RTO को अधिकार मिले पर संसाधन नहीं, इसलिए कार्रवाई में पिछड़ा

RTO has all the rights but no instrument for concerned actions
RTO को अधिकार मिले पर संसाधन नहीं, इसलिए कार्रवाई में पिछड़ा
RTO को अधिकार मिले पर संसाधन नहीं, इसलिए कार्रवाई में पिछड़ा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। वाहनधारकों पर लगाम कसने के लिए भले ही RTO को कुछ मामलों में अधिकार दिए गए हैं, लेकिन संसाधन नहीं मिले हैं। इसमें स्पीड गन, ब्रीथ एनलाइजर शामिल हैं। ऐसे में लंबे समय से इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हुई है। यही नहीं, अधिकारियों की लापरवाही के कारण संसाधन होने के बाद भी कुछ मामलों में कार्रवाई नहीं हो रही है। इसमें टिंट मीटर, पीयूसी, हेड लाइट अलाइजर आदि का समावेश है। ऐसे में कहीं कार्रवाई के लिए संसाधनों की कमी पड़ रही है, तो कहीं संसाधन होने के बाद भी कार्रवाई नहीं हो पा रही है।

हकीकत कुछ इस तरह  
सड़क पर वाहनों को सही तरीके से चलाने के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं, ताकि दुर्घटनाओं पर नियंत्रण लाया जा सके। शहर में प्रादेशिक परिवहन कार्यालय व यातायात विभाग दोनों ही यातायात नियमों को तोड़ने वालों के विरोध में कार्रवाई करते हैं। कुछ मैन्युअली तो कुछ मशीनों की सहायता से। RTO के पास कई कार्रवाई करने के लिए मशीन ही नहीं है। कुछ कार्रवाई के लिए मशीन है, लेकिन इसका उपयोग ही नहीं हो रहा है।

नहीं है स्पीड गन व ब्रीथ एनलाइजर 
मोटर व्हीकिल एक्ट 1988 के तहत RTO सेक्शन 185 के तहत कार्रवाई कर ड्रंक एंड ड्राइव का केस बना सकते हैं, वहीं सेक्शन 183 के तहत तेज गाड़ी चलाने वालों पर कार्रवाई करने का अधिकार है। ऐसे में ब्रीथ एनलाइजर व स्पीड गन की जरूरत रहती है। ज्यादा तेज वाहन चलाने पर कार्रवाई करने का अधिकार RTO के पास है, लेकिन स्पीड गन (रडार) नहीं है। वहीं शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों पर कार्रवाई करने के लिए RTO के पास सीधे तौर पर अधिकार तो नहीं है, लेकिन यातायात पुलिस की मदद से कार्रवाई की जा सकती है। इसके लिए ब्रीथ एनलाइजर मशीन की आवश्यकता है, पर वर्तमान में एक भी एनलाइजर नहीं है। 

मशीन है, लेकिन कार्रवाई नहीं होती
RTO के पास कार्रवाई करने के लिए हेडलाइट अलायनर व टींटो मीटर मशीन दी गई है, लेकिन आंकड़े बता रहे हैं कि गत 2 वर्ष में न के बराबर कार्रवाई हुई है। इन मशीनों का इस्तेमाल केवल फिटनेस के वक्त किया जाता है, जबकि इनका इस्तेमाल स्क्वॉड चेकिंग के वक्त किया जा सकता है, क्योंकि मशीनों का आकार बहुत मामूली होता है। इसे एक जगह से दूसरी जगह लेकर जाना भी मुश्किल नहीं होता है। बावजूद इसके इन मशीनों का इस्तेमाल  केवल परिसर में ही गाड़ियों का फिटनेस चेक करने के लिए किया जाता है। 

पीयूसी मशीन का इस्तेमाल ही नहीं होता
हैरानी की बात तो यह है कि पीयूसी मशीन होने के बाद भी इसका इस्तेमाल नहीं किया जाता है। फिटनेस के वक्त अधिकारी बाहर से पीयूसी लाने के लिए कहते हैं। 

इनका यह कहना  
स्पीड गन व ब्रीथ एनलाइजर से कार्रवाई का हमारे पास अधिकार नहीं है। टींट मीटर का उपयोग हमारी ओर से केवल फिटनेस के वक्त किया जाता है। इन मशीनों को गाड़ी में ले जाकर स्क्वॉड चेकिंग संभव नहीं है। 
-अतुल आदे, उपप्रादेशिक परिवहन अधिकारी, शहर RTO
 

Created On :   22 Jan 2019 7:52 AM GMT

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