सियाचिन में फिर हिमस्खलन, बर्फ के नीचे दबने से दो जवान शहीद

Siachen again avalanche, two soldiers martyred under snow
सियाचिन में फिर हिमस्खलन, बर्फ के नीचे दबने से दो जवान शहीद
सियाचिन में फिर हिमस्खलन, बर्फ के नीचे दबने से दो जवान शहीद

डिजिटल डेस्क, सियाचीन। सियाचिन में एवलांच (बर्फीला तूफान) की चपेट में आने से भारतीय सेना के दो जवान शहीद होने की सूचना मिली है। जानकारी अनुसार दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र दक्षिणी सियाचिन ग्लेशियर में 18 हजार फुट की ऊंचाई पर शनिवार को बर्फीला तूफान आया। इस दौरान भारतीय सेना की पेट्रोलिंग पार्टी इसी क्षेत्र में गश्त कर रही थी, जो बर्फीले तूफान की चपेट में आ गई। 

सूचना मिलते ही एवलांच रेस्क्यू टीम (ART) तुरंत मौके पर पहुंची और पेट्रोलिंग पार्टी के सभी सदस्यों को बाहर निकालने में कामयाब रही। सेना के हेलिकॉप्टर्स की मदद से घायल जवानों को सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया, लेकिन इस दौरान मेडिकल टीम के सभी प्रयासों के बावजूद नायब सूबेदार सेवांग ग्यालशन और राइफलमैन पदम नोरगैस ने दम तोड़ दिया। 

 

 

गौरतलब है​ कि नवंबर माह में एवलांच की यह दूसरी घटना है। इससे पहले सियाचिन ग्लेशियर में 18 नवंबर को भी एक एवलांच आया था, जिसके कारण बर्फ के नीचे दबने से 4 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। इस हादसे में दो पोटर्स (बोझा ढोने वाले) की भी मौत हो गई थी। 18 नवंबर सोमवार दोपहर करीब 3.30 बजे हिमस्खलन में भारतीय सैनिकों सहित 8 लोग दब गए थे। यह हिम्सखलन उस समय हुआ, जब भारतीय जवान समुद्र तट से 19,000 फीट की ऊंचाई पर उत्तरी ग्लेशियर में पेट्रोलिंग कर रहे थे।

इसी साल फरवरी में जम्मू-कश्मीर के उत्तरी क्षेत्र के कुपवाड़ा जिले में भारी हिमस्खलन हुआ था। माछिल सेक्टर स्थित आर्मी पोस्ट भी इसके चपेट में आ गया था, जिस कारण 3 जवान शहीद हो गए थे और एक घायल हो गया था। लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) के पास माछिल सेक्टर में सोना पांडी गली (SPG) में शाम के वक्त हिमस्खलन हुआ था, जिस कारण वहां स्थित सेना की पोस्ट 21 राजपूत इसकी चपेट में आ गया था। इससे पहले जनवरी में लेह लद्दाख में बर्फीले तूफान और बर्फ का पहाड़ खिसकने से खारदूंगला दर्रे के पास कई वाहन दब गए थे। बर्फ की चपेट में 10 सैलानी आ गए थे। इसमें दबे 5 लोगों का शव निकाल लिया गया था। 

1984 से अब तक 1000 से अधिक जवान शहीद
सियाचिन में इससे पहले भी कई बार ऐसे हादसों में भारतीय सेना के सैकड़ों जवान अपनी जान गंवा चुके हैं। आंकड़ों के अनुसार, साल 1984 से लेकर अब तक हिमस्खलन की घटनाओं में सेना के 35 ऑफिसर्स समेत 1000 से अधिक जवान सियाचिन में शहीद हो चुके हैं। 2016 में ऐसे ही एक घटना में मद्रास रेजीमेंट के जवान हनुमनथप्पा समेत कुल 10 सैन्यकर्मी बर्फ में दबकर शहीद हो गए थे।

बता दें कि कारकोरम क्षेत्र में लगभग 20 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित सियाचिन ग्लेशियर विश्व में सबसे ऊंचा सैन्य क्षेत्र माना जाता है, जहां सैनिकों को शरीर को सुन्न कर दने वाली सर्दी और तेज हवाओं का सामना करना पड़ता है। ग्लेशियर पर सर्दी के मौसम के दौरान हिमस्खलन की घटनाएं आम हैं। साथ ही यहां तापमान शून्य से 60 डिग्री सेल्सियस नीचे तक चला जाता है। पूर्व में कई बार सियाचिन में हुए हिमस्खलन के कारण जवानों को अपनी जान गंवानी पड़ी है।

 


 

Created On :   30 Nov 2019 1:21 PM GMT

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