फिर सामने आई RBI -वित्त मंत्रालय में अनबन

RBI refuse meeting with finance ministry
फिर सामने आई RBI -वित्त मंत्रालय में अनबन
फिर सामने आई RBI -वित्त मंत्रालय में अनबन

टीम डिजिटल, नई दिल्ली. रघुराम राजन के समय रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय में अनबन की खबरें तो जगजाहिर है. लेकिन अब एक बार फिर RBI और वित्त मंत्रालय में अनबन की खबरें सामने आ रही हैं. RBI गवर्नर ने खुद बताया कि रिजर्व बैंक की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने नीतिगत समीक्षा से पहले वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक करने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि यह फैसला समिति ने अपनी स्वायत्तता पर बल देते हुए लिया है.

ब्याज दर घटाने की मांग को लेकर पिछले आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन से भी अरुण जेटली के मतभेद थे. इस बार भी केन्द्र सरकार ब्याज दर कम रखना चाहती थी और इसीलिए बुधवार को जारी 2017-18 की दूसरी द्विमासिक नीति समीक्षा से पहले वित्त मंत्रालय ने ब्याज दर निर्धारण करने वाली इस समिति के साथ बैठक तय की थी. लेकिन सभी एमपीसी सदस्यों ने वित्त मंत्रालय का बैठक संबंधी अनुरोध अस्वीकार कर दिया.

गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बुधवार को जारी मॉनिटरी पॉलिसी में ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है. उम्मीद यह की जा रही थी कि होम और कार लोन को बढ़ावा देने के लिए बैंक अपने रेपो रेट में कटौती करेगी.

आरबीआई गर्वनर उर्जित पटेल की अध्यक्षता में गठित मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी ने 6.25 फीसदी और रिवर्स रेपो रेट को 6 फीसदी पर ही कायम रखा है। 1 जुलाई से लागू होने वाले जीएसटी और मानसून की चाल को देखते हुए रिजर्व बैंक वेट एंड वॉच की नीति पर चलना चाहता है। अभी भी आरबीआई के पास नोटबंदी के बाद 60 बिलियन डॉलर की लिक्विडीटी मौजूद है। इसके साथ ही महंगाई दर में कमी, पिछले दो सालों में विकास दर का निचले स्तर पर होना और 1992 के बाद लोन की डिमांड में कमी होना भी इसके प्रमुख कारणों में शामिल है।

Created On :   8 Jun 2017 8:08 AM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story