पाक में इस्लामिक कट्टरपंथियों के हमले से परेशान सिख , 30 हजार ने पलायन किया

Sikh community troubled by Islamic fundamentalists  forced to leave Peshawar
पाक में इस्लामिक कट्टरपंथियों के हमले से परेशान सिख , 30 हजार ने पलायन किया
पाक में इस्लामिक कट्टरपंथियों के हमले से परेशान सिख , 30 हजार ने पलायन किया
हाईलाइट
  • अब तक पेशावर से करीब 30 हज़ार से ज्यादा सिख पाकिस्तान के दूसरे हिस्सों में चले गए हैं।
  • इस्लामिक कट्टरपंथियों के हमलों से परेशान सिख समुदाय के लोगों ने छोड़ा पेशावर
  • पेशावर में सिख समुदाय के लोगों के लिए श्मशान भूमि तक भी नहीं है।

डिजिटल डेस्क, पेशावर। पाकिस्तान के पेशावर में रहने वाला सिख समुदाय इन दिनों देश के अन्य हिस्से में जाने को मजबूर हो गया है। अपनी जान के ख़तरे देखते हुए अब तक पेशावर से करीब 30 हज़ार से ज्यादा सिख पाकिस्तान के दूसरे हिस्से में चले गए या फिर भारत आकर रहने लगे हैं। इस्लामिक कट्टरपंथियों के तरफ से लगातार हो रहे हमले के बाद अल्पसंख्यक सिख समुदाय के लोगों ने यह फैसला लिया है। हाल ही में सामाजिक कार्यकर्ता और किराने की दुकान चलाने वाले पेशावर के चरणजीत सिंह को मौत के घाट उतार दिया गया था। सिख समुदाय के प्रवक्ता बाबा गुरपाल सिंह ने मीडिया को बताया-“मैं ऐसा मानता हूं कि सिख समाज के खिलाफ यह हमला जातिसंहार का मामला है।”


आतंकी संगठन तालिबान ने कराए कई हमले

पाकिस्तान सिख काउंसिल के एक सदस्य ने बताया कि समुदाय को इसलिए लगातार निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि वह अलग दिखते हैं। उन्होंने पगड़ी की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह उन्हें आसानी से निशाना बनाने का मौका देता है। वहीं कुछ सिखों ने ऐसे हमलों के लिए आतंकी संगठन तालिबान को जिम्मेदार बताया है। बता दें कि साल 2016 में एक हाइप्रोफाइल सिख हत्या का मामला सामने आया था। पाकिस्तान-तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के नेता सोरन सिंह को मौत के घाट उतार दिया था। स्थानीय पुलिस ने इस मामले में उनके राजनीतिक विरोधी बलदेव को गिरफ्तार किया था। उस वक्त भी तालिबान ने ही हमले की जिम्मेदारी ली थी। 

 

पहचान छिपाने को मजबूर सिख 

हालांकि, बलदेव दो साल तक ट्रायल का सामना करने के बाद साक्ष्य के अभाव में कोर्ट से बरी हो गए हैं। नौबत यह आ गई है कि अब सिखों को अपनी पहचान छिपाने के लिए बाल कटवाने पड़ रहे हैं। उन्हें पगड़ी भी हटानी पड़ रही है। सिख समुदाय के लिए एक और बड़ी समस्या यह है कि पेशावर में उनके लिए श्मशान की कमी है। खैबर पख्तूनवा सरकार ने श्मशान के लिए बीते साल धन आवंटित किया था, लेकिन अभी तक इसका काम शुरू नहीं हो सका है।इतना ही नहीं श्मशान के लिए आवंटित जमीन को अब प्राइवेट बैंक, वेडिंग हॉल और कंपनियों दिया जा रहा है। स्थानीय मीडिया के मुताबिक, पाकिस्तानी सरकार इस तथ्य को नजरअंदाज कर रही है कि सिख समुदाय को उसके समर्थन और सुरक्षा की जरूरत है। 
 

Created On :   13 Jun 2018 2:13 PM GMT

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