाता है कि यहां पर इम्प्रेस्ट मे सबसे ज़्यादा समान सतेंद्र सिंह द्वारा मंगवाया गया, सतेंद्र सिंह द्वारा 4 ठेके देखा जा रहा है।  जिसमें पिट क्लीनिंग, पेस्ट कंट्रोल एन्ड क्लीनिंग व रेक मेंटेनेंस का काम शामिल है। सतेंद्र यहां पर पिछले 7 सालों से काबिज हैं, इसके अलावा पिछले 10 सालों से केके साहू के पास स्टोर की जिम्मेदारी है। वहीं धर्म प्रकाश भी पिछले 7 सालों से स्टोर में ही पैर जमाए बैठे हैं, राजेश कुशवाहा, जिनके पास बायो टायलेट का काम है, वे यह काम भी पिछले कई सालों से देख रहे हैं। इस व्यवस्था से यह साफ दिखाई दे रहा है कि वर्षों से एक ही स्थान पर ठेका व  हत्वपूर्ण काम देखने से इनकी ठेकेदारों से सैटिंग बन चुकी है, यही कारण है कि रेलवे जो करोड़ों रुपए यात्री सुविधाओं के नाम पर खर्च कर रहा है, उसका लाभ यात्रियों को नहीं मिल पा रहा है और ट्रेनों में चूहे व काक्रोचों का आतंक बरकरार है।

Created On :   23 Aug 2019 9:25 AM GMT

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