शाह ने भूपेंद्र को अचानक भेजा मुंबई, रातोंरात हुआ महाराष्ट्र में महाउलटफेर

Shah sent Bhupendra suddenly to Mumbai, Mahaulatfar happened overnight in Maharashtra
शाह ने भूपेंद्र को अचानक भेजा मुंबई, रातोंरात हुआ महाराष्ट्र में महाउलटफेर
शाह ने भूपेंद्र को अचानक भेजा मुंबई, रातोंरात हुआ महाराष्ट्र में महाउलटफेर

नई दिल्ली, 23 नवंबर (आईएएनएस)। महाराष्ट्र में शनिवार सुबह अचानक देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री बनने की पटकथा दिल्ली में अध्यक्ष अमित शाह एक दिन पहले ही लिख चुके थे। राकांपा-कांग्रेस और शिवसेना की सरकार बनने की कवायदों के बीच फोकस के केंद्र में भले शरद पवार थे, मगर असली खिचड़ी मुंबई में उनके भतीजे अजीत पवार और देवेंद्र फडणवीस के बीच पक रही थी। दोनों नेताओं के बीच चल रही बातचीत की हर अपडेट दिल्ली में बैठे अमित शाह ले रहे थे। राष्ट्रीय महासचिव भूपेंद्र यादव विपक्ष के हर कदम पर नजर गड़ाए हुए थे। देवेंद्र और अजीत पवार के बीच चल रही बातचीत में भी परदे के पीछे भूपेन्द्र की भूमिका बताई जाती है।

सूत्रों के मुताबिक, जैसे ही सरकार बनाने को लेकर उम्मीदों की लौ जलनी शुरू हुई, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने एक बार फिर अपनी सबसे बड़ी सियासी चाल को धरातल पर उतारने के लिए राष्ट्रीय महासचिव भूपेंद्र यादव को मोर्चे पर लगाया। भाजपा के लिए कई मौकों पर संकट मोचक साबित हुए और चुनाव प्रबंधन में माहिर भूपेंद्र यादव लोकसभा चुनाव के दौरान बिहार में राजग के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर मची रार सुलझाकर सुर्खियों में रहे थे।

सूत्र बताते हैं कि भूपेंद्र यादव को शुक्रवार अपराह्न् दो बजे के बाद मुंबई जाने का शीर्ष नेतृत्व से निर्देश हुआ। भूपेंद्र के मुंबई पहुंचने के बाद ही महाराष्ट्र में महाउलटफेर की कहानी लिखने की शुरुआत होती है।

भाजपा सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि अध्यक्ष अमित शाह को राकांपा विधायक दल के नेता अजीत पवार आश्वस्त कर चुके थे कि उनके पास पार्टी के अधिक संख्या में विधायकों का समर्थन है। अजीत पवार ने राकांपा के दो-तिहाई से ज्यादा विधायकों के अपने पास होने की बात कही थी। इस संख्या पर दलबदल कानून नहीं लागू होता।

सूत्रों ने कहा कि अजीत पवार ने यह भी कहा था कि चुनाव पूर्व गठबंधन के चलते अपनी साख बरकरार रखने के मकसद से शरद पवार कांग्रेस के साथ खड़े दिख सकते हैं, लेकिन अजीत पवार के साथ करीब 29-30 विधायकों के एक धड़े के आने पर बहुमत साबित करना मुश्किल नहीं है। क्योंकि भाजपा के साथ डेढ़ दर्जन निर्दल व अन्य विधायकों के होने की भी बात कही गई है।

पूरा आश्वस्त होने के बाद अमित शाह ने अपने मिस्टर भरोसेमंद भूपेंद्र यादव को आखिरी दौर की बातचीत के लिए तत्काल दिल्ली से मुंबई भेजने का फैसला किया। भूपेंद्र यादव को दिल्ली से मुंबई भेजने की दो वजहें थीं। एक तो वह महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के प्रभारी थे, दूसरे वह अपने कदमों की आहट मीडिया को नहीं लगने देते। मीडिया से भूपेंद्र यादव उतना ही बोलते हैं, जितने से पार्टी की किसी आगामी रणनीति का खुलासा न हो।

सूत्र बताते हैं कि सरकार गठन को लेकर रात आठ बजे से अजीत पवार के साथ आखिरी दौर की बातचीत शुरू हुई। कई टुकड़ों में यह बातचीत चली। रात करीब 11.30 बजे के बीच अजीत पवार और भाजपा की बातचीत फाइनल हो गई। फिर देवेंद्र फडणवीस और अजीत पवार की ओर से राज्यपाल को इसकी सूचना दी गई। जब राज्यपाल ने पूछा कि कितने विधायक हैं तो 175 विधायकों के समर्थन का दावा किया गया। पवार ने कहा कि उनके पास पार्टी के सभी 54 विधायकों का समर्थन है। इस प्रकार भाजपा के 105, राकांपा के 54 और निर्दल व अन्य कुल 16 विधायकों के समर्थन का हवाला सरकार बनाने के लिए दिया गया।

राज्यपाल इस आंकड़े से आश्वस्त हो गए और उसके बाद उन्होंने राज्य में सरकार गठन के लिए राष्ट्रपति शासन हटाने की केंद्र से सिफारिश कर दी।

एक केंद्रीय मंत्री के मुताबिक, चूंकि कैबिनेट का अधिकार प्रधानमंत्री में निहित होता है। ऐसे में कंडक्ट ऑफ बिजनेस रूल के तहत प्रधानमंत्री ने अपने अंदर निहित कैबिनेट की शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए राष्ट्रपति शासन हटाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।

उसके बाद तड़के 5.47 बजे राष्ट्रपति शासन हट गया। इससे पहले 5.30 बजे देवेंद्र फडणवीस और अजीत पवार सरकार बनाने का पत्र लेकर राजभवन पहुंच चुके थे। साढ़े सात बजे से शपथ ग्रहण की तैयारी शुरू हुई। आठ बजकर पांच मिनट तक मुख्यमंत्री देवेंद्र शपथ ले चुके थे।

Created On :   23 Nov 2019 2:00 PM GMT

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