तिल के तेल की ज्योति, संतान के लिए यहां ऐसे होती है पूजा

तिल के तेल की ज्योति, संतान के लिए यहां ऐसे होती है पूजा

 

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिमाचल अनेक और विचित्र देवी देवताओं की नगरी है। इस वजह से इसे हिमाचल प्रदेश को देवभूमि भी कहा जाता है। यहां मां सिमसा का वास माना जाता है। कहा जाता है कि यहां इनकी विशेष कृपा है। हिमाचल की की सुंदर वादियों में सिमसा माता के दो प्रमुख मंदिर हैं एक मंडी जिला के लडभड़ोल और दूसरा कांगड़ा जिले के डरोह में स्थित है। यहां हम आपको सिमसा माता के प्राचीन डरोह मंदिर के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारियां देने जा रहे हैं। 

 

पिंडी के रूप में विराजमान

यह कांगड़ा जिले पालमपुर से 17 किलोमीटर दूर स्थित है। इस मंदिर की प्रसिद्धि सर्वाधिक इस बात से है कि यहां तिल के तेल की ज्योति जलाने से संतान की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यहां देवी एक पिंडी के रूप में विराजमान हैं।  

 

कठिन तप करके पर मां की आराधना

इसके बारे में एक कथा प्रचलित है कि यहां एक डाॅक्टर दंपत्ति को संतान नही हो रही थी, जिसके बाद उन्होंने कठिन तप करके पर मां की आराधना की। इससे उन्हें माता ने प्रसन्न होकर स्वयं दर्शन दिए और उनके ही घर में अपने लिए स्थान मांगा। कहा जाता है कि जैसे ही वह दंपत्ति छोटी कन्या के रूप में पधारी मां को अपने घर के अंदर ले गई उन्होंने उन्हें साक्षात दर्शन दिए और धरती से पिंडी के रूप में प्रकट हुईं। यही पिंडी यहां आज भी मौजूद है। 

 

ज्योति जलाने का स्वप्न 

संतान की कामना से तिल के तेल की ज्योति जलाने का स्वप्न भी माता ने स्वयं ही दिया था। जिसके बाद यहां लाखों जोड़े संतान प्राप्त करने के लिए माता के दरबार में ज्योति जलाने आते हैं। इस मंदिर की दूर-दूर तक मान्यता है। पहले यहां फर्श पर सोने की परंपरा थी, किंतु लोगों की संख्या बढ़ने के बाद ज्योति जलाने का प्रचलन शुरू हुआ।

Created On :   26 Dec 2017 4:09 AM GMT

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