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पिछले 5 साल के हैल्पलाईन पर आरटीओ को नहीं मिली एक भी शिकायत
डिजिटल डेस्क, नागपुर। ऑटोचालकों को लेकर कई तरह के विवाद सुने जाते हैं। यात्रियों से विवाद के अलावा मनमानी किराया वसूलने की चर्चाएं होती है। लेकिन आरटीओ अर्थात प्रादेशिक परिवहन कार्यालय तक ये शिकायत पहुंच ही नहीं पाती है। शिकायत सुनने के लिए आरटीओ ने टोल फ्री अर्थात निशुल्क फोन सेवा उपलब्ब्ध करा रखी है। उस फोन पर भी शिकायत की घंटी नहीं बजती है। एक दो नहीं बल्कि पांच वर्ष में एक भी शिकायत आरटीओ का फोन पर नहीं मिली है। आरटीआई अर्थात सूचना अधिकार के तहत यह खुलासा हुआ है। सामाजिक कार्यकर्ता अभय कोलारकर को दी जानकारी में आरटीओ ने आटो चालकों से संबंधित विवाद की जानकारी का रिकार्ड होने से भी इनकार किया है। शहर में आटो वाहन को लेकर बढ़ रहे विवाद के संदर्भ में विविध प्रश्नों के साथ आरटीओ नागपुर से उत्तर मांगा था। 2013 से मई 2019 तक मांगी गई जानकारी में आरटीओ की ओर से ज्यादातर पर अभिलेख उपलब्ब्ध नहीं होने का उत्तर दिया है। आटोचालको की ओर से अधिक भाड़ा वसूलने,निर्धारित करने, यात्रियों से विवाद करने, आरटीओ के निर्धारित रेट को नकारने संबंधी प्रश्नाें के उत्तर में लिखा गया है कि इन मामलों की जानकारी कार्यालय के अभिलेख पर उपलब्ध नहीं है। विवाद की स्थिति में आटोचालकों के लाइसेंस निलंबित करने के संदर्भ में भी आरटीओ के पास रिकार्ड नहीं है। आरटीओ के पास यह भी रिकार्ड नहीं है कि लाइसेंस रद्द करने के बाद भी कितने आटो चालक आटो चलाते हुए पकड़े गए। आटो चालकों के विरुद्ध चलाए गए अभियान व आटोचालकों के विरुद्ध कार्रवाई के संबंध में बताया गया है कि 787 आटोचालकों के विरुद्ध कार्रवाई दिखायी पड़ती है।
गंभीर नहीं
आरटीआई कार्यकर्ता अभय कोलारकर ने कहा है कि आटोचालकों पर कार्रवाई के मामले में जानकारी देने के लिए आरटीओ गंभीर नहीं है। आटो यात्रियों की सहायता के लिए आरटीओ ने 2013 में टोल फ्री नंबर 1800-233-3388 जारी किया है। इन नंबरों पर शिकायत की जा सकती है। लेकिन आरटीओ का उत्तर है कि टोल फ्री नंबर पर भी कोई शिकायत नहीं मिली है। मीटर से निर्धारित दर पर भाड़ा वसूला जाना चाहिए। लेकिन आरटीओ ने इस मामले में भी कोई कार्रवाई नहीं की है। अभियान के तहत कार्रवाई के आंकड़े तो दिए है पर उसमें भी लिखा है कि , उतनी कार्रवाई दिखायी पड़ रही है।
Created On :   10 July 2019 4:40 PM GMT