सेहत से खिलवाड़: शुद्ध पानी के नाम पर बिक रहा धीमा जहर

Slow poison sold on the name of pure water in Chhatarpur district
सेहत से खिलवाड़: शुद्ध पानी के नाम पर बिक रहा धीमा जहर
सेहत से खिलवाड़: शुद्ध पानी के नाम पर बिक रहा धीमा जहर

डिजिटल डेस्क छतरपुर । गर्मी का मौसम शुरू होते ही जिले भर में मिनरल वॉटर, पानी के पाउच, पानी के केन लेकर सैकड़ों कंपनियां बाजार में कूद पड़ती हैं। इन कंपनियों के शुद्ध पानी बेचने के दावों में कितनी हकीकत रहती है यह तो खुद कंपनी के लोगों को पता नहीं रहता है। कंपनियां बाजार में अपने प्रोडक्ट को बेचने के लिए शुद्ध पानी देने का दावा करने से पीछे नहीं रहती हैं, लेकिन हकीकत कुछ और ही रहती है, अपने मुनाफे के लिए ये कंपनियां लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रही हैं। छतरपुर जिले में आधा दर्जन से ज्यादा कंपनियां पानी का व्यापार कर रही हैं, सभी कंपनियां मिनरल वॉटर से लेकर पानी की केन और
पानी के पाउच बाजार में बेच रही हैं। लोगों की सेहत से खिलवाड़ कर रहीं इन कंपनियों की मनमानी पर संबंधित विभागों के अधिकारी भी चुप्पी साधे हुए हैं। पानी के नाम पर लोगों की सेहत से खिलवाड़ कर रही ये कंपनियां प्रति दिन हजारों लाखों का व्यापार कर रही है, लेकिन शासन को जो टैक्स देना चाहिए, उस टैक्स का चोरी करने से भी पीछे नहीं हैं।
मात्र चार पंजीयन पानी के कारोबार में दर्जनों कंपनियां काम कर रही है लेकिन खाद्य एवं औषधीय प्रशासन विभाग में मात्र चार कंपनियों ने ही अपना पंजीयन  कराया है। कुकुरमुत्ते की तरह गली-गली खुली अन्य कंपनियों ने न तो पंजीयन कराया और न खाद्य औषधीय प्रशासन विभाग के अधिकारियों ने कभी इन कंपनियों की जांच करने की जहमत उठाई। यही वजह है कि लोगों को जो पानी बेचा जा रहा है, उस पानी की गुणवत्ता कितनी सही है। जिन कंपनियों ने रजिस्ट्रेशन कराया है, उनमें किल एसएन, जल नीर, पवन मिलरल्स और नौगांव की एक कंपनी ने पंजीयन कराया है, वही जो अन्य कंपनियां चल रही हैं सभी अनधिकृत रूप से व्यापार कर रही हैं।
बगैर फिल्टर के हो रही पैकिंग सब से ज्यादा गोलमाल पाउच वाले पानी में हो रहा है, जानकारों की माने तो पाउच के पानी में न तो पैकेजिंग डेट लिखी रहती और न पानी के लिए निर्धारित किए गए मापदंडों को पूरा किया जाता है। कई कंपनियां तो बगैर फिल्टर वाला बोरिंग का पानी पाउच में पैक कर बाजार में बेच रही हैं।
जानकारों का कहना है कि एक या दो रुपये में बिकने वाले पानी के पाउच कम रेट में मिलने की वजह से लोग ज्यादा खरीदते हैं। उसका फायदा कंपनियां उठाती हैं, क्योंकि पाउच में लागत का होती है और मुनाफा और सेल अधिक होती है।
लैब का पता नहीं
जिले में जो भी कंपनियां पानी का कारोबार कर रही हैं, उन कंपनियों के पास भारतीय मानक ब्यूरो के अनुसार खुद की निजी लैब होना चाहिए, उसी लैब में पानी की जांच होनी चाहिए जांच में पानी कितने टीडीएस का है इसको विशेष रूप से चैक किया जाना चाहिए। सवाल उठ रहा है कि जब ज्यादातर लोगों के पास लैब ही नहीं है तो फिर पानी की गुणवत्ता कितनी सही है, पानी में जो तत्व मिलते हैं, उन तत्वों में से अगर कोई तत्व पानी में अधिक मिलता है तो वह पानी पीने योग्य नहीं माना जाता है। शासन द्वारा निर्धारित किए गए मापदंडों में पीएच की अधिकतम सीमा 6.5 से 8.5 तक टर्बीडिटी 1 से 5, घुलित लवण 5 सौ से दो हजार, कठोरता 2 सौ से 6 सौ, क्षारीयता 2 सौ से 6 सौ, फ्लोराइड की मात्रा 1.0 ये 1.5, सल्फेट 2 सौ से 4 सौ, नाइट्रेट 45 से 45, आर्सेनिक 0.01 से 0.05, लौह तत्व  0.3 से 0.3, मैग्जीन 0.1  ये 0.3, टोटल फोलीफॉर्म जीवाणु एवं ई-कोली या थर्मोटालरेंट कोलीफॉर्म जीवाणु अनुपस्थित होना चाहिए, लेकिन जिले में जो पानी बिक रहा है, उनमें इनका पालन नहीं किया जा रहा है।
इनका कहना है
जिले में चार मिनरल वॉटर की कंपनियां रजिस्टर्ड हैं, चारों कंपनियां आईएसआई सर्टिफाइड हैंै। जहां तक जांच की बात है तो अभी तक इनकी जांच नहीं की गई है। आने वाले दिनों में पानी की पैकेजिंग करने वाली कंपनियों की जांच की जाएगी। जिन कंपनियों में निर्धारित मापदंडोंं की कमी पाई जाएगी, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
संतोष तिवारी, खाद्य सुरक्षा निरीक्षक
हमारे लैब में मिनरल वॉटर कंपनियों का पानी जांच के लिए नहीं आया है। जिले में जो पानी है, उसमें कमियां तो नहीं हैं, लेकिन जांच के बाद ही पानी का उपयोग किया जाना चाहिए। क्योंकि शुद्ध पानी न होने से कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। हमारी लैब में पानी की शुद्धता जांच करने की पूरी व्यवस्था है। आम लोग भी आने पानी की जांच करा सकते हैं।
मनोहर श्रीवास्तव, केमिस्ट, पीएचई

 

Created On :   21 March 2018 8:36 AM GMT

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