मोदी के जन्मदिन के शोर में दब गई सरदार सरोवर प्रभावितों की आवाज: मेधा

Sardar Sarovar affected by the noise of Modis birthday: the voice of the affected: Medha
मोदी के जन्मदिन के शोर में दब गई सरदार सरोवर प्रभावितों की आवाज: मेधा
मोदी के जन्मदिन के शोर में दब गई सरदार सरोवर प्रभावितों की आवाज: मेधा
हाईलाइट
  • नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेतृत्वकर्ता मेधा पाटकर ने प्रधानमंत्री मोदी और उनके समर्थकों पर बड़ा हमला बोला
  • मेधा ने कहा पीएम के जन्मदिन का शोर मप्र के सरदार सरोवर प्रभावितों के दर्द पर भारी पड़ा

डिजिटल डेस्क, भोपाल। नर्मदा बचाओ आंदोलन की अगुवा मेधा पाटकर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके समर्थकों पर बड़ा हमला बोला है, उनका कहना है कि प्रधानमंत्री के जन्मदिन का शोर मध्यप्रदेश के सरदार सरोवर प्रभावितों के दर्द पर भारी पड़ रहा है। आंदोलन की नेतृत्वकर्ता मेधा पाटकर ने कहा, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन एक तरफ उत्सव के तौर पर मनाया गया दूसरी तरफ सरदार सरोवर प्रभावित डूब रहे हैं, उनका पुनर्वास हुआ नहीं और उन्हें डुबो दिया गया। सरदार सरोवर को तय समय से पहले ही निर्धारित ऊंचाई तक भर दिया गया, क्योंकि प्रधानमंत्री का जन्मदिन था।

गुजरात सरकार द्वारा सरदार सरोवर बांध का जलस्तर 138़ 68 मीटर की ऊंचाई तक ले जाए जाने से मध्यप्रदेश के तीन जिलों- धार, बड़वानी और अलिराजपुर के 192 गांव और एक नगर के निवासियों का जीवन संकटमय हो गया है। कई गांव जलमग्न हो गए हैं, खेती तबाह हो गई है। ऐसे हालात के खिलाफ सरदार सरोवर के प्रभावितों का आंदोलन जारी है।

मेधा पाटकर का कहना है कि सरदार सरोवर प्रभावित हजारों परिवारों को सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के बावजूद मुआवजे का भुगतान नहीं किया गया है और बांध में पानी तय सीमा तक भर दिया गया, जिससे गांव के गांव डूब गए हैं। मध्यप्रदेश सरकार कह रही है कि गुजरात सरकार को पुनर्वास के लिए 1857 करोड़ रुपये देने देने थे, जो उसने नहीं दिए।

मेधा का आरोप है कि मध्यप्रदेश में बड़ी संख्या में लोग डूब में आ रहे हैं। नर्मदा कंट्रोल अथॉरिटी ने भी अपना काम नहीं किया। मगर केंद्र सरकार इस मामले पर चुप है। गुजरात सरकार को केंद्र का संरक्षण हासिल है और दोनों सरकारें एक ही पार्टी की हैं।

प्रभावितों के साथ अन्याय के लिए राज्य की पूर्ववर्ती शिवराज सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्होंने कहा, शिवराज सरकार ने पुनर्वास पूरा होने का दावा किया और जीरो बैलेंस के शपथपत्र दिए, इसका आशय था कि पुनर्वास पूरा हो चुका है। इस तरह प्रभावितों के हक पर डाका डाला।

मेधा ने गुजरात सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा, रूपाणी सरकार ने पहले 15 अक्टूबर तक बांध भरने की बात कही, उसके बाद 30 सितंबर कहा, मगर उससे भी पहले 17 सितंबर को ही प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन पर इसे भर दिया गया। इससे पता चला है कि इनके लिए देश का संविधान, कानून कुछ भी नहीं है, हजारों लोग भले ही डूब जाएं, मगर सिर्फ एक व्यक्ति के जन्मदिन के लिए बांध को भर दिया गया। देश में अगर ऐसा ही होता रहा तो एक दिन सवाल उठेगा कि सरकार जिंदा है या नहीं।

सरदार सरोवर बांध परियोजना जब अंतर्राज्यीय है, तब मध्यप्रदेश के साथ ही ऐसा बर्ताव क्यों हो रहा है? इस सवाल पर मेधा ने कहा, मध्यप्रदेश में जो पिछली शिवराज की सरकार थी, उसने गुजरात सरकार और मोदी के सामने घुटने टेक दिए थे, वे कभी भी अपने राज्य की सच्चाई बोलने को तैयार नहीं हुए। सरदार सरोवर से मध्यप्रदेश को बिजली मिलनी थी, उस मसले पर भी पिछली सरकार नहीं बोली।

मेधा पाटकर ने आगे कहा कि आज गुजरात सरकार की हठधर्मिता के चलते जो हुआ है, वह दुखद है। मध्यप्रदेश के 192 गांवों और एक नगर के निवासियों का जीवन संकट में डाले जाने की पूरे देश में भर्त्सना होनी चाहिए। प्रभावित लोग तो प्रधानमंत्री के जन्मदिन को धिक्कार दिवस के तौर पर मना रहे हैं।

 

Created On :   17 Sep 2019 4:30 PM GMT

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