घर से चल रहा RTO - सर्टिफिकेट के लिए पांच इंस्पेक्टर की ड्यूटी, फिर भी परेशानी

RTO run from home - five inspectors for issue certificate
घर से चल रहा RTO - सर्टिफिकेट के लिए पांच इंस्पेक्टर की ड्यूटी, फिर भी परेशानी
घर से चल रहा RTO - सर्टिफिकेट के लिए पांच इंस्पेक्टर की ड्यूटी, फिर भी परेशानी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। ग्रामीण आरटीओ में फिटनेस सर्टिफिकेट के लिए दिन में पांच इंस्पेक्टर की ड्यूटी रहती है, लेकिन दोपहर के समय इनमें से कोई भी नहीं रहता है। आम आदमी की परेशानी को देखते हुए भास्कर ने लाइव स्टिंग किया, तो हैरतअंगेज स्थिति सामने आई। सभी इंस्पेक्टर एक दूसरे की ड्यूटी होने का बहाना बनाते रहे। शनिवार दोपहर 2 से 3.30 बजे तक ट्रैक पर कई गाड़ियां और वाहन मालिक जांच के लिए इंतजार करते रहे, लेकिन इंस्पेक्टर नहीं मिले।  

ऐसी है चर्चा : इंस्पेक्टर अपनी मर्जी के अनुसार ड्यूटी करते हैं। गर्मी का बहाना बनाकर सुबह 7 बजे ही ड्यूटी कर निकल जाते हैं। इसके बाद घर पर बैठे-बैठे फोन पर ही रिपोर्ट बनाकर अप्रूवल देते हैं।

ग्रामीण आरटीओ में पांच इंस्पेक्टर संजय चौहान, राजेश बाेराले, रविकुमार चाटले, सतीश नवघरे और अमित कराड हैं। अगले एक माह तक इन्हीं की ड्यूटी रहेगी। उप प्रादेशिक अधिकारी सुबोध देशपांडे ने बताया कि सभी इंस्पेक्टरों के बीच आपसी समन्वय रहता है। वह अपने अनुसार कार्य कर लेते हैं। इससे कोई परेशानी नहीं होती और किसी तरह की कोई शिकायत भी नहीं आती। 

गर्मी लगती है : इंस्पेक्टरों से और आरटीओ अधिकारियों से समय के विषय में बात की गई तो उनका कहना था कि गर्मी ज्यादा होने के कारण इंस्पेक्टर सुबह ड्यूटी कर निकल जाते हैं और फिर अन्य कार्य अपने फोन से करते हैं। इसके अनुसार यदि कोई व्यक्ति गर्मी में ऑफिस टाइम में आता है तो उसे इंतजार करना होगा। इंस्पेक्टर अपने अनुसार टाइमिंग फिक्स करके ड्यूटी कर चले जाते हैं। शनिवार को ग्रामीण आरटीओ में इसी तरह का नजारा सामने आया, जिसमें कई गाड़ियां इंस्पेक्शन के लिए खड़ी रहीं, लेकिन इंस्पेक्टर वहां पर 2 घंटे बाद पहुंचे। 

गजब की सफाई

ग्रामीण आरटीओ में पांच इंस्पेक्टर संजय चौहान, राजेश बाेराले, रविकुमार चाटले, सतीश नवघरे और अमित कराड हैं। अगले एक माह तक इन्हीं की ड्यूटी रहेगी। उप प्रादेशिक अधिकारी सुबोध देशपांडे ने बताया कि सभी इंस्पेक्टरों के बीच आपसी समन्वय रहता है। वह अपने अनुसार कार्य कर लेते हैं। इससे कोई परेशानी नहीं होती और किसी तरह की कोई शिकायत भी नहीं आती। 

ढूंढ़ते रह जाओगे

शुक्रवार को एक वाहन मालिक गाड़ी के इंस्पेक्शन के लिए पहुंचा था। पूछताछ करने पर किसी से जानकारी नहीं मिली कि किसकी ड्यूटी है। ऑफिस के अन्य लोगों ने बताया कि शुक्रवार को चाबुक्सवार की ड्यूटी थी, लेकिन इंस्पेक्शन करने के लिए अमित कराड को भेजा गया।

इंस्पेक्टर सतीश नवघरे से हुई बातचीत

संवाददाता- आज ट्रैक पर आपकी ड्यूटी कब है?
सतीश नवघरे- मैं ड्यूटी कर अभी निकला हूं
संवाददाता- मैं बहुत देर से यहां हूं, मुझे कहीं नजर नहीं आए आप?
सतीश नवघरे-  मैं ढाई बजे निकला था।
संवाददाता- मैं 1.45 बजे से ट्रैक पर हूं।  
सतीश नवघरे-  आपको क्या प्रॉब्लम है, हम अपनी ड्यूटी कर रहे हैं और अभी कराड साहब की ड्यूटी है, ताे वह आ रहे हैं।

इसके बाद इंस्पेक्टर अमित कराड ने कहा

संवाददाता- आपका ड्यूटी समय क्या है?
अमित कराड- हमारे ड्यूटी का समय निश्चित नहीं है, गाड़ी रहती है तो हम आ जाते हैं।
संवाददाता- यहां पर 2 घंटे से इंस्पेक्शन के लिए गाड़ियां खड़ी हैं, पर काेई इंस्पेक्टर नहीं है।
अमित कराड- पहले जिनकी ड्यूटी थी वह कर चुके हैं, अब मैं इंस्पेक्शन करूंगा। हम सुबह जल्दी इंस्पेक्शन कर देते हैं।
संवाददाता- यहां जो मौजूद है, उनकी गाड़ियों का इंस्पेक्शन कौन करेगा। ऑफिस टाइम पर ही यहां पर इंस्पेक्शन करने के लिए कोई मौजूद नहीं है।  
अमित कराड- आप डिप्टी आरटीओ से बात कर लिजिए। 

उप-प्रादेशिक अधिकारी सुबोध देशपांडे से बातचीत

संवाददाता- फिटनेस के लिए कितने इंस्पेक्टर की ड्यूटी है?
अधिकारी- पांच इंस्पेक्टर की ड्यूटी होती है।
संवाददाता- लेकिन पिछले दो घंटे से ट्रैक पर गाड़ियां खड़ी हैं और इंस्पेक्शन के लिए और कोई इंस्पेक्टर नहीं है।
अधिकारी- हां, हो सकता है नहीं हो।
संवाददाता- इससे आम जनता को परेशानी हो रही है।
अधिकारी- गर्मी ज्यादा होने के कारण इंस्पेक्टर सुबह जल्दी इंस्पेक्शन कर लेते हैं, तो दोपहर में कम लाेग रहते हैं। सुबह इंस्पेक्शन करने के बाद रिपोर्ट और अप्रूवल फोन पर कर देते हैं।
संवाददाता- अभी ऑफिस टाइम के अनुसार ट्रैक पर मौजूद लोग गर्मी में खड़े है इंस्पेक्शन के लिए।
अधिकारी- मेरे पास इस तरह की कोई शिकायत नहीं। होती तो दूसरे इंस्पेक्टर से बोल कर इंस्पेक्क्शन करवा देते।
संवाददाता- आपके एक भी इंस्पेक्टर इस समय ऑफिस में मौजूद नहीं ह,  वह कहां रिपोर्ट बना रहे हैं।
अधिकारी-यहां बैठने के लिए जगह नहीं है, तो कहीं दूसरी जगह करते हैं काम
 


 

Created On :   21 July 2019 12:11 PM GMT

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