शनि अमावस्या : साढ़ेसाती के लिए इस दुर्लभ योग में करें दशरथ पाठ

Shanidev Puja Or Worship Time on ShaniAmavasya 2017 for sadesati
शनि अमावस्या : साढ़ेसाती के लिए इस दुर्लभ योग में करें दशरथ पाठ
शनि अमावस्या : साढ़ेसाती के लिए इस दुर्लभ योग में करें दशरथ पाठ

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। शास्त्रों के अनुसार विधि-विधान से निश्चित समय पर किसी देवता को किसी विशेष कार्य या उद्देश्य के लिए पूजा जाता है तो निश्चित रूप से वह पूर्ण होता है। एक ऐसे ही देव कहे जाते हैं शनि, जिन्हें वैसे तो एक ग्रह माना जाता है, लेकिन पुराणों में इन्हें न्याय का देवता बताया गया है। इनके पूजन का वह विशेष दिन है शनि अमावस्या। कहा जाता है कि यदि आप शनिदेव को प्रसन्न करने, विशेष वरदान या अन्य मनोकामनाओं को पूर्ण करने की इच्छा रखते हैं तो उन्हें इसी दिन पूजा जाना चाहिए। खासकर तब जब शनिवार और अमावस्या का बहुत ही दुर्लभ योग पड़ता है। इस बार यही दुर्लभ योग है।  

 

प्रबल शनि योग

बताया जाता है कि शनिवार और अमावस्या दोनों ही शनि के प्रभाव में होते हैं। इसलिए यह प्रबल शनि योग बनाता है। इसका लाभ प्रत्येक जातक को अवश्य ही उठाना चाहिए। शनिदेव जीवन में आने वाली विभिन्न बाधाओं को दूर कर देते हैं।जिनकी कुण्डली में शनि की प्रतिकूल स्थिति होती है उन्हें साढ़ेसाती एवं शनि की ढैय्या की स्थिति में अत्यंत कष्टों से गुजरना पड़ता है। ज्योतिशास्त्र में ऐसे कुछ खास उपाय बताए गए हैं जिनके जरिए आप शनिदेव को प्रसन्न कर सकते हैं साढे़साती ढैय्या की स्थिति में राहत पा सकते हैं। 


-काला तिल और तेल मिलाकर पीपल की जड़ में अर्पित करें और इसक बाद तीन बार परिक्रमा करें। इस दौरान शनिमंत्र का जाप करते रहें। 

-दशरथ स्तोत्र का पाठ भी अति उत्तम बताया गया है। बताया जाता है कि इसे महाराज दशरथ द्वारा लिखा गया था और इसे लेकर मान्यता है कि शनिदेव ने स्वयं महाराज दशरथ को वरदान दिया था कि जो भी इस पाठ का वाचन करेगा उसे शनिदशा में कष्ट नहीं उठाने होंगे। 

 

शनिदेव वैदिक मंत्र 

ऊँ शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शं योरभि स्रवन्तु नरू।
शनि का पौराणिक मंत्र ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। 
छायामार्तण्डसंभुतं नमामि शनैश्चरम।

इन मंत्रों का नियमित 108 बार जाप करने से शनि की कुदृष्टि से बचाव होता है। 

Created On :   18 Nov 2017 3:33 AM GMT

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