रिजर्व फारेस्ट भी सुरक्षित नहीं, साढ़े 27 हजार हेक्टेयर में तन गये मकान

Reserve forest is also not safe, houses built in 27 thousand hectares
रिजर्व फारेस्ट भी सुरक्षित नहीं, साढ़े 27 हजार हेक्टेयर में तन गये मकान
रिजर्व फारेस्ट भी सुरक्षित नहीं, साढ़े 27 हजार हेक्टेयर में तन गये मकान

डिजिटल डेस्क सिंगरौली(वैढऩ)। वन भूमि में अवैध कब्जे की होड़ से जिले के फारेस्ट का एरिया सिकुड़ता जा रहा है। फारेस्ट की जमीन पर बढ़ रहे कब्जे से संरक्षित वन परिक्षेत्र भी सुरक्षित नही हैं। इसके चलते जिले की वन संपदा पर खतरा मडऱाने लगा है। जिले के रिजर्व फारेस्ट में तेजी हो रहे अतिक्रमण के चलते वन अफसर भी सकते में आ गए हैं। जानकारी के मुताबिक जंगल की जमीन पर अतिक्रमणकारियों ने कच्चे और पक्के मकान तान कर अवैध कब्जा कर लिया है। जिले के वन सीमा में साढ़े 27 हजार हेक्टेयर जमीन में अतिक्रमण की जानकारी सामने आने के बाद फारेस्ट अफसरों का सिर चकराने लगा है। बताया जाता है की वन अधिकार के पट्टे के लालच में लोगों ने जंगल की जमीन को हड़पने में कोई कसर नही छोड़ी है। जंगल की जमीन में अधिकांश कब्जे 8-9 साल पुराने बताये जा रहे हैं। जबकि जानकारों का कहना है कि इस अवधि के बाद भी वनभूमि में अवैध कब्जे के मामले दर्ज किये गये हैं। हालांकि जंगल की जमीन में अवैध कब्जे के सवाल पर अब वन विभाग के अधिकारी जांच की बात कह रहे हैं। जंगल की जमीन कब्जाने में रेंज अफसरों की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है। आरक्षित और संरक्षित वन सीमा में अतिक्रमण से प्रकृति पर ग्रहण लगता जा रहा है।
8 वन परिक्षेत्र में अतिक्रमण चिन्हित 
जिले के 2 लाख 21 हजार 656 हेक्टेयर में फैले जंगल के रकबे में से 8 वन परिक्षेत्र में अतिक्रमण चिन्हित किया गया है। इनमें वैढऩ, माडा, पूर्व और पश्चिम सरई, बरगवां, गोरबी ,कर्थुआ और चितरंगी में जंगल की जमीन में अतिक्रमण पाया गया है। अतिक्रमण की स्थित पर गौर करें तो सबसे अधिक अवैध कब्जा संरक्षित वन सीमा होने की जानकारी सामने आई। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वनभूमि में अवैध कब्जे की जानकारी सामने आने पर लगातार कार्रवाई जारी है।
आरएफ और पीएफ की सीमा प्रभावित 
वन विभाग की जानकारी के अनुसार जंगल की जमीन में आरएफ (रिजर्व फारेस्ट) और पीएफ ( प्रोटेक्टेड फारेस्ट एरिया) की सीमा में अतिक्रमण चिन्हित किये गए हंै। इनमें आरक्षित वन सीमा में भी बड़े पैमाने पर अतिक्रमण की जानकारी से अफसरों की नींद उडऩे लगी है। बताया जाता है कि जंगल में अतिक्रमण अफसरों के गले की फांस बनता जा रहा है। सूत्रों का कहना है सियासी उठापटक के आसार बनने के कारण अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शिथिल पड़ गई है। ऐसे में अतिक्रमण को लेकर अफसरों की बेचैनी बढ़ती जा रही है। डीएफओ का कहना है अतिक्रमण को हटाने के लिए रणनीति बनाई गई है। हालांकि उन्होंने ने यह स्पस्ट नहीं किया की अतिक्रमण हटाने की मुहिम कब शुरू होगी ।  
 इनका कहना है 
 फारेस्ट एरिया के अतिक्रमण को चिन्हित कर लगातार कार्रवाई की जा रही है। अभी अवकाश में हूं।
-विजय सिंह, डीएफओ

Created On :   14 Nov 2019 9:37 AM GMT

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