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धारणी की पहाड़ियों में मिले सात नए झरने, टूरिस्टों का उत्साह दुगना
डिजिटल डेस्क,धारणी (अमरावती)। सतपुड़ा पहाड़ियों में समाए मेलघाट के धारणी में हर वर्ष हजारों सैलानी वादियों का लुत्फ लेने के लिए पहुंचते हैं। इस वर्ष मूसलाधार बारिश के चलते धारणी से 40 किमी दूरी पर स्थित ग्राम गोलाई के पास नए सात झरने पर्यटकों को दिखाई देने से उनका उत्साह दुगुना हो गया है। मेलघाट के धारणी, सेमाडोह, कोलकास, हरीसाल, घटांग, चिखलदरा में रिमझिम फुआरों और ठंडी हवाओं का लुत्फ उठाने के लिए हर वर्ष बारिश के मौसम में देश भर के हजारों सैलानी पहुंचते हैं। जिले सहित मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश दूरदराज से नागरिक मेलघाट में वन्य प्राणियों के दर्शन भी लेते हैं।
जानकारी के अनुसार वनविभाग द्वारा जंगल सफारी के माध्यम से खुले में घूमनेवाले वन्य प्राणियों के दर्शन भी कई बार सैलानियों को हो जाते हैं। ऐसे में धारणी से 40 किमी दूरी पर स्थित ग्राम गोलाईत के नीचे पहाडिय़ों पर से बहनेवाले रोमांचकारी सात झरने पर्यटकों को दिखाई दिए। पहले से ही मन लुभावन मेलघाट का सौंदर्य बढ़ानेवाले यह झरने धारणी की वादियों को और भी आकर्षित बना रहे हैं। 100 फीट उंची पहाडिय़ों से बहनेवाले इन झरनों का आनंद लेने के लिए राज्य भर के सैलानी यहां पहुंच रहे हैं। धारणी के कुछ युवक मंगलवार को गोलाई परिसर में ठंड हवाओं और फुहारों का आनंद उठाते हुए जब जंगल में पहुंचे तो गोलाई से 5 किमी परिसर में उन्होंने 7 नए झरनों को देखा। यह झरने इससे पहले नहीं थे। भारी बारिश के चलते पहाडिय़ों में से पानी के बहाव ने नया रास्ता ढूंढ निकाला था। पहाडिय़ों से बहनेवाले इस पानी की धार से बना भव्य झरना सैलानियों को आकर्षित कर रहा है।
शेकदरी प्रकल्प से नदी में पानी छोड़ा जाए
सतपुड़ा पर्वत से उगम पाने वाली साकी (शक्ति) नदी गव्हाणकुंड से काचुर्णा, नांदगांव तक बहती है। इस नदी पर शेखदरी प्रकल्प रहने से वह पुरे सालभर सुखी रहती है। इस नदी किनारे बसे हुए गांवों सहित खेतों को नदी के पानी का लाभ नहीं मिल पाता। साथ ही जलसंकट जैसी स्थिति निर्माण होती है। शेकदरी प्रकल्प में आवश्यक जलसंचय होने के बाद पानी का प्रवाह नदी में छोडऩे की मांग नदी किनारे बसे गांवों के ग्रामपंचायतों के सरपंच व उपसरपंच सहित नागरिकों ने की है। इस संदर्भ में पालकमंत्री को ज्ञापन भी सौंपा गया है। सतपुड़ा पर्वतों से आने वाली शक्ति नदी गव्हाणकुंड, वहादा, इसंब्री, जरुड़-वरुड़, वावरुली, मंगरुली, काचुर्णा, नांदगांव इन गांवों से होकर गुजरती है। इस नदी के प्रारंभ में ही शेकदरी प्रकल्प का निर्माण किया गया है। मुख्य प्रवाह पर प्रकल्प रहने से नदी का प्राकृतिक प्रवाह रोक दिया गया है। जिस वजह से आगे पानी नहीं जा पाता व पुरे सालभर नदी में पानी दिखाई नहीं देता। यदि नदी का पानी छोड़ा जाता है तो नदी किनारे बसे गांवों के लोगों को खेती तथा अन्य उपयोग के लिए पानी मिल सकता है। साथ ही भूजल स्तर भी बढ़ सकता है। नदी का पानी छोड़े जाने से जलसंकट जैसी समस्या से भी ग्रामीणों को निजात मिलेगी।
Created On :   28 Aug 2019 11:03 AM GMT