18 अप्रैल से शनि हो रहे हैं वक्री : जानिए राशियों पर कैसा पड़ेगा प्रभाव, करें ये उपाय

Saturn  transit 2018: Know how it will affect the quantities, make these measures
18 अप्रैल से शनि हो रहे हैं वक्री : जानिए राशियों पर कैसा पड़ेगा प्रभाव, करें ये उपाय
18 अप्रैल से शनि हो रहे हैं वक्री : जानिए राशियों पर कैसा पड़ेगा प्रभाव, करें ये उपाय

डिजिटल डेस्क, भोपाल। 18 अप्रैल 2018 को शनि वक्री हो रहे हैं। शनि गोचर और शनि साढ़ेसाती महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटनाक्रम हैं। वैदिक ज्योतिष में शनि को क्रूर ग्रह माना गया है लेकिन स्वभाविक रूप से शनि न्याय प्रिय और दंडाधिकारी हैं इसलिए उन्हें कलयुग का न्यायाधीश कहा जाता है। शनि का कार्य प्रकृति में संतुलन पैदा करना है इसलिए समस्त मानव जाति पर शनि का गहरा प्रभाव होता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार शनि कर्म और सेवा का कारक होता है यानि इसका सीधा संबंध आपकी नौकरी और व्यवसाय से होता है। इसी वजह से शनि की चाल का असर आपकी नौकरी व व्यवसाय में सफलता और उतार-चढ़ाव को दर्शाता है। इसके प्रभाव से ही मनुष्य के जीवन में बड़े बदलाव होते हैं। ये परिवर्तन सकारात्मक और नकारात्मक दोनों हो सकते हैं। इसका फल आपकी राशि और कुंडली में शनि की चाल और स्थिति से तय होता है।

शनि साल 2018 में धनु राशि में स्थित होगा और यह पूरे वर्ष इसी राशि में उपस्थित रहेगा। हालांकि 18 अप्रैल 2018 को शाम 5:29 शनि धनु राशि में ही वक्री होगा और 06 सितंबर 2018 को सायं 05:02 बजे इसी राशि में मार्गी होगा। शनि वक्री की अवधि कुल 142 दिनों की रहेगी। आइए जानते हैं शनि गोचर 2018 का प्रभाव 12 राशियों पर किस तरह पड़ेगा।
 


मेष राशि : इस राशि में शनि दशम एवं एकादश भाव का स्वामी होकर भाग्य भाव में गोचर करेगा। बनते हुए कार्यों में रूकावटें आएंगी। इस समय धन निवेश करने में सावधानी बरतने की आश्यकता है। रोग से सावधान रहने की जरूरत है।

उपाय : शनि बीज मंत्र का प्रतिदिन 108 बार जाप करें, यह मंत्र जातक के लिए आसपास 24 घंटे का रक्षा कवच बनाता है। इसके बाद है शनि स्तोत्र का पाठ करें। ये शनिदेव को प्रसन्न करने का सबसे सरल मंत्र है। 

नमस्ते कोण संस्थाय पिंगलाय नमोस्तुते। 
नमस्ते विष्णु रूपाय कृष्णाय च नमोस्तुते।। 
नमस्ते रौद्र देहाय नमस्ते कालकायजे। 
नमस्ते यम संज्ञाय शनैश्चर नमोस्तुते। 
प्रसादं कुरु देवेश दीनस्य प्रणतस्य च। 


यदि आपकी लग्न राशि मेष है तो आप हर शनिवार को हनुमान मन्दिर में पूजा उपासना कर प्रसाद चढ़ाएं। कम से कम 7 शनिवार शनि ग्रह से संबन्धित वस्तुओं को दान करें। महामृत्युंजय मंत्र का प्रतिदिन कम से कम एक माला जाप करें।

वृष राशि : शनि इस समय आपके अष्टम भाव में गोचर कर रहा है, जिसकी तृतीय दृष्टि दशम भाव पर पड़ रही है, इसलिए करियर और व्यवसाय में अड़चनें उत्पन्न हो सकती हैं। उत्साह में कमी बनी रहेगी।

उपाय : काले घोड़े की नाल या नाव की कील से बनी हुई अंगूठी को धारण करें। ये छल्ला या अंगूठी दाएं हाथ की मध्यमा अंगुली में शनिवार के दिन प्रातः शनि बीज मंत्र की 108 बार स्तुति के बाद धारण करें।

शनि के प्रकोप से बचने के लिए लोहे अथवा चांदी की अंगूठी में नीलम रत्न जड़वाकर धारण कर सकते हैं। लेकिन ऐसा करने से पहले ज्योतिषी सलाह अवश्य लें। इसके अलावा शनि स्तोत्र का जाप करें, शनिवार के दिन पीपल के नीचे तेल का दीपक जलाएं। घर के मुख्य द्वार पर काले घोड़े की नाल अन्दर की ओर लगाएं।

मिथुन राशि : इस समय शनि आपके सप्तम भाव में होकर वक्री है, जिसकी सीधी सप्तम दृष्टि लग्न पर पड़ रही है। जीवन साथी से अनबन के कारण मानसिक तनाव रह सकता है। वाहन चलाने में सावधानी बरतें वरना दुर्घटना घट सकती है।

उपाय : नाव की कील की अंगूठी धारण करें, ध्यान रहे कि उस अंगूठी को शुक्रवार की रात में सरसों के तेल में डुबोकर रख दें और धारण करने के बाद उस तेल का दीपक जला दें। यह तेल पूरा जल जाना चाहिए।

मिथुन राशि के जातक भी ज्योतिषी सलाह लेने के बाद नीलम रत्न धारण कर सकते हैं। घर के द्वार के पास काले रंग के पत्थर की शिला स्थापित करें। स्वास्तिक या अन्य मांगलिक चिन्ह घर के मुख्य द्वार पर लगाएं। यह घर में आने वाली नकारात्मक शक्तियों को आपसे दूर रखेगा।
 


कर्क राशि : शनि आपके छठवे भाव यानि रोग भाव में बैठकर वक्री हो रहा है, जिस कारण अचानक सस्याएं आ सकती हैं, रोग में वृद्धि व शादी-शुदा लोगों का किसी अन्य से प्रेम-प्रसंग हो सकता है।

उपाय : रोज कम से कम 45 दिनों तक हनुमान चालीसा का तीन बार पाठ करें, शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या, दशा, अंतर्दशा सभी के बुरे प्रभाव से छुटकारा मिलेगा।

शनि ग्रह से संबंधित वस्तुओं का नियमित रुप से 7 शनिवार दान करें। शनि स्तोत्र या फिर महामृत्युंजय मंत्र का प्रतिदिन जप करें। शनिवार के दिन शनि के मन्दिर में सरसों के तेल का दीपक जलाएं एवं आम के अचार सहित एक-एक रोटी 11 भिखारियों को दान करें।

सिंह राशि : शनि छठवें व सातवें भाव का मालिक होकर पांचवे भाव में गोचर कर रहा है। इसलिए शनि के वक्री होने से जीवन साथी से तनाव, कार्य और व्यवसाय को लेकर टेंशन, खर्चों में वृद्धि, लाभ में कमी आदि समस्याएं बनी रह सकती हैं।

उपाय : हनुमान चालीसा के अलावा सुंदर काण्ड का पाठ भी कर सकते हैं। शनि प्रकोप से मुक्ति के लिए शिव स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं। शिव आराधना से भी शनि प्रकोप से काफी हद तक छुटकारा मिल जाता है।

प्रतिदिन शनि के बीज मंत्र का एक माला जाप करें। शनि ग्रह से संबन्धित वस्तुओं का नियमित रुप से 7 शनिवार दान करें। प्रतिदिन या फिर कम से कम शनिवार के दिन शिव मंदिर जाएं और वहां पारद शिवलिंग के सामने महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करें।

कन्या राशि : शनि पाचवें व छठवें भाव का स्वामी होकर चौथे भाव में गोचर कर रहा है। अतः शनि के वक्री होने से रोग में वृद्धि, पुराने प्रेम में खटपट, कार्यो में बाधाएं, संतान को लेकर कष्ट आदि प्रकार की समस्याएं बनी रह सकती हैं।

उपाय : शनि बीज मंत्र और स्तोत्र के बाद शनि मृतयुंजय स्तोत्रं का पाठ करें। जिससे शनि सर्वाधिक प्रसन्न होते हैं। यदि कुण्डली में भी शनि की स्थिति काफी खराब है तो इसका पाठ जातक को बेहद राहत प्रदान करता है।

प्रतिदिन शनि ग्रह के मंत्र का जाप करें। शनि देव से संबंधित वस्तुओं का दान करें। अगर जीवन पर शनि संबंधित कठिनाइयां बढ़ने लगें तो घर के मुख्य द्वार पर शनि यंत्र भी लगा सकते हैं।

तुला राशि : वर्तमान में शनि आपके तीसरे भाव में गोचर कर रहा है इसलिए शनि के वक्री होने से मानसिक तनाव, प्रेमी वर्ग के आपस में झगड़े, घरेलू कार्यों में देरी होने से जीवन साथी से तनाव, माता के स्वास्थ्य में कमी, शिक्षा के क्षेत्र में बाधाएं आदि बनी रहेंगी।

उपाय : शनि बीज मंत्र का प्रतिदिन 108 बार पाठ करें, यह मंत्र जातक के लिए आसपास 24 घंटे का रक्षा कवच बनाता है।

शनिवार को साबुत उड़द किसी भिखारी को दान करें, काले कुत्ते को रोटी खिलाएं, सरसों का तेल दान करें, शनि मंदिर में जाकर सरसों तेल अर्पित करें।

वृश्चिक राशि : शनि दूसरे भाव में गोचर कर रहा है। वाहन सुख में कमी, माता का स्वास्थ्य प्रभावित होगा, नौजवान वाहन सावधानी से चलाएं वरना दुर्घटना घट सकती है। 

उपाय : काले घोड़े की नाल अथवा नाव की कील से बनी हुई अंगूठी को धारण करें। यह छल्ला या अंगूठी दाएं हाथ की मध्यमा अंगुली में शनिवार के दिन प्रातः शनि बीज मंत्र की 108 बार स्तुति के बाद धारण करें।

घर के मुख्य द्वार पर शनि यंत्र लगवा सकते हैं। इसके अलावा हर शनिवार को काले तिल कीड़ों को डालें, तांबे का सिक्का बहते हुए जल में प्रवाह करें। अगर कठिनाइयां बढ़ने लगें तो हनुमान जी आराधना करें।

धनु राशि : इस समय शनि आपके लग्न में गोचर कर रहा है। अतः शनि के वक्री होने से जीवन साथी से नोंक-झोंक, आत्म बल में कमी, कैरियर व व्यसाय में उलझन, व्यर्थ की यात्राएं आदि समस्याएं बनी रहेंगी।

उपाय : हनुमान चालीसा के अलावा सुंदर काण्ड का पाठ भी कर सकते हैं। शनि प्रकोप से मुक्ति के लिए शिव स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं। शिव आराधना से भी शनि प्रकोप से काफी हद तक छुटकारा मिल जाता है।

शनिवार का व्रत करें, इससे शनिदेव प्रसन्न होंगे। इसके अलावा 108 शनि छाया यंत्रों का जल में प्रवाह करें, महामृत्युंजय मंत्र का जप शिवलिंग के सामने एक माला प्रतिदिन करें। अगर प्रतिदिन नहीं कर पा रहे हैं तो शनिवार के दिन अवश्य करें।

मकर राशि : इस राशि में शनि लग्न एवं दूसरे भाव का मालिक है। गोचर में शनि 12वें भाव में होकर वक्री हो रहा है, इसलिए वाणी पर नियंत्रण बनाए रखें। परिवार में किसी से अनबन हो सकती है। आय की अपेक्षा व्यय अधिक रहेगा जिससे मन परेशान रहेगा।

उपाय : शनि देव का बीज मंत्र उन्हें प्रसन्न करने का सरलतम मंत्र है, इसे मात्र 11 बार पढ़ें।
 


शनि मंत्र और हनुमान जी की आराधना के अलावा मकर राशि के जातकों के लिए कोई उत्तम उपाय नहीं है। ये दोनों उपाय ही इन्हें शनि देव की क्रूर दृष्टि से बचा सकते हैं। इसके अलावा प्रत्येक शनिवार सरसों का तेल दान करना भी ठीक रहेगा।

कुम्भ राशि : वर्तमान में शनि आपके लाभ भाव में वक्री हो रहा है। मानसिक समस्याएं बनी रहेंगी। प्रेमी वर्ग इस दौरान संयम बनाए रखें वरना छोटी समस्या बड़ी समस्या का रूप ले सकती है। आर्थिक लेन-देन में सावधानी बरतें।

उपाय : शनि बीज मंत्र और स्तोत्र के बाद शनि मृतयुंजय स्तोत्रं का पाठ करें। जिससे शनि सर्वाधिक प्रसन्न होते हैं। यदि कुण्डली में भी शनि की स्थिति काफी खराब है तो इसका पाठ जातक को बेहद राहत प्रदान करता है।

यदि कुण्डली में भी शनि की स्थिति काफी खराब हो तो साथ में बजरंग बाहुक का पाठ करें।

मीन राशि : इस समय शनि आपके 10वें भाव में गोचर कर रहा है। इसलिए वक्री होने से खर्चे बढ़ेगे और अस्पताल में आना-जाना लगा रह सकता है। नींद सुख में कमी आएगी। वाहन क्षति हो सकती है। प्रेम सम्बन्धों में तनाव हो सकता है।

उपाय : ॐ भगभवाय विध्हे मृत्युपुरुषाय धीमहि तन्नो शनि: प्रचोदयात। 
इस मंत्र का जाप करें। हनुमान जी को पीपल के पत्तों की माला सफ़ेद धागे में बनाकर पत्तों पर पीले चन्दन से श्री राम लिख कर शनिवार को चढ़ाएं। 

प्रतिदिन महामृत्युंजय मंत्र एवं शनि मंत्र की एक माला जाप करें। यदि साढ़ेसाती कष्ट है तो प्रतिदिन शिवलिंग की पूजा करें, पारद शिवलिंग घर में स्थापित करें। साढ़ेसाती कष्टों में कमी आएगी। शनिवार के दिन काले कुत्ते को रोटी खिलाएं।

Created On :   14 April 2018 6:08 AM GMT

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