इन 5 चमत्कारी स्थानों पर हर वक्त विराजमान रहते हैं शनिदेव
डिजिटल डेस्क, भोपाल। शनिवार 18 नवंबर को शनि अमावस्या है। इस दिन शनि पूजन और अपनी आराधना से उन्हें प्रसन्न करने का सबसे उत्तम दिन है। शनि अमावस्या पर उनके दर्शनों का भी फल प्राप्त होता है। यहां हम आपको भारत में मौजूद ऐसे शनि मंदिरों की ओर लेकर जा रहे हैं, जिनके दर्शन मात्र से भक्तों के कष्ट दूर हो जाते हैं...
सुप्रसिद्ध मंदिर है शनि शिंगणापुर
इसे शनिदेव का जन्मस्थान भी माना जाता है। यहां शनिदेव खुले आसमान के नीचे विराजमान हैं इनका कोई मंदिर नही है। साथ ही आपको जानकर आश्चर्य होगा, यहां घरों में दरवाजे भी नही हैं। यह स्थान बेहद चमत्कारी माना जाता है। यहां शनिदेव एक पत्थर के रूप में विराजमान हैं। कहते हैं कि ये यहां बहते हुए आए थे इस पत्थर पर मारने से खून भी निकलने लगा था तब से इसे ग्रामीणों ने इसे शनि की प्रतिकृति स्वरूप यहां स्थापित कर दिया। यह महाराष्ट्र में स्थित है।
यहां स्वयं आए थे शनिदेव
इसे तो दुनिया का सबसे प्राचीन मंदिर माना जाता है। यह जूनी इंदौर में है। मान्यता है कि शनिदेव यहां स्वयं पधारे थे। यह करीब तीन सौ साल पुराना बताया जाता है। यहां आने वाले भक्तों को कभी खाली हाथ नही जाना पड़ता।
मुरैना का शनि पर्वत
इस मूर्ति के संबंध में कहा जाता है कि ये आसमान से गिरे एक उल्कापिंड से निर्मित है। यह मध्य प्रदेश में ग्वालियर के नजदीकी मुरैना एंती गांव में बने शनि मंदिर में स्थापित है। यह जहां है उसे शनि पर्वत भी कहा जाता है। शिंगणापुर शिला भी इसी पर्वत से ले जाई गई बताई जाती है। ऐसी मान्यता है कि रावण की कैद से मुक्त कराने के बजरंगबली ने उन्हें इस पर्वत पर आराम करने के लिए छोड़ा था तब से वे यहीं हैं।
56 प्रकार के व्यंजनों का भोग
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में स्थित शनि धाम के रूप में यह मंदिर प्रख्यात है। यहां शनि के प्राचीन मंदिर लोगों की बड़ी आस्था है। यहां प्रत्येक शनिवार भगवान को 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है। इस मंदिर में शनिवार को उत्सव का माहौल होता है।
अष्टधातुओं से बनी मूर्ति
यहां शनि देव की सबसे बड़ी मूर्ति विद्यमान है जो अष्टधातुओं से बनी है। यहां आने वालों की संख्या में भी कमी नही है। यह मंदिर दिल्ली के महरौली में स्थित है।
Created On :   17 Nov 2017 3:52 AM GMT