वर्ल्ड कप से पहले सचिन का इंटरव्यू, जानिए क्या कहा तेंदुलकर ने विराट कोहली के लिए

वर्ल्ड कप से पहले सचिन का इंटरव्यू, जानिए क्या कहा तेंदुलकर ने विराट कोहली के लिए

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर का कहना है कि विराट कोहली के लिए भले ही नियमित रूप से रन बनाना डे जॉब की तरह बन गया है, लेकिन इसके बावजूद वह अपने साथी खिलाड़ियों के सपोर्ट के बिना वर्ल्ड कप नहीं जीता सकते। एक न्यूज एजेंसी को दिए इंटरव्यू में सचिन ने विराट के अलावा कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल की भूमिका, विवादास्पद नंबर 4 स्लॉट और इंग्लैंड में सपाट पिचों सहित कई विषयों पर बात की।

सचिन तेंदुलकर से जब पूछा कि जिस तरह उन पर 1996, 1999 और 2003 विश्व कप में बर्डन था उसी तरह अगर विराट पर भी हो। इस सवाल पर सचिन ने कहा, "मुझे लगता है कि आपके पास हमेशा टीम में कुछ ऐसे खिलाड़ी होते हैं जो हर मैच में उम्दा प्रदर्शन करते हैं, लेकिन टीम के सहयोग के बिना आप कुछ नहीं कर सकते। एक खिलाड़ी के दम पर टूर्नामेंट नहीं जीता जा सकता। बिल्कुल नहीं। अहम चरण पर दूसरों को भी अपनी भूमिका निभानी होगी। ऐसा नहीं करने पर निराशा ही हाथ लगेगी।"

भारतीय टीम की तरफ से चौथे नंबर पर कौन बल्लेबाजी करेगा अभी यह तय नहीं है। तेंदुलकर ने इस पोजिशन को लेकर कहा, "मुझे लगता है कि हमारे पास ऐसे बल्लेबाज हैं, जो हर क्रम पर बल्लेबाजी कर सकते हैं। नंबर चार सिर्फ एक संख्या है और इसे एडजस्ट किया जा सकता है। मैं विशेष रूप से नंबर 4 को एक समस्या के रूप में नहीं देखता हूं। हमारे लड़कों ने पर्याप्त क्रिकेट खेला है वो अपनी भूमिकाओं को बखूबी जानते हैं चाहे नंबर 4, 6 या 8 हो।" उन्होंने कहा, "सिचुएशनल अवेयरनेस इसकी कूंजी है।"

तेंदुलकर ने वनडे क्रिकेट में बल्लेबाजों की बढती भूमिका पर निराशा जताई। तेंदुलकर ने हाल ही में इंग्लैंड बनाम पाकिस्तान की हाई स्कोरिंग सीरीज जो गेंदबाजों के लिए बुरे सपने की तरह साबित हुई है को लेकर कहा, "दो नई बॉल वाले नियम और सपाट पिचों ने गेंदबाजों के जीवन को और अधिक कठिन बना दिया है। एक टीम 350 रन बना रही है और दूसरी टीम 45 ओवर में ही इसे चेज कर ले रही है।" तेंदुलकर को ये और भी निराशाजनक लगता है कि दो नई गेंद वाले नियम से रिवर्स स्विंग खत्म हो गई है।

तेंदुलकर ने कहा, आखिरी बार कब आपने वनडे में रिवर्स स्विंग देखी थी? उन्होंने कहा, "जब हम खेलते थे और एक नई गेंद होती थी, तो वह 28वें या 30वें ओवर से रिवर्स स्विंग होना शुरू कर देती थी। कुछ टीमें इससे पहले भी रिवर्स स्विंग करा लेती थीं। डेथ ओवरों तक गेंद सॉफ्ट हो जाती थी, यहां तक ​​कि उसका रंग भी फीका पड़ जता था। उस समय बल्लेबाज इस तरह की चुनौतियों का सामना करते थे। लेकिन अब गेंद हार्ड रहती है और बैट बेहतर हो रहे हैं।"

तेंदुलकर को लगता हैं कि गेंदों की गुणवत्ता भी एक कारण है। उन्होंने वाइट कूकाबूरा गेंद पर सवाल उठाए जिससे सपाट पिचों पर गेंदबाजों को लेटरल मूवमेंट नहीं मिलता। सचिन से जब पूछा गया कि फिर इसका क्या उपाय है? इस पर सचिन ने जवाब दिया: "मुझे लगता है कि इसके बारे में कुछ सोचा जाना चाहिए। यदि आप दो नई गेंदें रखते हैं तो गेंदबाजों की मददगार ट्रैक तैयार करें या फिर पुराना सिस्टम जिसमें एक नई गेंद हुई करती थी पर वापस जाएं, जिसमें रिवर्स स्विंग मिलती थी। जो भी हो। गेंदबाजों के लिए कुछ करें।"

सचिन के अनुसार वर्ल्ड कप में कलाई के स्पिन गेंदबाज अच्छा प्रदर्शन करेंगे और भारत के पास कुलदीप और चहल जैसे दो स्पिन गेंदबाज हैं। सचिन से जब पूछा गया कि ऑस्ट्रेलियाई टीम ने भारत में घरेलू श्रृंखला के दौरान इस जोड़ी को काफी अच्छी तरह से पढ़ा था। इस पर सचिन ने कहा "यह इंग्लैंड में ज्यादा मायने नहीं रखेगा।" उन्होंने कहा, ऐसे कई गेंदबाज हैं जिन्हें बल्लेबाजों ने अच्छी तरह से पढ़ा है, लेकिन फिर भी उन्हें बहुत सारे विकेट मिल रहे हैं। इसलिए कुलदीप और चहल को ऑस्ट्रेलिया श्रृंखला के बारे में ज्यादा चिंतित नहीं होना चाहिए।" उन्होंने कहा "दोनों गेंदबाज वर्ल्डकप में अहम भूमिका अदा करेंगे।"

सचिन ने कहा, "मैं इस बात से सहमत हूं कि ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों ने उन्हें अच्छी तरह से पढ़ा लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे गलतियां नहीं करेंगे या गलतियों के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है।" उन्होंने मुथैया मुरलीधरन का उदाहरण देते हुए कहा, "मुरली मूल रूप से दो तरह की गेंद फेंकते थे --- पारंपरिक ऑफ-ब्रेक और दूसरा। ऐसा नहीं है कि बल्लेबाजों ने कभी मुरली को नहीं पढ़ा, लेकिन उन्होंने इसके बावजूद भी विकेट हासिल किए हैं।"

सचिन ने कहा, "एक चीज है एरर इन जजमेंट और यह सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों के साथ भी हो सकता है। आप सोच सकते हैं कि गेंद चार इंच स्पिन होगी लेकिन वो आठ इंच हो जाती है। यहां तक ​​कि जब आप जानते हैं कि एक आउटस्विंगर गेंद फेंकी गई है, तब भी कई बार बल्लेबाज से एज लग जाती है और वह आउट हो जाता है। बॉल को मिडल करने में और एज लगने में केवल दो इंच का फासला होता है।"

विश्व कप में भारत की टीम के बारे में तेंदुलकर को जो पसंद आया वह युवाओं और अनुभव का मिश्रण है। सचिन ने कहा, "टीम में एक अच्छा संतुलन है। हमारे पास 8-10 वर्षों के अनुभव वाले कई खिलाड़ी हैं और साथ ही हमारे पास कुलदीप, राहुल, चहल, हार्दिक (पंड्या) और जसप्रित (बुमराह) जैसे प्रतिभाशाली युवा खिलाड़ी हैं। तेंदुलकर ने कहा, "इसलिए यह एक सही मिश्रण है जो एक शानदार टीम में होना चाहिए।" यह वर्ल्ड कप में भारत की जीत की संभावनाओं को बहुत ज्यादा बढ़ाता है। 

Created On :   22 May 2019 4:41 PM GMT

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