माता सीता ने किया था महाराज दशरथ का पिंडदान, पढ़ें पूरी कथा...

Read here about the Mata sita and king Dashrath pinddan katha
माता सीता ने किया था महाराज दशरथ का पिंडदान, पढ़ें पूरी कथा...
माता सीता ने किया था महाराज दशरथ का पिंडदान, पढ़ें पूरी कथा...

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। श्राद्ध पक्ष में पिंडदान के लिए देश-विदेश से लोग भारत स्थित जिस स्थान पर पहुंचते हैं, वह है बिहार स्थित गया। यहां श्राद्ध पक्ष के दौरान लाखों की संख्या में लोग हर रोज पहुंचते हैं। पूरे 15 दिनों तक यहां तर्पण करने वालों का ही जमघट रहता है। हालांकि बताया जाता है कि इस स्थान पर श्राद्ध पक्ष के अतिरिक्त भी विशेष तिथियों पर आकर पिंडदान किया जा सकता है। इस स्थान की अधिक मान्यता का एक कारण यह भी कि यहां स्वयं भगवान श्रीराम माता सीता और लक्ष्मण के साथ अपने पिता दशरथजी का पिंडदान करने पहुंचे थे। 

एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान राम अपने भ्राता लक्ष्मण के साथ पिता का श्राद्ध करने गया धाम पहुंचते हैं। वे दोनों जरूरी सामान लेने जाते हैं और माता सीता उनकी प्रतीक्षा करती हैं। दिन बीतने लगता है और श्रीराम और लक्ष्मण के आगमन में देरी हो जाती है। श्राद्ध का उत्तम समय निकलता जाता है। इतने में दोपहर के वक्त उसी स्थान पर जहां माता सीता राम-लक्ष्मण का इंतजार कर रही होती हैं दशरथ की आत्मा आकर उनसे पिंडदान मांगती है।

फूलों और गाय को साक्षी मानकर

इस पर माता सीता  फल्गू नदी के किनारे बैठकर वहां लगे केतकी के फूलों और गाय को साक्षी मानकर बालू के पिंड बनाकर दशरथ का पिंडदान कर देती हैं। थोड़ी देर बाद जब भगवान राम और लक्ष्मण सामग्री लेकर लौटते हैं, तब सीता जी ने उन्हें  महाराज दशरथ के पिंडदान की जानकारी देती हैं। इस पर श्रीराम उनसे इसका प्रमाण देने कहते हैं। 

तभी सीता जी ने केतकी के फूल, गाय और बालू मिट्टी से इस संबंध में बताने के लिए कहा, लेकिन वहां लगे वटवृक्ष के अलावा किसी ने भी सीताजी के पक्ष में नहीं बोला। फिर सीता जी ने महाराज दशरथ की आत्मा का ध्यान कर उन्हीं से इस संबंध में बताने के लिए कहा।

स्वयं आते हैं दशरथ 

माता सीता के स्मरण करते ही स्वयं महाराज दशरथ की आत्मा प्रकट होती है और  सीता द्वारा पिंडदान की बात बताते हैं। इस पर श्रीराम आश्वस्त होते हैं, लेकिन फल्गू नदी और केतकी के फूलों के झूठ बोलने पर सीता जी बहुत क्रोधित होती हैं और उन्हें श्राप दे देती हैं... 

  • सीता जी ने फल्गू नदी को श्राप दिया जाए तू केवल नाम की ही नदी रहेगीए तेरा सारा पानी सूख जाएगा। तब से लेकर आज तक फल्गू नदी का पानी सूखा हुआ है।  नदी के तट पर मौजूद सीताकुंड का पानी सूखा है इसलिए आज भी यहां बालू मिट्टी या रेत से ही पिंडदान किया जाता है।
  • गाय को उन्होंने श्राप दिया पूज्य होकर भी तू लोगों का झूठा खाएगी। 
  • वहीं केतकी के फूलों को श्राप मिला कि पूजा में उनका उपयोग कभी नहीं किया जाएगा।

सिर्फ माता सीता के पक्ष में वट वृक्ष ने सत्य बोला थाए इसलिए सीता जी ने उसे दीर्घायु होने का वरदान देते हुए कहती हैं, हर सुहागन स्त्री उसका स्मरण कर अपने पति की दीर्घायु की कामना करेगी। जिसकी वजह से वट वृक्ष हजारों साल तक पुराने देखने मिलते और विभिन्न त्योहारों पर वट की पूजा भी की जाती है। यहां अाज भी माता सीता, राम-लक्ष्मण के आगमन के निशान देखने मिलते हैं। 

Created On :   6 Sep 2017 3:28 AM GMT

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