सबरीमाला मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुओं की भावनाओं का ध्यान नहीं रखा : मोहन भागवत

सबरीमाला मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुओं की भावनाओं का ध्यान नहीं रखा : मोहन भागवत
हाईलाइट
  • भागवत ने कहा- महिलाओं को सबरीमाला में प्रवेश की अनुमति देना हिंदुओं की भावनाओं के खिलाफ
  • संघ प्रमुख ने यह बयान प्रयागराज कुंभ में चल रही धर्म संसद को संबोधित करते हुए दिया
  • संघ प्रमुख मोहन भागवत ने सबरीमाला मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निशाना साधा

डिजिटल डेस्क, प्रयागराज। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मामले में करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं को ध्यान में नहीं रखा। भागवत ने कहा, "सबरीमाला मंदिर में विशेष उम्र की महिलाओं को प्रवेश देने के फैसले के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह नहीं सोचा कि इससे करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचेगी।" संघ प्रमुख ने यह बयान प्रयागराज कुंभ में दिया। यहां वे विश्व हिंदू परिषद द्वारा आयोजित धर्म संसद को संबोधित कर रहे थे।

सबरीमाला मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को गलत ठहराते हुए भागवत ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की इजाजत दी। कोर्ट ने कहा कि जो भी महिला मंदिर में जाना चाहे, उसे मंदिर प्रशासन प्रवेश की अनुमति दे। कोर्ट ने यह भी कहा कि जो कोई इन महिलाओं को मंदिर में प्रवेश से रोके, उनके खिलाफ कार्रवाई हो और महिलाओं को प्रवेश के दौरान सुरक्षा प्रदान की जाए। कोर्ट के इस आदेश के बावजूद किसी भी महिला भक्त ने मंदिर में प्रवेश करना उचित नहीं समझा। इसलिए जबरन श्रीलंका से लाकर महिलाओं को पिछले दरवाजे से मंदिर में प्रवेश कराया गया।"

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं के प्रवेश को सही ठहराया था। पहले मंदिर में 10 से लेकर 50 वर्ष तक की महिलाओं के प्रवेश पर रोक थी। कोर्ट के फैसले के बाद हर उम्र की महिलाएं मंदिर में जाने के लिए स्वतंत्र है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद सबरीमाला मंदिर के कपाट दो से तीन बार खुलकर बंद भी हुए, लेकिन 10 से 50 वर्ष की कोई महिला मंदिर में प्रवेश नहीं कर पाई। इसके बाद पिछले साल दिसबंर में पूरी सुरक्षा के साथ कुछ महिलाओं को दर्शन करने के लिए प्रवेश दिया गया।

गौरतलब है कि सबरीमाला मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा महिलाओं के पक्ष में फैसला देने के बाद से ही केरल में जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे हैं। इन प्रदर्शनों में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हो रही हैं। RSS शुरुआत से ही कोर्ट के इस फैसले का विरोध कर रही है। RSS के नेतृत्व में पूरे केरल में सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश पर फिर से रोक के लिए प्रदर्शन किए जा रहे हैं।

 



 

Created On :   31 Jan 2019 12:08 PM GMT

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