18 हजार क्विंटल रिजेक्ट चावल गुपचुप तरीके से खपाया जा रहा, मिलर्स पर नान की मेहरबानी

Rice Millers sell rejected rice in katni district of madhya pradesh
18 हजार क्विंटल रिजेक्ट चावल गुपचुप तरीके से खपाया जा रहा, मिलर्स पर नान की मेहरबानी
18 हजार क्विंटल रिजेक्ट चावल गुपचुप तरीके से खपाया जा रहा, मिलर्स पर नान की मेहरबानी

डिजिटल डेस्क, कटनी। राईस मिलर्स की उंगलियों पर नाचने वाला नागरिक आपूर्ति विभाग अब रिजेक्ट चावल को भी गुपचुप तरीके से खपाने की तैयारी में लगा है। दरअसल धान मीलिंग के बाद विभाग को यह शिकायत प्राप्त हुई थी कि गोदामों में गुणवत्ताविहीन चावल जमा कराया जा रहा है। शिकायत के बाद विभाग हरकत में आया और निरीक्षक से जांच कराया, तो पाया कि करीब 18 हजार क्विंटल से अधिक चावल निर्धारित मानक पर खरा नहीं उतर रहा है। जिसके बाद चावल को रिजेक्ट कर दिया गया था। गौरतलब है कि जिले में अरसे से चावल और धान के मामले में माफिया पनप रहे हैं। लेवी घोटाला का मामला अभी ईओडब्लू में चल ही रहा है कि फिर से रिजेक्ट चावल को ओके बनाने का काम विभाग ने शुरु कर दिया है।

नियमों को बताया धता
रिजेक्ट चावल को ओके बताने के चक्कर में नान ने नियमों को दरकिनार कर दिया है। नियमों के मुताबिक जो चावल गोदाम में रिजेक्ट होता है। उसे 48 घंटे के अंदर मिलर्स को वापस करना होता है। इसके बावजूद विभाग के अफसर अधिकांश जगहों पर रिजेक्ट चावल को 48 घंटे में वापस नहीं किया गया बल्कि मिलर्स को ही इतना समय दिश्या कि वह अपनी सुविधानुसार रिजेक्ट चावल को उठा सके।

सामने आएगी करतूत
विभाग से जुड़े सूत्रों ने बताया कि जिस रिजेक्ट चावल को नान अब ओके बता रहा है। यदि उसकी जांच कराई जाए तो विभाग की करतूत सामने आएगी। जिस ट्रक नम्बर में चावल गोदाम लाया गया, और जब उसे वापस किया गया। इसकी जानकारी धर्मकांटे की पर्ची से आसानी से लगाई जा सकती है। लेकिन विभाग धर्मकांटे की पर्ची से पूरी तरह से अंजान बना हुआ है।

लेवी घोटाले में बदनाम
लेवी घोटाले में भी विभाग बदनाम हो चुका है। जिसका मामला फिलहाल आर्थिक अपराध शाखा भोपाल और जबलपुर में चल रहा है। शिकायत के बाद जब तत्कालीन एडीएम ने मामले की जांच की थी तो पाया था कि जिस मिलर्स क्षमता से अधिक धान मिल का काम किए हुए हैं। बीस प्रतिशत लेवी के रुप में जो चावल शासन को बेचे हैं। उसमें कई तरह की अनयमितता की गई है। ईओडब्लू ने भी इस मामले में प्रकरण तो कायम कर लिया। लेकिन कार्यवाही किसी मिलर्स और अधिकारी पर नहीं हुई। जिसके चलते फिर से एक बार नया कारनामा करने को विभाग आतुर दिखाई दे रहा है।

बाहर से आता है चावल
लेवी के मामले में ही जांच में यह बात उजागर हुई थी कि जो चावल मिलर्स ने लेवी के रुप में शासन को बेचा है। वह चावल बाहर से कम दामों में मंगाया गया था। यहां पर प्रत्येक क्विंटल में दो से तीन सौ रुपए का फायदा लेते हुए इसे शासन को बेचा गया है। गौरतलब है कि कटनी में अरसे से धान मिलिंग में अनियमितता बरती जा रही है। खरीदी केन्द्रों में तो धान खरीदी में विभाग पूरे नियमों का पालन करता है। लेकिन जब यही चावल राशन दुकानों में पहुंचता है, तब वही चावल में गुणवत्ता को दरकिनार कर दिया जाता है।

इनका कहना है
जो चावल रिजेक्ट किया गया था। मिलर्स को वह चावल वापस किया गया। इसके बाद चावल को दुरुस्त करते हुए गोदामों में जमा कराने की बात कर्मचारी कह रहे हैं।
- ओ.पी. पगारे, डीएम नागरिक आपूर्ति विभाग कटनी

Created On :   8 Oct 2018 7:45 AM GMT

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