भ्रष्टाचार में जकड़े हैं शहर के ये विभाग, घूसखोरी में राजस्व पहले व पुलिस विभाग दूसरे नंबर पर

Revenue and Police department are most corrupt department of city
भ्रष्टाचार में जकड़े हैं शहर के ये विभाग, घूसखोरी में राजस्व पहले व पुलिस विभाग दूसरे नंबर पर
भ्रष्टाचार में जकड़े हैं शहर के ये विभाग, घूसखोरी में राजस्व पहले व पुलिस विभाग दूसरे नंबर पर

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सरकार भ्रष्टाचार से मुक्त होने का भले ही दावा करती रहे हकीकत में भ्रष्टाचार का खात्मा इतना आसान नहीं लगता। इसका खुलासा RTI में हुआ है। भ्रष्टाचार के मामले में राजस्व विभाग पहले, पुलिस विभाग दूसरे व जिला परिषद तीसरे नंबर पर होने का खुलासा आरटीआई में हुआ है। पिछले चार साल में सबूतों के अभाव में घूसखोरी के 212 आरोपी छूट गए।

दलाल भी पकड़े गए
सूचना अधिकार कानून के तहत मिली जानकारी के अनुसार, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने 1 जनवरी 2015 से 31 दिसंबर 2018 (चार साल) तक घूसखाेरी के आरोप में राजस्व विभाग के 22, पुलिस विभाग के 18, जिला परिषद व पंचायत समिति के 12-12 लोकसेवकों को गिरफ्तार किया। वन व स्वास्थ्य विभाग के 8-8 लोक सेवकों को घूसखोरी के आरोप में गिरफ्तार किया गया। वन व स्वास्थ्य विभाग इस मामले में संयुक्त रूप से चौथे नंबर पर है। इस दौरान एसीबी ने घूसखोरी में लोकसेवकों को मदद करनेवाले 4 निजी लोगों (दलालों) को भी पकड़ा। 

बता दें कि  विशेष कोर्ट से सबूतों के अभाव में 212 आरोपी बरी हो गए। पिछले चार साल में भ्रष्टाचार के आरोप में केवल 48 लोक सेवकों को ही विशेष कोर्ट से सजा हो सकी है। 31 दिसंबर 2018 तक 835 मामले प्रलंबित हैं। 1 जनवरी 2018 से 31 दिसंबर 2018 (एक साल) पर नजर डालें तो घूसखोरी के 121 मामलों में 150 आरोपियों को पकड़ा गया है। 

काम कराने मांगी जाती है रिश्वत
काम कराने व बिल पास करवाने के लिए सरकारी कार्यालयों में अधिकारी व कर्मचारियों द्वारा रिश्वत मांगी जाती है। एसीबी ने एक साल में ही रिश्वत मांगने वाले 150 लोगों को पकड़ा, लेकिन सबूतों के अभाव में चार साल में 212 आरोपियों का बरी होना चिंतनीय है। जांच एजेंसी को इस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। इतनी ज्यादा संख्या में रिश्वत के आरोपियों का छूटना समाज में गलत संदेश जाता है। 
- अभय कोलारकर, आरटीआई एक्टिविस्ट

Created On :   22 Jan 2019 7:27 AM GMT

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